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*⚵╭ 🌴﷽🌴 ╮⚵*                                                
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         *✿ जन्नत के हसीन मनाज़िर ✿*
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                      *क़िस्त–01*
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*☞ अल्लाह ताला की दावत जन्नत की तिजारत के लिए _,*

*⚃➠ अल्लाह ताला का इरशादे गिरामी है :- ( तर्जुमा ) ए ईमान वालों ! क्या मैं तुम्हें ऐसी तिजारत बतलाऊं जो तुम्हें एक दर्दनाक अजाब से बचा ले (वह यह है कि) तुम लोग अल्लाह पर उसके रसूल पर ईमान लाओ और अल्लाह की राह में अपनी जान व माल से जिहाद करो, यह तुम्हारे लिए बहुत ही बेहतर है अगर तुम समझ रखते हो_,"*
*"_( जब ऐसा करोगे तो) अल्लाह ताला तुम्हारे गुनाह माफ कर देगा और तुम को जन्नत के ऐसे बागों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी और उम्दा मकानों में (दाखिल करेगा) जो हमेशा रहने के बागों में (बने) होंगे, यह बड़ी कामयाबी है _,*

*🗂️ सूरह अस- सफ 10-11-12,*
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       *☞_ दौड़ो जन्नत की तरफ _,"*

*★_ इरशादे बारी ता'ला है:- (तर्जुमा) और मग्फिरत की तरफ दौड़ो जो तुम्हारे परवरदिगार की तरफ से (नसीब) हो और दौड़ो जन्नत की तरफ (यानी ऐसे नेक काम अख्त्यार करो जिससे परवरदिगार तुम्हारी मग्फिरत कर दे और तुम को जन्नत इनायत हो और वह जन्नत ऐसी है) जिसकी वुसअत ऐसी ( शतो) है (ही) जैसे सब आसमान और ज़मीन ( और ज़्यादा की नफी नहीं चुनांचे वाक़ई में ज़ाइद होना साबित है और) वह तैयार की गई है खुदा से डरने वालों के लिए_,"*

*🗂️_ सूरह आले इमरान- 133,*
       
★_ (फ़ायदा)- इस आयत में मुसलमानों को जन्नत की तरगीब फरमाते हुए उसकी तरफ दौड़ने का हुक्म दिया गया है और परहेज़गार ही जो खुदा के फरमाबरदार और गुनाह से दूर रहने वाले हैं उनके लिए तैयार की गई है,*

*★_आमाल जन्नत की क़ीमत नहीं है, लेकिन आदतें अल्लाह ताला यही है कि अल्लाह ताला अपने फज़ल से उसी बंदे को नवाज़ता है जो आमाले सलेहा करता है_,"*

*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 47,*

*_जन्नत का मुख्तसर सा नज़ारा _,* 

*★_ हजरत ओसामा बिन ज़ैद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- कोई जन्नत की तैयारी के लिए तैयार है ? क्योंकि जन्नत फना होने वाली नहीं, रब्बे काबा की क़सम ! यह ऐसा नूर है जो लहलहाने वाला है, ऐसा फूलों का दस्ता है जो झूम रहा है और ऐसा महल है जो बुलंदो बाला है और ऐसी नहर है जो जारी रहने वाली है_,"*
*"_ऐसा फल है जो पका हुआ तैयार है, ऐसी बीवी है जो बहुत हसीन व जमील है, लिबास है जो बड़ी तादाद में हैं,* 
*"_सलामती के घर में रहने की जगह है हमेशा के लिए, मेवे हैं, सब्ज़ा ज़ार है, खुशी है, नियामत है, हसीन और बुलंद मकामात हैं_,"*

*"_ सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया:- हां ऐ अल्लाह के रसूल सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ! हम इसके लिए तैयार हैं _,"*
*"_फरमाया- इंशा अल्लाह कह लो, तो सहाबा किराम ने इंशा अल्लाह कहा,*

*🗂️ इब्ने माजा 4332, तरगीब व तरहीब- 976,*

[: *"_ जन्नत की तलब _,"*

*★_ हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जो मुसलमान भी अल्लाह ताला से तीन मर्तबा जन्नत का सवाल करता है तो जन्नत कहती है, ऐ अल्लाह इसको जन्नत में दाखिल फरमा दे, और जो शख्स अल्लाह के साथ दोजख से पनाह पकड़े तीन मर्तबा, तो दोजख कहती है, ऐ अल्लाह इसको दोजख से पनाह दे दे_,"*
*🗂️ तिर्मीजी़ 2572, इब्ने माजा- 4340,*

*"_फायदा:- हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु की मरफू हदीस मे है कि जिसने सात मर्तबा यूं कहा "मैं अल्लाह ताला से जन्नत मांगता हूं_," तो जन्नत कहती है, ऐ अल्लाह इसको जन्नत में दाखिल कर दे _,"*
*🗂️_ मुसनद अबू दाऊद ,*

*★_और एक हदीस में हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- अल्लाह ताला से जन्नत की तलब और दोजख से पनाह बहुत ज़्यादा मांगा करो क्योंकि यह दोनों (जन्नत और दोजख) शफा'अत भी करती हैं और उनकी शफा'अत क़ुबूल भी की जाती है, बिला शुबहा जब कोई बंदा अल्लाह ताला से जन्नत को बहुत ज़्यादा तलब करता है तो जन्नत कहती है ऐ परवरदिगार ! तेरा यह बंदा आपसे मुझे तलब कर रहा है आप उसको मुझमे सकुनत दे दें और दोजख ( भी कहती है कि ऐ परवरदिगार! तेरा यह बंदा जो मुझसे तेरी पनाह मांग रहा है आप उसको पनाह दे दें)_,"* 
*🗂️_ निहाया इब्ने कसीर- 2/501, हादी अल रवाह- 128,*
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*☞_ दस लाख खादिमों के साथ सफ़र,*
*★_हजरत हसन बसरी रहमतुल्लाह से रिवायत है कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ जन्नत वालों में अदना दर्जे का जन्नती वह है जो सुर्ख याक़ूत के घोड़े पर सवार होगा जिसके पर सोने के होंगे और हमेशा रहने वाले दस लाख खिदमतगार लड़के साथ होंगे !*

*★_ ऐ मुखातिब ! अगर तू उस जगह को देखें तो तुझको बड़ी नियामत और बड़ी सल्तनत दिखाई दे_,"*

*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर - 90,*          
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*☞_ फरिश्ते भी उसके पास इजाज़त लेकर दाखिल होंगे_,"* 
*★_ हजरत अबू सुलेमान (दारानी) फरमाते हैं कि जन्नती के पास रब्बुल इज़्ज़त का क़ासिद तोहफे और हदिए लेकर आएगा मगर उसके पास नहीं पहुंच सकेगा जब तक कि अंदर आने की उससे इजाज़त ना ले लेगा, दरबान से कहेगा अल्लाह के दोस्त से इजाज़त ले दो क्योंकि मैं उस तक (बगैर इजाज़त) नहीं जा सकता, तो वह दरबान दूसरे दरबान से कहेगा और इसी तरह दरबान के बाद और दरबान होंगे, तो वह उसको आने की इजाज़त देगा,*

*★_ उस जन्नती के महल से दारुस्सलाम तक एक दरवाज़ा ऐसा होगा जिससे वह अपने परवरदिगार के पास जब चाहेगा बगैर इजाज़त के जा सकेगा,*

*★_ पस मुल्के कबीर (बड़ी सल्तनत) यही है कि रब्बुल इज़्ज़त का का़सिद भी उस जन्नती के पास उसकी इजाज़त के बगैर नहीं जा सकेगा जबकि जन्नती अपने रब के पास जब चाहे हाज़िर हो सकेगा_,"*
*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर, 90_,* 

: बादशाहों की मनाज़िल

*★_ हजरत अबू सईद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- अल्लाह ताला ने जन्नत की दीवार एक ईंट सोने से और एक ईंट चांदी से खींची फिर उसमें नेहरे निकाली और दरख़्त गाड़े, जब फरिश्तों ने जन्नत के हुस्न को देखा तो कहा ( ऐ जन्नत) तुझे बादशाहो की मनाज़िल मुबारक हो _,"*
*🗂️_ रवाह तबरानी, तरगीब व तरहीब,*

*★_ फायदा:- जन्नत की नियामतों का एक अदना सा हिस्सा भी आज किसी बड़े से बड़े हुक्मरान बादशाह को हासिल नहीं है मगर फिर भी उसकी शान व अज़मत के क़सीदे पढ़े जाते हैं, जब कोई मुसलमान जन्नत की तमाम आला व अफज़ल नियामतों को कामिल तौर पर हासिल करेगा उसकी शाही बादशाहत का क्या मुका़म होगा_,"*

*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 91,*

[: जन्नत की ज़मीन, गारा, कंकर और इमारत _,*
*★_ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-जन्नत की तामीर की एक ईंट सोने की है और एक चांदी की, इसकी मिट्टी जा़फरान की है और गारा कस्तूरी का है_,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद, तिरमिज़ी,* 

*★_ मैराज़ की तवील हदीस में है कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- मैं जन्नत में दाखिल हुआ तो उसमें चमकदार मोतियों के गुंबद थे और उसकी ज़मीन कस्तूरी की थी_,"*
*🗂️_ बुखारी -349, मुस्लिम- 163 ,*

*★_ हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से जन्नत की मिट्टी के मुताल्लिक़ पूछा तो आप ने इरशाद फरमाया- नरम व मुलायम सफेद रोशन, खालिस कस्तूरी की मिट्टी है_,"*
*🗂️ मुस्लिम- 1928 ,*
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*☞_दुनिया को ऐशो इशरत का सामान समझने वालों के लिए इबरत _,"*
*★"_अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं:- (सूरह अर -राद, आयत 26 तर्जुमा)"*
*"_ और ये ( नाफरमान) लोग दुनिया की ज़िंदगी पर (और उसके ऐशो इशरत पर) इतराते हैं और (उनका इतराना बिल्कुल फ़िज़ूल और गलती है क्योंकि) ये दुनिया की ज़िंदगी (और इसकी ऐशो इशरत) आखिरत के मुक़ाबले में बजुज़ एक मामूली सामान के और कुछ नहीं _,"*

*★_ अल्लाह ताला का इरशाद है:- (सूरह आले- इमरान, आयत 185 तर्जुमा)*
*"_ और नहीं ज़िंदगी दुनिया की मगर सामान धोखे का _,"*

*"_ अल्लाह ताला ने इस आयत में दुनिया की हालत को बहुत मामूली और इसकी शान को बहुत हकी़र फरमाया है और घटिया, फानी, बहुत कम और ज़ाइल होने वाली है,*

*★_ आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ अल्लाह की क़सम दुनिया आखिरत के मुक़ाबले में नहीं है मगर इस तरह कि जैसे तुममे से कोई शख्स अपनी उंगली को दरिया में डूबोए फिर देख ले उस (डुबोने वाले) के पास (वह उंगली) कितना (पानी) लाई है_,"* 
*🗂️_ मुस्लिम, मुसनद अहमद,*
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*☞_ जन्नत की ज़मीन पर रहमत की हवा चलने से जन्नती के हुस्न में बेइंतहा इज़ाफ़ा,*
*★_ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जन्नत की ज़मीन सफेद है जिसके मैदान का काफूर की चट्टाने हैं जिनको रेत के टीलों की तरह कस्तूरी ने अहाता कर रखा है_,"*
*"_ इसमें जारी नहरें चलती हैं, इसमें जन्नती जमा होंगे बड़े दर्जे के भी और छोटे दर्जे के भी और आपस में एक दूसरे से मुलाका़ते और बाहमी तार्रूफ कराएंगे, इन पर अल्लाह ताला रहमत की हवा चलाएंगे तो वो रहमत उन जन्नतियों को कस्तूरी की खुशबू से मौ'अत्तर कर देगी,*

*"_ फिर जब जन्नती मर्द अपनी बीवी के पास लौटेगा और वो अपने हुस्न व पाकीज़गी में और बढ़ चुका होगा तो वह कहेगी जब आप मेरे पास से गए थे तो मैं आप (के हुस्न) पर फरेबता हो रही थी लेकिन अब मेरी आप (के हुस्न) पर फरेब्तगी की हद हो गई _,"*
*🗂️_ तरगीब व तरहीब _,*
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*☞_ जन्नत का मौसम और हवाएं,*
*★_ इरशाद ए खुदावंदी "और साया होगा दराज़" की तफसीर में हजरत अमरु बिन मैमून रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि साए की लंबाई 70 हज़ार साल के (सफर के) बराबर होगी _,"*
*🗂️_ बहीक़ी- 1833,* 

*★_ हज़रत इब्ने मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जन्नत मोत्तल होगी ना उसमें गर्मी होगी ना सर्दी होगी _,"*
*🗂️_ इब्ने मुबारक - 1833,*,

*★_ हजरत मालिक से रिवायत है कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- जब जुनूब की हवा जन्नत में चलेगी तो मुश्क के टीले बिखेर देगी _,"*
*🗂️_ वसफुल फिरदौस -183,*
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        *☞_ जन्नत का रंग व नूर _,*
*★_ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- तुम सफेद रंग अख्त्यार करो क्योंकि अल्लाह ताला ने जन्नत को सफेद पैदा किया है पस चाहिए कि तुम्हारे ज़िंदा लोग सफेद रंग पहने और उसी में अपने मुर्दों को कफ़न दिया करो _,"*
*🗂️_ अबु न'ईम -1/164, तिबरानी कबीर- 11/109,* 

*★_ हजरत उसामा बिन ज़ैद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने जन्नत का ज़िक्र करते हुए इरशाद फरमाया:- रब ए काबा की क़सम ! यह ( जन्नत) एक तरह का फूलों का गुलदस्ता है मस्त कर देने वाला और नूर है चमकने वाला _,"*
*🗂️_ अबू न'ईम -2/53,* 

*★_ हजरत आमिर बिन सईद अपने वालिद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जो नियामतें जन्नत में है अगर उनमें से इतनी मिकदार भी जाहिर हो जाए जितना कि नाखून के साथ लगकर कोई चीज़ आती है तो उसकी वजह से आसमान और ज़मीन के किनारे जगमगा उठे और अगर जन्नतियों में से कोई झांक ले और उसका कंगन जाहिर हो जाए तो उसकी रोशनी सूरज की रोशनी को इस तरह से मांद कर दे जिस तरह से सूरज सितारों की रोशनी को मांद कर देता है _,"*
*🗂️_ अबू न'ईम - 2/54, तिर्मीजी़- 2538 ,*

*★_ हजरत ज़मील बिन सिमाक के वालिद ने हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से पूछा कि जन्नत का नूर कैसा होगा ? आपने फरमाया- क्या तुमने वह वक़्त नहीं देखा जो सूरज निकलने से पहले होता है ? जन्नत का नूर भी ऐसा होगा मगर उसमें ना धूप होगी ना सर्दी होगी _,"*
*🗂️_ अबू न'ईम -2/54,*,
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*☞_ जन्नत के सुबह शाम और रात दिन _,"*
*★_ हजरत ज़हाक रहमतुल्लाह (और उनको उनका खाना सुबह शाम मिला करेगा- सूरह मरियम 62 की तफसीर में) फरमाते हैं कि अल्लाह ताला ने जन्नतियों के लिए गर्दिश करने वाली इस तरह की घड़ियां बनाई हैं जैसे दुनिया की घड़ियां गर्दिश करती है बगैर सूरज के और चांद के और रात के और दिन के, बस सिर्फ आखिरत का नूर होगा जिसमें अल्लाह ताला ने सुबह दोपहर और शाम को मुक़र्रर किया है क्योंकि सुबह दोपहर और शाम से लोग लुत्फ अंदोज़ होते हैं, चुनांचे जब अल्लाह ताला अपने औलिया की ख्वाहिश को तेज़ करेंगे और उनको रिज़्क की लज्ज़त के ज़ाएक़े बख्शना चाहेंगे तो उनके सामने सुबह शाम की गर्दिश कर देंगे _,"*
*🗂️_ अबु न'ईम- 220 ,*

*★_ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जन्नत में सुबह-शाम नहीं होंगे मगर उनके पास (सुबह व शाम के खाने) रात दिन की मिक़दार के मुताबिक पेश किए जाएंगे_,"*
*🗂️_ अबु न'ईम- 220 ,*

*★_हजरत क़तादा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जन्नत वालों को हर घड़ी रिज़्क पहुंचाया जाएगा, सुबह व शाम भी दीगर घड़ियों की तरह की दो घड़ियां होंगी वहां रात नहीं होगी बल्कि रोशनी और नूर होगा _,"*
*🗂️_ अबु न'ईम- 221 ,*

*★_ हजरत ज़ुहेर बिन मुहम्मद रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि जन्नत में रात नहीं होगी यह लोग हमेशा नूर में रहेंगे, उनके लिए रात की मिक़दार पर्दे छोड़ देने से मालूम होगी और दिन की मिक़दार पर्दे उठाने से मालूम होगी_,"*
*🗂️_ अबु नईम- 223, तफसीर तिबरी-2/16

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*☞_ जन्नत के क़ंदील और फानूस _,*
*★_ हजरत अब्दुल्लाह बिन मस'ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से पूछा गया कि जन्नतियों के क़ंदील (लैंप) कैसे होंगे ?*
*"_तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया :-यह अर्श से लटकने वाले फानूस होंगे अर्श के ऊपर से जन्नतियों के लिए रोशनी फैलाएंगे, ना तो इनका नूर बुझेगा और ना ही उनको देखने से जन्नतियों की आंखें खैरह (चकाचौंध) होंगी_,"*
*🗂️ _अबू न'ईम- 214,*
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           *☞_ जन्नत की खुशबू _,*
*★_ हजरत अबू बकर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं मैंने जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से सुना आपने इरशाद फरमाया:- जन्नत की खुशबू सौ साल के फासले से पाई जाएगी _,"*
*🗂️ अबू न'ईम- 2/41, निहाया- 2/ 494, बहीकी़- 8/133,*

*★_ और एक रिवायत में है कि 40 साल के फासले तक महसूस होगी_,"*
*🗂️_ बुखारी -3166,*

*★_ हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु ने जन्नत की खुशबू ज़मीन पर पाई है जबकि जन्नत सब आसमानों से ऊपर है _,"*
*🗂️_ इब्ने कसीर -144 ,*

*★_ फायदा:- यह जो जन्नत की खुशबू का मुख्तलिफ मुसाफतों से पाया जाना हदीस में वारिद हुआ है, यह मुख्तलिफ लोगों के आमाल व दरजात के हिसाब से हैं या अल्लाह ताला की मंशा पर मोक़ूफ है, वह जिसको जितने फासले से चाहे जन्नत की खुशबू पहुंचा दें या जन्नत की खुशबू से पर्दे हटा दे_,"*

*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 111

 जन्नत हमेशा रहेगी,

*★_ इरशाद ए खुदावंदी है:- और पस वो लोग जो नेक बख्त हैं वह जन्नत में होंगे (और ) वह उस में (दाखिल होने के बाद) हमेशा हमेशा रहेंगे, जब तक आसमान व ज़मीन क़ायम है....,"*
*🗂️_ सूरह हूद आयत- 108,* 

*★_ हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जो शख्स जन्नत में दाखिल होगा वह हमेशा नियामतों में रहेगा कभी उकताएगा नहीं और हमेशा रहेगा कभी मरेगा नहीं _,"*
*🗂️_ इब्ने कसीर बा हवाला मुसनद अहमद- 2/ 370,*

*★_ हजरत अबू सईद खुदरी और हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- (जन्नत में दाखिल होने के बाद जन्नतियों को) एक मुनादी निदा करेगा कि तुम्हारे लिए खुशखबरी है कि तुम सेहतमंद रहोगे कभी बीमार ना होगे और तुम्हारे लिए यह भी खुशखबरी है कि तुम ज़िंदा रहोगे कभी नहीं मरोगे और तुम्हारे लिए यह भी खुशखबरी है कि तुम जवान रहोगे कभी बूढ़े नहीं होगे और तुम्हारे लिए यह भी खुशखबरी है कि तुम नाज़ और मियामतों में रहोगे कभी दुख ना देखोगे_,"*
*"_अल्लाह ता'ला का इसी के मुताल्लिक़ इरशाद है कि उन (जन्नत वालों) को पुकार कर कहा जाएगा कि यह जन्नत तुमको दी गई है तुम्हारे आमाल (हसना) के बदले में (सूरह आराफ-43)_,"*
*🗂️_ मुस्लिम 4/2182, मुसनद अहमद- 3/95, तिर्मीजी़- 3246,*
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*☞ _जन्नत के दरबान और मुहाफिज़ _,*
*★_ अल्लाह ताला का इरशाद है :- और जो लोग अपने रब से डरते थे वह गिरोह गिरोह होकर जन्नत की तरफ रवाना किए जाएंगे यहां तक कि जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उसके दरवाज़े (पहले से) खुले हुए होंगे (ताकि दाखिल होने में ज़रा भी देर न लगे) और वहां के मुहाफिज़ (फरिश्ते) उनसे (बतौर इकराम और सना के) कहेंगे अस्सलामु अलैकुम तुम मज़े में रहो और इसमें (जन्नत में) हमेशा रहने के लिए दाखिल हो जाओ _,"*
*(सूरह अज़- ज़ुमर -73 )*

*★_ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- अखीर में जन्नत में दाखिल होने वाला चल रहा होगा कि अचानक वो एक क़िस्म का नूर देखेगा और सजदे में गिर पड़ेगा, उससे पूछा जाएगा तुझे क्या हुआ? तो वह कहेगा कि क्या यह मेरे रब ने मेरे सामने जल्दी नहीं फरमाई ? तो अचानक उसके सामने एक मर्द खड़ा होगा वह अर्ज़ करेगा नहीं (यह आपका रब नहीं) यह महल्लात में से एक महल है और मैं आपके खिदमत गार निगरानों में से एक खिदमतगार निगरान उमूरे खिदमत हूं और आपके लिए मेरे जैसे एक हज़ार खिदमतगार है, फिर वह जन्नती उस खिदमतगार के आगे आगे चलेगा और अपने अदना दर्जे के महल में दाखिल होगा और वह जिस चीज़ पर निगाह डालेगा (हुस्न की वजह से) उसकी नज़र उसके तमाम मिल्क (जन्नत) तक पहुंच जाएगी और उस जन्नती की ममलूकात सौ साल के सफर करने के बराबर होगी,*
*🗂️_ अबु न'ईम 441, मज़मुअज़ ज़वाइद -10/343,*
 
: जन्नत का रास्ता

*★_अल्लाह ताला का इरशाद है :- "_यह दीन (इस्लाम और उसके तमाम अहकाम) मेरा रास्ता है जो कि (बिल्कुल) मुस्तकी़म है सो इस राह पर चलो और दूसरी राहों पर मत चलो वो राहें तुमको अल्लाह की राह से जुदा कर देंगी _," ( सुरह अन'आम 153 )*

*★_ फायदा:- इस आयत मुबारक से मालूम हुआ कि अल्लाह का दीन एक है बाक़ी मज़हब और गुमराही के रास्ते बहुत हैं सिर्फ अल्लाह के दीन इस्लाम में निजात है दूसरे किसी मज़हब में नहीं _,* 

*★_ हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने हमारे सामने एक लकीर खींची और फरमाया यह अल्लाह का रास्ता है, फिर आपने उस लकीर के दाएं और बाएं बहुत सी लकीरें खींची और फरमाया यह भी रास्ते हैं, इनमें से हर एक रास्ते से शैतान गुमराह करता है, फिर आपने मज़कुरा बाला आयत पढ़कर (अपनी मिसाल की वजाहत) फरमाई _,"*
*🗂️_नसाई, मजमुअज़ ज़वाइद- 7/22,* 

*★_ हजरत जाबिर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि एक दिन रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम हमारे सामने तशरीफ लाए और फरमाया- मैंने ख्वाब में देखा गोया कि जिब्राइल अलैहिस्सलाम मेरे सरहाने के पास हैं और मीकाईल हैं मेरे पांव के पास, उन दोनों में से एक ने अपने साथी से कहा तुम इन (मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम) के लिए मिसाल बयान करो तो उसने (आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से मुखातिब होकर) कहा अपने कानों की पूरी तवज्जो से सुनो और अपने दिल की तवज्जो से गौर करो, आपकी मिसाल और आपकी उम्मत की मिसाल उस बादशाह की मिसाल जैसी है जिसने एक महल बनवाया हो, उसमें कई कमरे तामीर किए हों, फिर दस्तरखान बिछाया हो, फिर एक क़ासिद को रवाना किया हो कि वह लोगों को खाने की तरफ दावत दे, पस उनमें से कुछ लोगों ने क़ुबूल किया हो और कुछ ने इनकार किया हो _,"*
*"_ पस बादशाह तो अल्लाह ताला है, महल इस्लाम है और घर जन्नत है और ए मुहम्मद ! आप रसूल ( क़ासिद) हैं, पस जिसने आपकी दावत पर लब्बेक कही वह इस्लाम में दाखिल हो गया और जो इस्लाम में दाखिल हो गया वो जन्नत में दाखिल हो गया और जो जन्नत में दाखिल हो गया उसने इससे खाया जो कुछ इसमें मौजूद है _,"*
*🗂️_ सुनन तिर्मिज़ी- 2860,*

: *"_ जन्नत और दोज़ख का मुनाज़रा_,"* 
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ जन्नत और दोज़ख ने आपस में झगड़ा किया तो दोज़ख ने कहा मुझे जालिम जाबिर और मुतकब्बिर लोगों के साथ तरजीह दी गई है (कि अल्लाह इन लोगों को मेरे अंदर दाखिल फरमाएंगे)_,*
*"_और जन्नत ने कहा मैं भी कम नहीं हूं मेरे अंदर भी कमज़ोर और दुनिया के एतबार से घटिया (समझे जाने वाले) लोग दाखिल होंगे_,"*

*"_तो अल्लाह ताला ने (फैसला करते हुए) दोज़ख से फरमाया तू मेरा अज़ाब है मैं तेरे साथ जिसे चाहूंगा अज़ाब दुंगा _,*
*"_और जन्नत से फरमाया तू मेरी रहमत है मैं तेरे साथ जिसे चाहूंगा रहमत से नवाज़ुंगा और हां तुममें से हर एक के लिए पूरा पूरा भराव है _,"*

*"_पस दोज़ख की (क़यामत के दिन) यह हालत होगी कि वह सैर होने का नाम ना लेगी हत्ता कि अल्लाह ताला उसमें अपना पांव मुबारक रखेंगे और फरमाएंगे- बस बस, तो वह उस वक़्त जाकर के सैर होगी और उसका एक हिस्सा दूसरे में सिमट जाएगा मगर अल्लाह ताला किसी पर ज़ुल्म नहीं करेंगे (कि दोज़ख को भरने के लिए नाहक़ तौर पर लोगों को दोज़ख में डाल दें)*
*"_ और जन्नत की यह हालत होगी कि उस (को रिजाने) के लिए एक नई मखलूक़ पैदा करेंगे_,"*
*🗂️_ अब्दुररज्जा़क- 20893, बुखारी- 8/595, मिशकात- 5694,*
:
 *★"_ जन्नत कौन से दिनों में खोली जाती है_,"* 
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ जन्नत के दरवाज़े हर पीर और जुमेरात में खोले जाते हैं _,*
*🗂️_ अबु मुफर्रिद 114, मुस्लिम -2565, तिर्मिज़ी- 2023,*

*★"_ समर बिन अतिया रहमतुल्लाहि अलैहि फरमाते हैं अल्लाह ताला ने जन्नतुल फिरदोस को अपने दस्ते मुबारक से पैदा किया और उसको वह हर जुमेरात को खोलते हैं और फरमाते हैं तू मेरे औलिया (दोस्तों) के लिए अपनी पाकीज़गी में और बढ़ जा, मेरे औलिया (दोस्तों) के लिए हुस्न में और बढ़ जा _,"*
*🗂️ _ सफतुल जन्नह अबु न'ईम 228,*

*★"_हजरत समर बिन अतिया रहमतुल्लाहि अलैहि फरमाते हैं कि जन्नतुल फिरदौस हर जुमेरात और पीर को खोली जाती है फिर उस शख्स की बख्शीश कर दी जाती है जो अल्लाह ताला के साथ किसी को शरीक़ नहीं करता और उस शख्स की बख्शीश नहीं होती जिस के दरमियान और उसके भाई के दरमियान दुश्मनी हो_,"*
*🗂️ _ सफतुल जन्नह अबु न'ईम 228,*
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           *☞_ जन्नत के दरवाज़े _,*
*⚃➠फरमान ए खुदावंदी है ( सूरह ज़ुमर -73):-*
*"_ ( तर्जुमा) और जो लोग अपने रब से डरते थे वह गिरोह गिरोह होकर जन्नत की तरफ (शोक़ दिला कर जल्दी) रवाना किए जाएंगे यहां तक कि जब उस (जन्नत) के पास पहुंचेंगे और उसके दरवाज़े (पहले से खुले हुए पाएंगे ताकि जन्नत में दाखिल होने में ज़रा भी देर ना लगे)_,"* 

*⚃➠ हजरत इब्ने मस'ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- जन्नत के आठ दरवाज़े हैं सात बंद है एक तौबा के लिए खुला हुआ है यहां तक कि सूरज मगरिब से तुलू हो _,"*
*🗂️_ मजमाउज़ ज़वाइद 10/198, अबु न'ईम 169,*

*⚃➠हजरत उतबा बिन अब्द फरमाते हैं कि आन हजरत सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत के आठ दरवाज़े हैं और जहन्नम के सात_,"*
*🗂️_ अबू न'ईम -2/16,* 

*⚃➠(फायदा) इन दोनों हदीसों में जन्नत के आठ दरवाजों का ज़िक्र किया गया है, बाज़ उलमा ने जन्नत के आठ और जहन्नम के सात दरवाजों से इस्तदलाल फरमाया है कि चूंकि अल्लाह ताला की रहमत उसके गज़ब से वसी है इसलिए जन्नत के दरवाज़े जहन्नम के दरवाजों से ज्यादा है, क्योंकि जन्नत अल्लाह ताला की रहमत है और दोज़ख अल्लाह का अज़ाब है_,"*

*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 123,*
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*☞_ जन्नत के दरवाजों के नाम _,*
*⚃➠ हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम इरशाद फरमाया:- जन्नत के 8 दरवाज़े हैं:-* 
*(१)_बाबुल मुसल्लीन (नमाज़ियों का दरवाज़ा)*
*(२)_ बाबुल साइमीन (रोजे़दारों का दरवाज़ा)*
*(३)_ बाबुल सादिकी़न (सच बोलने वालों का दरवाज़ा)*
*(४)_ बाबुल मुसद्दिक़ीन (आपस में दोस्ती रखने वालों का दरवाज़ा)*
*(५)_ बाबुल का़नीतीन (आजिज़ी और ज़ारी दिखाने वालों का दरवाज़ा)*
*(६)_ बाबुल जा़किरीन (ज़िक्र करने वालों का दरवाज़ा)*
*(७)_ बाबुल साबिरीन (सब्र करने वालों का दरवाज़ा)*
*(८)_ बाबुल खाशिईन (आजिज़ी करने वालों का दरवाज़ा)*
*(९)_ बाबुल मुतवक्किलीन (तवक्कुल करने वालों का दरवाज़ा)*
*🗂️_ अबु न'ईम -2/16, दारमी -2416, सुनन बहीक़ी -9/124, मुसनद अहमद-4/185, कंज़ुल उम्माल -14/546,*

*⚃➠ शुरू हदीस में जन्नत के 8 दरवाजे़ बयान किए गए हैं जबकि इनकी तफसील में 9 दरवाजो़ं का ज़िक्र है या तो बाबुल का़नितीन और बाबुल खाशिईन से एक ही दरवाज़ा मुराद है और इसके 2 नाम ज़िक्र किए गए, "वल्लाहु आलम",*
*🗂️ _ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 124,* 
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                *☞ बाब रैयान _,"*
*⚃➠ हजरत सहल बिन सा'द फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत में एक दरवाज़ा है जिसका नाम रैयान है उससे सिर्फ रोजे़दार ही दाखिल होंगे, जब उनमें का आखरी शख्स दाखिल हो चुकेगा तो उसको बंद कर दिया जाएगा, फिर उससे कोई दाखिल ना हो सकेगा_,"*
*🗂️_ तज़किरतुल क़ुर्तुबी - 2/ 458, मुसनद अहमद-5/333, इब्ने माजा- 164,*

*⚃➠ (फायदा) रोज़ा तो नमाज़ पढ़ने वाले हजरात भी रखते हैं, शायद कि इस दरवाज़े से रोजे़दारों के गुज़रने की तखसीस उन रोजे़दारों के लिए होगी जो हमेशा रोज़े रखने वाले होंगे या खूब आदाब व तका़जो के मुताबिक फ़र्ज़ रोज़े रखते होंगे_,"*

*🗂️_जन्नत के हसीन मनाज़िर -125 ,*
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      *☞_ बाबुल फराह और ज़ुहा _,*
*⚃➠हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत का एक दरवाज़ा है जिसका नाम बाबुल फराह है इससे वही दाखिल होगा जो बच्चों को खुश रखेगा _,"*
*🗂️_ मुसनदुल फिरदोस- 4985,* 

*⚃➠हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत का एक दरवाज़ा है जिसका नाम बाबुल ज़ुहा है, जब क़यामत का दिन होगा एक मुनादी निदा करेगा कहां हैं वह लोग जो हमेशा सलातुल ज़ुहा (चाश्त की नमाज़) पढ़ने की पाबंदी करते थे ? यह आप हजरात का दरवाज़ा है अल्लाह ताला की रहमत के साथ इससे दाखिल हो जाओ _,"*
*🗂️_ मुसनदुल फ़िरदौस- 788, तरगीब-1/464,*
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   *☞_ हर अमल का एक दरवाज़ा _,"*
*⚃➠हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-हर तरह के अमल करने वाले के लिए जन्नत के दरवाज़ों में से एक दरवाज़ा है उसी अमल की वजह से उनको उससे बुलाया जाएगा _,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद- 2/449 मजमुअज़ ज़वाइद- 10/398,*

*⚃➠हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- क़यामत का दिन होगा तो इंसान को उसके अक्सर अमल के लिहाज़ से पुकारा जाएगा अगर उसकी नमाज़ अच्छी रोज़ा अच्छा था तो उससे पुकारा जाएगा, अगर उसका जिहाद अच्छा था तो उससे पुकारा जाएगा, हजरत अबू बकर रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया- या रसूलल्लाह ! क्या वहां कोई शख्स ऐसा भी होगा जिसको दो अमलों के साथ पुकारा जाएगा ? आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- हां आप होंगे_,"*
*🗂️_ मुसनद बिज़्ज़ार, मजमुअज़ ज़वाइद- 10/398,*
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        *☞ _ दरवाज़ों का हुस्न _,"*

*⚃➠ इरशाद ए खुदा बंदी है, "खुले हुए होंगे जन्नतियों के लिए (जन्नत) के दरवाज़े_,"* 
*"_इस आयत की तफसीर में हजरत हसन बसरी रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि उनका ज़ाहिर का हिस्सा अंदर से और अंदर का हिस्सा बाहर से नज़र आता होगा, जब उनको कहा जाएगा कि खुल जाओ बंद हो जाओ कुछ बोलो तो वह इन बातों को समझते होंगे और जन्नतियों से गुफ्तगू करते होंगे _,"*

*🗂️_ तफसीर हसन बसरी- 4/ 390, दुर्रे मंसूर- 5/318,* 
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*☞_ हुजूर सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम जन्नत का कुंडा खटखटाएंगे _,*
*⚃➠हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया - जन्नत के दरवाज़े का कुंडा सबसे पहले मैं हिलाउंगा और इसमें कोई फखर और तकब्बुर की बात नहीं _,"*
*🗂️_ तिर्मिजी़- 3216, अबू नईम -182,* 

*⚃➠(फायदा ) -शफा'त की तवील हदीस में हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- मैं जन्नत के दरवाज़े का कुंडा पकड़ुंगा और उसको खटखटाउंगा _,"*
*🗂️_ तिर्मिज़ी-3148, अबु न'ईम 183, हादी अल रवाह- 92,*

*⚃➠यह हदीस इस बात में बिल्कुल वाज़े है कि जन्नत के दरवाज़े के कुंंडे का जिस्म है जिसको खटखटाया जाएगा और उसमें हरकत पैदा होगी_,"*
*🗂️_ हादी अल रवाह- 92,*

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*☞ जन्नत में दाखिले के वक़्त बाब ए उम्मत पर रश_,*
*⚃➠सैयदना इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि आक़ा ए दो आलम सरवरे कायनात ने इरशाद फरमाया:- मेरी उम्मत का वह दरवाज़ा जिससे वह जन्नत में दाखिल होंगे उसकी चौड़ाई तेज़ तरीन सवार के तीन रात दिन के मुसलसल सफर के बराबर है, फिर उन लोगों की उस दरवाज़े पर (रश की वजह से) ऐसा हुजूम होगा करीब होगा कि उनके कंधे उतर जाएं _,"*
*🗂️_ तिर्मीजी़ 2548, कंजुल उम्माल 39311,* 

*⚃➠फायदा:- बाबे उम्मत का एक नाम बाबे रहमत भी है और इस उम्मत से मुराद हुजूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की उम्मत है जिन्होंने आपको तस्लीम किया और आपकी इत्तेबा की _,"*
*🗂️ फैज़ुल क़दीर शरह जामिया सगीर -3/192,*

*⚃➠एक हदीस में यह भी रिवायत है कि हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से नक़ल करते हैं कि मेरे पास हजरत जिब्राइल अलैहिस्सलाम तशरीफ लाए और मेरा हाथ पकड़ कर मुझे जन्नत का दरवाज़ा दिखाया जिसमें मेरी उम्मत दाखिल होगी_,"*
*🗂️_ सुनन अबु दाऊद 4652, मिशकात- 6024, कंज़ुल उम्माल -32551,*       
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  *☞_ जन्नत के दरवाज़े की चौड़ाई_,"*
*⚃➠ हजरत सहल बिन सा'द रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- मेरी उम्मत में से 70 हज़ार या 7 लाख, इन दोनों अदद में से एक मे रावी को शक है, एक दूसरे को थाम थाम कर जन्नत में दाखिल होंगे, उन्होंने एक दूसरे का हाथ पकड़ रखा होगा, उनमें पहला शख्स उस वक़्त तक जन्नत में दाखिल ना होगा जब तक कि उनमें का आखरी शख्स दाखिल ना होगा, उनके चेहरे चौधवी के चांद के जैसे होंगे _,"* 
*🗂️_ बुखारी (फताहुल बारी 11/416) मुस्लिम- 373, तरगीब व तरहीब 4/499,* 

*"_ फायदा:- इस हदीस से जन्नत के दरवाजो़ं की वुस'अत का अंदाजा लगाया जा सकता है, एक दरवाजे से एक वक्त में तक़रीबन 7 लाख आदमियों को गुजरने की वुस'अत है ,*

*⚃➠ हजरत हसन बसरी रहमतुल्लाह से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत के 8 दरवाज़े हैं उसके हर दरवाज़े के पाटों के दरमियान 40 साल (तक सफर करने) का फासला है_,"*
*🗂️_ ज़वाइद जुहद इब्ने मुबारक 1/ 535, कंज़ुल उम्माल 10/196,*       
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*☞ जन्नतियों को अपनी मंज़िल की पहचान_,"*
*⚃➠अल्लाह ता'ला इरशाद फरमाते हैं:-*
*"_जो लोग अल्लाह की राह में मारे जाते हैं अल्लाह ताला उनके आमाल को हरगिज़ ज़ाया ना करेगा, अल्लाह ताला उनको ( मंज़िल) मक़सूद तक पहुंचा देगा और उनकी हालत (क़ब्र और हशर और पुल सिरात और तमाम मौक़े आखिरत में ) दुरुस्त रखेगा और उनको जन्नत में दाखिल करेगा जिसकी उनको पहचान करा देगा (कि हर जन्नती अपने-अपने मुक़र्रह मकान पर बगैर किसी तलाश और तफसीस के बेतकल्लुफ़ जा पहुंचेगा)_," (सूरह मुहम्मद 4-5 -6)*

*⚃➠ हजरत मुजाहिद रह. इस आयत की तफसीर में फरमाते हैं कि जन्नत वाले अपने घरों को और अपने महल्लात को इस तरह से पहचानेंगे कि भूलेंगे नहीं गोया कि जबसे पैदा हुए उन्हीं महलों में रह रहे हो, उन महल्लात को किसी से नहीं पूछेंगे _," (तफसीरे मुजाहिद- 2/ 598)* •
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*☞_ अपनी बीवियों और घरों को जन्नती खुद बा खुद जानते होंगे_,*
*⚃➠हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- मुझे उस जा़त की क़सम जिसने मुझे हक़ के साथ मब'ऊस फरमाया है, तुम दुनिया में अपनी बीवियों और घरों को जन्नत वालों से ज़्यादा नहीं पहचानते जितना कि वह अपनी बीवियों और महल्लात को पहचानते होंगे जब वह जन्नत में दाखिल होंगे_,"*

*🗂️_ मुसनद इस्हाक़ बिन राहविया 669, तफसीर इब्ने कसीर 3/276,282,*
 
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*☞_ जन्नत में दाखिले का खूबसूरत मनाज़िर और इस्तक़बाल-*

*⚃➠जिस दिन हम नेक लोगों को वफद की शक्ल में रहमान का मेहमान बनाएंगे _," (सूरह मरियम- 85)*
*"_ इस आयत के मुताल्लिक हजरत अली रज़ियल्लाहु अन्हु ने जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से सवाल किया कि वफद तो सवार लोगों को कहा जाता हैं ? तो जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*

*"_ मुझे उस ज़ात की क़सम जिसके कब्ज़े मे मेरी जान है जब यह जन्नती लोग अपनी क़ब्रों से उठेंगे तो उनके इस्तक़बाल में सफेद ऊंट (सवारी के लिए) पेश किए जाएंगे जिनके पर लगे होंगे और उन पर सोने के कजावे (सजे) होंगे,*
*"_ उनकी जूतों का तस्मा नूर से चमकता होगा, उन ऊंटों का हर क़दम ता हद्दे नज़र तक पर पड़ता होगा, इस तरह से यह जन्नत तक पहुंचेंगे तो अचानक सुर्ख याकूत का कुंडा सोने के किवाड़ों पर नज़र आएगा और यह फौरन ही जन्नत के दरवाज़े के एक दरख्त पर पहुंचेंगे जिसकी जड़ से दो चश्मे फूट रहे होंगे _,"*

*⚃➠"_जब यह उसमें से एक चश्मे से पिएंगे उनके चेहरों पर नियामतों की चमक-दमक कौंद जाएगी और जब दूसरे चश्मे से (गुस्ल और) वज़ू करेंगे तो उनके बाल कभी परागंदा नहीं होंगे,*
*"_फिर यह जन्नत के कुंडे़ को किवाड़ पर हिलाएंगे तो काश कि ऐ अली तुम उस किवाड़ के कुंदे के हिलने की आवाज़ को सुन लो (कि कितना राहत और सरवर से लबरेज़ होगी) तो उस कुंड़े के हिलने की आवाज़ हर हूर तक पहुंचेगी जिससे उसको मालूम होगा कि उसका खाविंद अब आया ही चाहता है तो वह जल्दी में फुर्ती के साथ उठेगी और अपने मुतवल्ली (फरिश्ते) को रवाना करेंगी तो उस जन्नती के लिए (उसकी मखसूस जन्नत का) दरवाज़ा खुलेगा_,"*

*⚃➠अगर अल्लाह ताला उस जन्नती को ( मैदान ए महशर में अपनी ज़ियारत कराके ) अपनी पहचान ना कराते तो वह मुतवल्ली के नूर और आनाइ को देखकर (उसको खुदा समझ कर) सजदे में गिर जाता, चुनांचे वह फरिश्ता बताएगा कि मैं आपके कामों का मुतवल्ली और खादिम बनाया गया हूं, फिर वह उस जन्नती को अपने पीछे पीछे लेकर चलेगा तो वह उस फरिश्ते के पीछे पीछे चलता हुआ अपनी बीवी के पास पहुंच जाएगा,* 

*⚃➠तो वह जल्दी से उठेगी और खैमें से निकल कर उससे बगलगीर होगी और कहेगी आप मेरी मुहब्बत हो मैं आपकी मुहब्बत हूं, मैं राजी़ रहने वाली हूं, मैं कभी नाराज़ नहीं होउंगी, मैं नियामतों और लज़्ज़तों बोल में क़ायम दायम रहूंगी कभी खसता हाल नहीं होउंगी, मैं हमेशा नौजवान रहूंगी, कभी बूढ़ी नहीं होऊंगी _,"*

*⚃➠फिर वह ऐसे महल में दाखिल होगा जिसकी बुनियाद से लेकर छत तक एक लाख हाथ की ऊंचाई होगी, जो लोलो और याक़ूत के पहाड़ पर बनाया गया होगा, उसके कुछ सुतून सुर्ख होंगे और कुछ सुतून सब्ज़ होंगे और कुछ सुतून ज़र्द होंगे, उनमें से कोई सुतून भी दूसरे सुतून की हमशक्ल नहीं होगा,*

*⚃➠फिर वह (जन्नती) अपने आरास्ता पैरास्ता तख्त के पास आएगा तो उस पर एक (और मखसू तख्त होगा जिस पर 70 पलंग अलग-अलग सजे होंगे, जिन पर 70 दुल्हनें होंगी, हर दुल्हन पर 70 पोशाके होंगी (फिर भी) उनकी पिंडली का गूदा जिल्द (और पोशाकों) के अंदर से नज़र आता होगा, जन्नती उनके साथ सोहबत को एक रात की मिकदार में पूरा कर सकेगा,*

*⚃➠ उन जन्नतियों के महल्लात के नीचे नहरें बहती होंगी ऐसे पानी की नहरें जो पाक़ीज़ा और साफ होंगी उसमें कोई गदलापन नहीं होगा और कुछ नेहरें साफ-सुथरे शहद की होंगी जो शहद की मक्खियों के पेट से नहीं निकला होगा और कुछ नेहरें ऐसी शराब की होंगी जो पीने वालों के लिए सरापा लज्ज़त होगी उसको लोगों ने अपने पांव तले रौंद कर नहीं निचौड़ा होगा और कुछ नेहरें ऐसे दूध की होंगी जिनका जा़यका़ कभी तब्दील नहीं होगा और यह जानवरों के पैटों से नहीं निकला होगा _,*

*⚃➠जब यह खाने की ख्वाहिश करेगा उनके पास सफेद रंग के परिंदे आएंगे अपने परों को ऊपर उठाएंगे तो यह उनके अतराफ से खाएंगे जौनसे क़िस्म (के खाने) चाहेंगे, फिर (जब जन्नती खा चुके होंगे तो) वह उड़ कर चले जाएंगे_,"*

*⚃➠जन्नत में फल भी होंगे (बोझ से) झुके हुए जब जन्नती उनकी ख्वाहिश करेंगे तो वह टहनी खुद उनकी तरफ मुड़ जाएंगी तो वह जिस कि़स्म के फल चाहेंगे खाएंगे खड़े होकर चाहे बैठकर चाहे टेक लगाकर,* 
*"_इसी के मुताल्लिक अल्लाह ताला का इरशाद है :- (और उन जन्नतियों के मेवे झुके हुए हैं) और उन जन्नत वालों के खादिम मोतियों की तरह (खूबसूरत और हसीन होंगे)_,"*
*🗂️_ हादी अल रवाह- 198,**
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*☞_ अजीमुश्शान ऊंटों की सवारियां _,*

*⚃➠ आयत मुबारक :- "जिस दिन हम उनके लोगों को वफद की शक्ल में रहमान का मेहमान बनाएंगे _," (सूरह मरियम-85 ) की तफसीर में हजरत नोमान बिन सा'द रह. बयान फरमाते हैं:-*
*"_ तुम्हें मालूम होना चाहिए अल्लाह की क़सम उन हज़रात को वफद की शक्ल में पैदल नहीं चलाया जाएगा बल्कि उनके पास ऐसे ऊंट लाए जाएंगे जिनकी मिस्ल कभी किसी मखलूक़ ने नहीं देखी, उन पर कजावे सोने के होंगे और लगामें ज़बर जद की होंगी (यह इस शान व शौकत के साथ ) उन पर सवार होकर आएंगे और (अपनी अपनी) जन्नत का दरवाज़ा खट खटाएंगे_,"*

*🗂️ _हादी अल रवाह- 199 दुर्रे मंसूर 4/285,*       
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*☞_ जन्नत की तरफ गिरोह दर गिरोह_,*

*⚃➠ हजरत अली रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जिन लोगों ने अल्लाह ताला से तक़वा अख्तियार किया उनको जन्नत की तरफ गिरोह दर गिरोह लाया जाएगा जब यह जन्नत के दरवाजों में से एक दरवाज़े पर पहुंचेंगे वहां पर एक दरख्त को देखेंगे जिसकी जड़ से दो चश्मे जारी हो रहे होंगे तब यह लोग उनमें से किसी एक की तरफ ऐसी तेज़ी से के साथ जाएंगे गोया उनको वहां जाने का हुक्म दिया गया है,* 
*"_यह उसे पिएंगे तो जो कुछ उनके पेटो में तकलीफ, गंदगी या बीमारी होगी खत्म हो जाएगी, फिर यह दूसरे चश्मे की तरफ जाएंगे और उससे गुस्ल करेंगे तो उन पर नियामतों की बहार आ जाएगी और उनके जिस्मों में इसके बाद कोई तग़य्युर तबद्दल नहीं होगा और ना ही उनके बाल परागंदा होंगे (बल्कि ऐसे महसूस होंगे) गोया कि उन्होंने तेल लगा (कर बालों को सुलझा) रखा है_,"* 

*⚃➠ फिर यह जन्नत के दरबानों तक पहुंचेंगे तो वह (दरबान बतौर इकराम और सना के) कहेंगे "अस्सलामु अलैकुम तुम मजे में रहो, सो इस (जन्नत) में हमेशा रहने के लिए दाखिल हो जाओ", फिर उनका इस्तक़बाल लड़के करेंगे और वह इस तरह से उनके गिर्द घूमते होंगे जिस तरह से दुनिया वालों के बच्चे (खुशी के मारे) उस दोस्त के गिर्द घूमते हैं जो काफी अर्से के बाद वापस आया हो और यह कहेंगे कि आप खुश हो जाएं उस इनाम व इकराम से जो अल्लाह ताला ने आपके लिए तैयार किया है,* 

*⚃➠ फिर उन लड़कों में से एक लड़का उस जन्नती की हूरेन बीवियों में से किसी एक के पास जाकर कहेगा, वह फलां आ गया है, फिर वह उस जन्नती का वो नाम लेगा जिसके साथ वह दुनिया में बुलाया और पुकारा जाता था, तो वह कहेगी क्या तूने उसको देखा है? तो वह कहेगा (हां हां) मैंने उसको देखा है वह मेरे पीछे आ रहा है,*
*"_ चुनांचे उन हूरों में से एक खुशी से उछल कर उठेगी हत्ताकि अपने दरवाज़े की चौखट तक आ जाएगी_,"*

*⚃➠जब यह जन्नती अपने (एक) महल तक पहुंचेगा तो उसकी तामीर की बुनियाद पर निगाह दौड़ाएगा तो वह की़मती मोती की चट्टान होगी जिसके ऊपर सब्ज़ और ज़र्द और सुर्ख और हर रंग का एक महल क़ायम होगा, फिर वह अपनी निगाह महल की छत पर डालेगा तो वह बिजली की तरह (मुनव्वर) होगी अगर अल्लाह ताला ने उसको देख कर बर्दाश्त करने की जन्नती में कू़वत ना रखी होती तो वह (बिजली की चमक से) अपनी आंखों के अंधे होने की तकलीफ से दो-चार हो जाता _,"*

*⚃➠फिर वह अपना सर घुमाएगा तो अपनी बीवी को देखेगा और चुने हुए आबखोरों को देखेगा और बराबर बिछे हुए गलीचों को देखेगा और जगह-जगह फैले हुए रेशम के निहालचों को देखेगा फिर यह उन नियामतों को देखकर और टेक लगाकर कहेगा:-*
*"_ शुक्र है अल्लाह ताला का जिसने हमको यहां तक पहुंचा दिया, अगर अल्लाह ताला हमें हिदायत अता ना करते तो हम यहां तक कभी नहीं पहुंच सकते थे _,"*

*⚃➠ फिर (जब सब जन्नती अपनी अपनी जन्नतों में पहुंच जाएंगे तो) एक मुनादी निदा करेगा तुम यहां ज़िंदा रहोगे कभी नहीं मरोगे, तुम हमेशा जवान रहोगे कभी बूढ़े नहीं होंगे, तुम हमेशा तंदुरुस्त रहोगे कभी बीमार नहीं होंगे_,*
*🗂️_हादी अल रवाह-199, अबु नईम 2/128,* 
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*☞ _जन्नत में मौत होती तो खुशी से मर जाते _,"*

*⚃➠हजरत हमीद बिन हिलाल फरमाते हैं कि हमें यह बयान किया गया कि इंसान जन्नत में दाखिल होगा तो उसकी शक्ल जन्नत वालों की सी बना दी जाएगी और उनका लिबास पहनाया जाएगा और उनके ज़ेवर पहनाए जाएंगे और उसको उसकी बीवियां और खिदमतगार दिखाए जाएंगे तो वह खुशी से ऐसा मतवाला होगा कि अगर मौत आना होती तो वह खुशी से मतवाला होने से मर जाता _,"*

*⚃➠लेकिन उसको कहा जाएगा क्या तूने अपनी इस खुशी की हालत को देखा है यह तेरे लिए हमेशा क़ायम रहेगी ( बल्कि और बढ़ेगी, कम ना होगी)_,"*
*🗂️_ ज़वाइद जुहद इब्ने मुबारक- 429 अबु नईम- 2/ 139,* •
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*☞_सत्तर हज़ार खादिम इस्तक़बाल करेंगे _,*
*⚃➠हजरत अबु अब्दुर्रहमान जेली रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि जब इंसान पहली पहल जन्नत में दाखिल होगा तो 70 हज़ार खादिम उसका इस्तक़बाल करेंगे (उनकी शक्लें ऐसी होंगी) गोया कि वह ( बिखरे हुए) मोती हैं_,"*

*⚃➠अबु अब्दुर्रहमान मा'फरी रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि जन्नती के लिए उसके इस्तक़बाल में दो सफें बनाई जाएंगी वह उन लड़कों और खादिमों की उन दोनों सफों के आखरी किनारों को (तवील सफ होने की वजह से) नहीं देख सकेगा हत्ताकि जब यह उन के दरमियान से गुज़रेगा तो यह गुलामान उसके पीछे-पीछे चलेंगे_,"*

*🗂️ ज़वाइद जुहद इब्ने मुबारक 429, अबु नईम 2/139,*
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*☞ _फरिश्ता जन्नत की सैर कराएगा _,*
*⚃➠हजरत ज़हाक़ रहमतुल्लाह फरमाते हैं जब मोमिन जन्नत में दाखिल होगा तो उसके आगे एक फरिश्ता दाखिल होगा जो उसको जन्नत की गलियों की सैर कराएगा और उसे कहेगा- देख लें आप जितना देख सकते हैं, वह कहेगा- मैंने अक्सर महल्लात चांदी और सोने के और बहुत से हमदान देखे हैं_, तो वह फरिश्ता उसको कहेगा- यह सब आपके लिए हैं,*

*➠ हत्ताकि जब यह उनके पास पहुंचेगा तो वह हर दरवाज़े से और हर जगह से उसका इस्तक़बाल करेंगे और कहेंगे- हम आपके लिए हैं, हम आपके लिए हैं,* 
*"_फिर वह फरिश्ता जन्नती को कहेगा- चलिए, फिर पूछेगा आपने (अब) क्या देखा ? तो वह कहेगा- मैंने अक्सर रिहाइश गाहें खैमों की शक्ल में और बहुत से हमदान देखे हैं, तो वह कहेगा- यह सब आपके लिए हैं_,"*

*"_जब यह उनके क़रीब जाएगा तो वह सब उसका इस्तक़बाल करेंगे और कहेंगे -हम आपके लिए हैं हम आपके लिए हैं _,"*
*🗂️_ हादी अल रवाह- 301, बा हवाला अबु न'ईम, तिर्मिज़ी 2546,*
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*☞_ तीस साल की उम्र में होंगे _,*
*⚃➠हजरत माज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु ने जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से इरशाद फरमाते हुए सुना:- जन्नती जन्नत में इस हालत में जाएंगे कि उनके जिस्मों पर बाल नहीं होंगे, उनके दाढ़ी भी नहीं होगी, आंखों की पुतलियां और सुरमा लगाने की जगहें सुरमिगीं होंगी, तीस साल की उम्र में होंगे _,"* 

*"_(फायदा) यानी सिर्फ मर्दों और औरतों के सर के बाल होंगे बाक़ी जिस्म बालों से साफ होगा_,"* 

*🗂️_ मजमुआ अज़ ज़वाइद-10/398 बा हवाला मुसनद अहमद,*
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*☞_ जन्नत में जाने की इजाज़त पर खुशी से अक़ल जाने का ख़तरा_,"*
*⚃➠हजरत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु के खादिम हजरत कसीर बिन अबी कसीर रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि हर एक जन्नती इंसान के साथ एक फरिश्ता मुक़र्रर किया जाएगा, जब जन्नती को जन्नत की खुशखबरी सुनाई जाएगी और बताया जाएगा कि आपके लिए जन्नत का फैसला किया गया है तो फरिश्ता उसके दिल पर हाथ रखेगा_,"*

*"_ अगर वह ऐसा ना करें तो जो इंतेहा की खुशी उस मोमिन को पहुंचेगी उस खुशी के मारे जो चीज़ उसके सर में हैं ( यानी अक़ल) वह निकल जाए (और इंसान दीवाना हो जाए)_,"* 

*🗂️ _ जन्नत के हसीन मनाज़िर -175,* •
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*☞_ जन्नत में दाखिले के बाद के ऐलानात व इनामात -,*
*⚃➠हजरत अबु सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु और हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हू से रिवायत है कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया - एक मुनादी निदा करेगा तुम्हारे लिए यह तय किया गया है कि तुम सेहतमंद रहोगे कभी बीमार नहीं होंगे और तुम्हारे लिए यह भी तय किया गया है कि तुम जिंदा रहोगे कभी नहीं मरोगे और तुम्हारे लिए यह भी तय किया गया है कि तुम जवान रहोगे कभी बूढ़े नहीं होंगे और तुम्हारे लिए यह भी तय किया गया है कि नियामतों में ही रहोगे कभी खसता हाल नहीं होंगे_,"*
*"_अल्लाह ताला का इसके मुताल्लिक़ इरशाद है कि इन (जन्नत वालों) से पुकार कर कहा जाएगा कि यह जन्नत तुम को दी गई है तुम्हारे आमाल (हसना और सही अका़इद) के बदले में_," (सूरह आराफ 43)_,*
*🗂️_ मुस्लिम 2837, तिर्मीजी 3346,*

*⚃➠हजरत सुहेब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया- जब जन्नती जन्नत में और दोज़खी दोजख में दाखिल हो जाएंगे तो एक मुनादी पुकार कर कहेगा ऐ जन्नत वालो ! तुम्हारे लिए अल्लाह के पास एक वादा है, वह पूछेंगे कौन सा वादा ? क्या उसने हमारी नेकियों को वज़नी नहीं किया और हमारे चेहरों को रोशन नहीं किया और हमें जन्नत में दाखिल नहीं किया और हमें दोजख से निजात नहीं दी ?*
*"_तो अल्लाह ताला अपना पर्दा हटाएंगे और वह (जन्नती ) अल्लाह ताला का दीदार करेंगे, क़सम बाखुदा ! अल्लाह ताला ने जन्नत वालों को अपने दीदार से ज्यादा महबूब कोई नियामत ऐसी आता नहीं फरमाई जो जन्नत वालों को इससे ज़्यादा महबूब हो_,"*
*🗂️_ मुस्लिम 181, मुसनद अहमद 4 /332, इब्ने माजा 187,*
     
*⚃➠ हजरत आबू तमीमा रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि मैंने जनाब अबू मूसा अश'अरी रज़ियल्लाहु अन्हु से सुना जब आप बसरा के मिंबर पर खुतबा फरमा रहे थे, आप फरमा रहे थे :-*
*"_ अल्लाह ताला क़यामत के दिन जन्नत वालों के पास एक फरिश्ता रवाना करेंगे, वह फरिश्ता पूछेगा ऐ जन्नत वालों ! जो वादा अल्लाह ताला ने तुमसे किया था उसको तुमसे पूरा कर दिया ? तो वह गौर करेंगे, फिर ज़ेवरों, पोशाकों, नेहरों और पाक़ीज़ा बीवियों को देखेंगे तो कहेंगे कि हां अल्लाह ताला ने हमसे जो वादा किया था उसको हमारे लिए पूरा करवा दिया है, (मोहब्बत में) जन्नती यह बात 3 मर्तबा कहेंगे_,"* 

*"_फिर दोबारा देखेंगे तो जिस जिस चीज़ का वादा हमसे किया गया था उससे कोई चीज़ कम नहीं पाएंगे, फिर कहेंगे हां (अल्लाह ताला ने अपना वादा पूरा फरमाया है)* 

*"_तो वह फरिश्ता कहेगा कि एक नियामत बाक़ी रह गई है, अल्लाह ताला ने इरशाद फरमाया है:- (तर्जुमा) वह लोग जिन्होंने नेक आमाल किए उनके लिए जन्नत है और अल्लाह ताला के चेहरे मुबारक की ज़ियारत और दीदार है_," (सूरह यूनुस 26)* 
*🗂️_ ज़वाइद जुहद इब्ने मुबारक 419, हादी अल रवाह-217,*
      
*⚃➠हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- अल्लाह तबारक व ताला जन्नतियों से फरमाएंगे, ऐ जन्नत वालों ! वो अर्ज़ करेंगे- लब्बेक व सादिक हमारे परवरदिगार,*
*"_ अल्लाह ताला पूछेगा- क्या राज़ी हो गए ? वो अर्ज़ करेंगे- हम क्यों ना राज़ी हो जबकि आपने हमें वह कुछ अता फरमाया जो आपने अपनी मखलूक में किसी ओर को अता नहीं किया,*

*"_ अल्लाह ताला इरशाद फरमाएंगे- मैं तुम्हें इससे भी अफज़ल नियामत अता करना चाहता हूं, वह पूछेंगे- ऐ हमारे परवरदिगार इससे ज्यादा अफ़ज़ल और कौनसी नियामत है ?*
*"_ अल्लाह ताला इरशाद फरमाएंगे- मैं तुम पर अपनी रजा़मंदी को नाज़िल करता हूं अब इसके बाद मैं तुम पर कभी नाराज़ी और गुस्सा नहीं करूंगा _,"*
*🗂️_ बुखारी- 4549, मुस्लिम- 2829,* 
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*☞_ काफिरों की मनाज़िले जन्नत मुसलमानों को विरासत में दे दी जाएंगी_,* 
*⚃➠हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया- तुममे से हर आदमी की दो मंजिलें हैं एक मंजिल जन्नत में है और एक दोजख में है,*

*"_ जब (कोई काफिर) मर जाता है और दोजख में दाखिल हो जाता है तो जन्नत वाले उसकी (जन्नत की) मंज़िल के वारिस हो जाते हैं, इसके मुताल्लिक़ अल्लाह ताला का इरशाद है कि यही लोग ही वारिस हैं (जो जन्नतुल फिरदोस के वारिस बनेंगे)_,"*
*🗂️_ तज़किरह - २/४३५, सुनन इब्ने माजा- ४३४१,*
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*☞_ जन्नत में दाखिल होने के बाद कलमाते शुक्र,*
*⚃➠ हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जन्नती जब जन्नत में दाखिल होकर अपने अपने मुका़मात पर पहुंच जाएंगे तो यह कहेंगे "सब तारीफें अल्लाह के लिए हैं जिसने हमसे रंजो गम को दूर किया_,"*
*" इस रंजो गम से मुराद यह होगी कि हमने मैदाने महशर में जो हौलनाकिया, जलजले, सख्तियां और करहानाकियां देखी हैं, (उनसे महफूज़ रहने और जन्नत जैसी पुर आशाइश मंज़िल में पहुंच जाने पर हम अल्लाह ताला का शुक्र अदा करते हैं)*
 
*"_इसके बाद वह कहेंगे "बेशक हमारा रब बख़्शीश करने वाला क़दरदान है उसने हमारे बड़े बड़े गुनाह माफ कर दिए और हमारे नेक आमाल की क़दरदानी करते हुए हमें आराम व राहत अता की _,"*
*🗂️_ अबु नईम-२/१२०(२७२)*

*⚃➠ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ हर दोज़खी को उसका जन्नत का ठिकाना दिखाया जाएगा तो वह कहेगा काश कि अल्लाह ताला मुझे हिदायत देते (और मैं इस में दाखिल होता) चुनांचे उस जन्नत से मेहरूमी की हसरत उस पर सवार रहेगी_,"* 
*"_हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि (इस तरह से) हर जन्नती को उसका दोजख़ का ठिकाना दिखाया जाएगा तो कहेगा अगर अल्लाह ताला मुझे हिदायत ना देते (तो मैं आज इसी जगह दोजख में होता) पस यह उसके लिए शुक्र का मुका़म होगा _,"*
*🗂️_ मजमुअज़ ज़वाइद-10/399,*,
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*☞ _आन हजरत सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की आलीशान जन्नत,*
*⚃➠ जनाब अब्दुल्लाह बिन अमरु बिन आस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे सैयदना दो आलम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_जब तुम मोअज़्ज़िन से (अज़ान) सुनो तो वैसे ही (कलमात) कहो जो वह कहे फिर मुझ पर दरूद भेजो, फिर मेरे लिए अल्लाह ताला से (मुका़म) वसीला का सवाल करो क्योंकि यह जन्नत में एक दर्जा है जो अल्लाह के बंदों में से सिर्फ एक बंदे का लायक़ है और मुझे उम्मीद है कि वह मैं होऊंगा _,"*

*"_ पस जिस (मुसलमान) ने मेरे लिए (मक़ाम) वसीला की दुआ की उसके लिए (क़यामत के दिन मेरी) शफा'अत लाज़िम होगी _,"*
*🗂️ _ मुसनद अहमद 2/148, मुस्लिम, अबु दाऊद- 533, तिर्मिज़ी 3614,* •
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*☞_ अंबिया शोहदा और सिद्दिक़ीन की जन्नत*
*⚃➠ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- जन्नते अद्न में सिर्फ अंबिया किराम और हजरात सिद्दीकी़न दाखिल होंगे, उसे जन्नत में ऐसी ऐसी नियामतें होंगी जिनको किसी शख्स ने नहीं देखा और ना किसी इंसान के वहम व गुमान में उनका ख्याल गुज़रा होगा_,"*.
*🗂️ तिबरानी, मजमुअज़ ज़वाइद-,* 

*⚃➠ अल्लाह ताला के नजदीक शहीद के लिए छ: इनामात है, खून के पहले क़तरे के गिरते ही उसकी मग्फिरत कर दी जाती है, जन्नत में उसको उसका ठिकाना दिखाया जाता है, उसको ईमान की पोशाक पहना दी जाती है, उसको अजा़बे कब्र से महफूज़ कर दिया जाता है, (क़यामत के दिन) बड़ी घबराहट के वक्त अमन में होगा, उसके ताज का एक मोती दुनिया व माफीहा से ज़्यादा कीमती है, उसकी शादी 72 हूरों से की जाएंगी और उसके 70 क़रीबी रिश्तेदारों के हक़ में उसकी शफा'त क़ुबूल की जाएगी और उनको उसकी शफा'त की वजह से जन्नत में दाखिल किया जाएगा _,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद-4/131 मजमुअज़ ज़वाइद-5/293,*

*⚃➠ हजरत अबू दर्दा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया - अल्लाह तबारक व ताला हर रात की दूसरी घड़ी में जन्नते अद्न की तरफ नुज़ूल फरमाते हैं यह (जन्नते अद्न) अल्लाह ताला का बनाया हुआ ऐसा घर है जिसको ना तो किसी आंख ने देखा है और ना किसी इंसान के वहम व गुमान में आया है, यह उसका मसकन है और उसके साथ इंसानों में से कोई नहीं रह सकता सिवाय 3 क़िस्म के हज़रात के (१) अंबिया अलैहिस्सलाम (२) हजरात सिद्दीकी़न (३) शोहदा _,"*
*🗂️_ तिबरानी, मजमुअज़ ज़वाइद-10/412,*
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*☞_ अदना जन्नती के मनाज़िल और दरजात*
*⚃➠ हजरत मुगीरा बिन शोबा रज़ियल्लाहु अन्हु ने जनाब ए नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से रिवायत किया है- हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने अपने परवरदिगार से सवाल किया कि जन्नत में सबसे अदना दर्जे का कौन सा जन्नती होगा? अल्लाह ताला ने फरमाया- वह शख्स जो जन्नतियों के जन्नत में दाखिल हो जाने के बाद पेश होगा, उसको हुक्म दिया जाएगा कि तू भी जन्नत में दाखिल हो जा, वह अर्ज़ करेगा- या रब किस तरह जबकि लोग अपनी अपनी मंज़िल तक पहुंच गए हैं और अपने अपने इनामात और मुक़ामात हासिल कर चुके हैं, उससे कहा जाएगा- क्या तू इस पर राज़ी है कि तुझे दुनिया के बादशाहों में से एक बादशाह की सल्तनत के बराबर जन्नत दे दी जाए ? वह अर्ज़ करेगा- ऐ रब मै राज़ी हूं _,"*

*"_फिर अल्लाह ताला उससे फरमाएगा -तुम्हें यह भी दिया और इतना और, और इतना, और इतना, और इतना और (जब अल्लाह ताला पांचवी मिस्ल का फरमाएंगे) तो वह बोल उठेगा- या रब मैं राज़ी हो गया, अल्लाह ताला फरमाएगा (जा) यह सब तेरे लिए हैं और इसका दस गुना मज़ीद भी, और तेरे वह भी है जो तेरा दिल चाहे और तेरी आंखों को लज़्ज़त पहुंचे _,"*
*"_ वह अर्ज़ करेगा- मैं राज़ी हो गया (मैं राज़ी हो गया )"*

*"_हजरत मूसा अलैहिस्सलाम ने अर्ज़ किया- ऐ रब उन जन्नतियों में से आला दर्ज़ा का कौन होगा ? इरशाद फरमाया -वह लोग जो मेरी मुराद हैं, जिनको मैंने चाहा है, उनकी इज़्ज़त व शान में इजा़फे के लिए मैंने अपने हाथों से (जन्नत के) बागात सजाए हैं और उन पर (उन मुस्तकी़न के लिए तक़सीम कर के) मोहरे लगा दी हैं जिनको ना किसी आंख ने देखा है ना किसी कान ने सुना है और ना ही किसी इंसान के दिल से उसका कोई ख्याल गुज़रा है_,"*
*🗂️_ मुस्लिम- 189, इब्ने कसीर -41, तरगीब व तरहीब- 4/501,*
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*☞_ अदना जन्नती को दस हज़ार खादिम_,*
*⚃➠हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैंने जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम से सुना आपने इरशाद फरमाया:-*
*"_ तमाम जन्नतियों में सबसे कम दर्जे का जन्नती वह होगा जिस की खिदमत में 10 हज़ार खादिम कमर बस्ता होंगे, हर एक के हाथ में दो दो प्याले होंगे एक सोने का दूसरा चांदी का, फिर हर एक में ऐसे रंग का खाना होगा कि उस तरह का दूसरे में नहीं होगा,* 

*"_उसके आखिर से भी वैसे ही (दिलचस्पी) से खाएगा जिस तरह उसके शुरू से खाएगा, उसके आखिर में ऐसी खुशबू और लज़्ज़त पाएगा जैसा कि उसके शुरू में पाएगा,*

*"_फिर उसका यह खाना खालिस मुश्क बनकर (पसीने की शक्ल में) निकलेगा, ना तो यह पेशाब करते होंगे ना पाखाना, ना ही बलगम फेंकते होंगे, भाई भाई होंगे, तख्तों पर एक दूसरे के सामने बैठते होंगे _,"*
*🗂️_ मजमुअज़ ज़वाइद-10/401 तरगीब व तरहीब-4/508,*
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*☞ अदना जन्नती की जाह व हशमत और क़दरो मनाज़िलत _,*
*⚃➠ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- अदना दर्जे के जन्नती के जन्नत के सात दरजात होंगे, यह छठे पर रहता होगा, उसके ऊपर सातवा दर्जा होगा,*

*"_उसके तीन सौ खादिम होंगे, उसके सामने रोज़ाना सुबह-शाम सोने चांदी के 300 प्याले खाने के पेश किए जाएंगे, हर एक प्याले में ऐसे क़िस्म का खाना होगा जो दूसरे में नहीं होगा और जन्नती उसके शुरू में ऐसे ही लज़्ज़त पाएगा जैसे कि उसके आखिर से, और वह यह कहता होगा- या रब अगर आप मुझे इजाज़त दें तो मैं तमाम जन्नत वालों को खिलाऊं और पिलाऊं जो कुछ मेरे पास है, उसमें कमी ना होगी,*

*"_उसकी हूरेन में से 72 बीवियां होंगी उनमें से हर एक की सुरीन ज़मीन पर एक मील के बराबर होगी _,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद- 2/ 537 मज़मुअज़ ज़वाइद- 10/400 ,*
         
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*☞_ एक हज़ार अज़ीमुशशान महल्लात_,*
*⚃➠हजरत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत की गई है कि आपने फरमाया:-"_ अदना दर्जे का जन्नती वह होगा जिसके एक हज़ार महल्लात होंगे, हर दो महल्लात के दरमियान में एक साल तक चलने का फैसला होगा, यह जन्नती उनके दूर के हिस्से को भी वैसे ही देखता होगा जिस तरह से उस उनके क़रीब के हिस्से को देखता होगा _,"*

*"_हर महल में हूरेन होंगी, फूलदार पौधे होंगे, (खिदमतगार) लड़के होंगे, जिस चीज़ की ख्वाहिश करेगा उसको पेश कर दी जाएगी_,"* 
*🗂️_ तरगीब व तरहीब, मुसन्निफ़ इब्ने अबी शैबा, सफतुल जन्नाह इब्ने अबिद दुनिया- 34,*

*⚃➠जन्नतियों में से अदना दर्जे़ का शख्स वह होगा जिसके सात महल्लात होंगे, एक सोने का होगा, एक महल चांदी का होगा, एक महल मोती का होगा, एक महल ज़मर्रुद का होगा, एक महल याक़ूत का होगा, एक महल ऐसा होगा जिसका आंखें इदराक नहीं कर सकेंगी, एक महल अर्श के रंग का होगा, हर महल में ज़ेवरात और पोशाकें और हूरेन होंगी जिन को अल्लाह ताला के अलावा कोई नहीं जानता_,"*
*🗂️ _तज़किरतुल कुर्तुबी 491,* 
        
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*☞_ कम अमल औलाद और बीवी अपने ज़्यादा अमल वाले वालिद और शौहर के दर्जे में जन्नत में जाएंगे _,*
*⚃➠अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं:- (तर्जुमा) और जो लोग इमान लाए और उनकी औलाद ने भी ईमान में उनका साथ दिया हम उनकी औलाद को भी उनके साथ शामिल कर देंगे और हम उनके अमल में से कोई चीज़ कम नहीं करेंगे हर शख्स अपने आमाल में महबूस ( क़ैद) रहेगा_," (सूरह अत -तूर :21)* 

*☞_ औलाद वालदेन के दर्जे जन्नत में _,*
*⚃➠हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- अल्लाह तबारक व ताला मोमिन की औलाद को मोमिन के दर्जे में उसके साथ मिला देंगे अगरचे वह (नेक) अमल में उससे कम (दर्जा हों ताकि उनके क़रीब करने) से उसकी आंखें ठंडी हों _,"* 
*🗂️_ हाकिम- 2/468, मजमुअज़ ज़वाइद-7/468,*

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*☞_ औलाद और बीवी, वालिद और शौहर के दर्जे की जन्नत में_,*
*⚃➠शरीक सालिम से सईद बिन जुबेर व इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हुम से रिवायत करते हैं शरीक ( रावी) फरमाते हैं कि मेरा गुमान है कि इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु ने इस हदीस को हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से नक़ल किया था कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया- जब आदमी जन्नत में दाखिल होगा तो अपने वालदेन और बीवी बच्चों के मुताल्लिक़ पूछेगा (कि वह कहां है?) तो उसको बताया जाएगा कि वह (नेक आमाल करके ) आपके दर्जे तक नहीं पहुंचे,*

*"_ तो वह अर्ज़ करेगा - या रब मैंने तो अपने लिए और उनके लिए (सबके लिए) अमल किया था (ताकि आप अपने फज़ल के साथ उनको भी मेरे साथ जन्नत में जगह आता फरमाएंगे )*
*"_चुनांचे उन सब हजरात को उस जन्नती के साथ दर्जात में पहुंचा दिया जाएगा _,"*

*"_फिर हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु ने यह आयत तिलावत फरमाई (तर्जुमा) वह लोग जो ईमान लाए और उनकी औलाद ने भी ईमान में उनका साथ दिया ( तो हम उनकी औलाद को भी उनके साथ जन्नत में शामिल कर देंगे )_,"*.
*🗂️_ तबरानी फि अल-सगीर 640, व अल कबीर- 12248, मजमुआ अज़्ज़वाइद-7/114,*
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*☞_ कम अमल वालदेन ज़्यादा अमल की औलाद की जन्नत के दर्जे में,*
*⚃➠कल्बी हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत करते हैं कि अगर वालदेन औलाद के मुक़ाबले में आला दर्जे में होंगे तो उनकी औलाद को उनके वालदेन के दर्जे में फाइज़ किया जाएगा और अगर बेटे वालदेन से मर्तबा में बड़े हुए होंगे तो वालदेन को उन बेटों के दर्जे में फाइज़ किया जाएगा _,"*
*🗂️_ हादी अल- रवाह- 482,*

*⚃➠ हजरत स'ईद बिन जुबेर रज़ियल्लाहु अन्हु से मोमिन की औलाद के मुताल्लिक़ सवाल किया गया तो फरमाया - वह अपने वालदैन में से बेहतर के पास होंगे, अगर बाप मां से बेहतर था तो वह बाप के साथ होंगे और अगर मां बाप से बेहतर थी तो मां के साथ होंगे_,"*
*🗂️ _बा-हवाला अबू नईम,*
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*☞_ औलाद की दुआ से दर्जात में तरक्की हासिल होगी _,"*
*⚃➠ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- बिला शुबहा अल्लाह तबारक व ताला नेक आदमी का जन्नत में दर्जा बुलंद फरमाएंगे तो वह अर्ज़ करेगा - ऐ रब ! मेरे लिए यह दर्जा कहां से बढ़ गया ?*

*"_ तो अल्लाह ताला इरशाद फरमाएंगे कि तुम्हारे लिए तुम्हारे बेटे के इस्तिग्फार की वजह से (तुम्हारा दर्जा बुलंद किया गया है) _,"*.
*🗂️_ मुसनद अहमद -2/509, मजमुआ अज़ ज़वाइद-10/210,* •

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*☞_ आला दर्जे के बाज़ मोमिनीन के मुक़ामात_,*
*⚃➠ हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत वाले अपने ऊपर बाला खानों में रहने वालों को अपने आमाल की कमी बेशी की वजह से ऐसे देखेंगे जिस तरह से (लोग) मगरिब या मशरिक के उफक़ में गायब होने वाले चमकदार सितारे को देखते हैं _,*

*"_ सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया- या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम क्या यह अंबिया किराम की मनाज़िल होंगी जिनमें इनके सिवा कोई नहीं हो सकेगा _,"* 
*"_फरमाया- क्यों नहीं, मुझे उस ज़ात की क़सम जिसके क़ब्जे मे मेरी जान है (उन बाला खानों में) वह लोग रहेंगे जो अल्लाह पर ईमान (कामिल और आला दर्जे का) लाए और उसके रसूलों की तसदीक़ की (सूची तमिल तौर पर) _,"* 
*🗂️ _ मुस्लिम 2831, हादी अल-रवाह- 111,* 
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*☞_ जन्नत के दरजा़त आयाते क़ुरान के बराबर है,*
*⚃➠हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- हाफ़िज़ ए क़ुरान जब जन्नत में दाखिल होगा तो उसको कहा जाएगा पढ़ता जा और चढ़ता जा, तो वह पढ़ेगा और हर आयत की जगह एक दर्जा और चढ़ेगा हत्ताकी उसको जितना याद होगा उसका आखिरी हिस्सा भी पढ़ लेगा _,"*
*🗂️ मुसनद अहमद- 2/ 192,"*

*⚃➠"_फायदा:- इससे मालूम हुआ कि हाफ़िज़ ए क़ुरान (जो क़ुरान पर अमल भी करता हो) जन्नत के आला दर्जात पर फाइज़ होगा बशर्ते कि उसको कु़राने पाक का काफ़ी हिस्सा याद हो लापरवाही से भूल ना जाए,*
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*☞_ फिरदौस और अर्श के कितना करीब़ है ?*

*⚃➠हजरत अबू उमामा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- तुम अल्लाह ताला से फ़िरदौस मांगा करो क्योंकि यह जन्नत का उम्दा हिस्सा है इस (फिरदौस) के रहने वाले जन्नती अर्श की चर चराहट (की आवाज़ें) सुनेंगे _,"* 

*🗂️_ बा हवाला तबरानी- 8/294, मजमुआ अज़ ज़वाइद- 10/398,* 
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*☞ _जन्नत के दरजात किस चीज़ के है?"*
*⚃➠ जनाबे रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत के सो दर्जे हैं उनमें के हर दर्जे का दरमियानी फासला आसमान व ज़मीन के फासले के बराबर है, उनमें से पहले दर्जे के घर, कमरे, उसके दरवाज़े, पलंग और उनके ताले (सब) चांदी के होंगे,*

*"_ और दूसरे दर्जे के घर, कमरे, उसके दरवाज़े, उसके पलंग और उसके ताले सोने के होंगे और तीसरे दर्जे के घर, उसके कमरे, उसके दरवाज़े, उसके पलंग और उसके ताले याकू़त, लोलो और ज़बरजद के होंगे और बाक़ी 97 दर्जे किस चीज से बने हैं सिवाय अल्लाह ताला के कोई नहीं जानता _,"*

*🗂️_ रवाह अबु नईम - 2/234,*,
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*☞_ दर्जात बुलंद करने वाले आमाल_,*

*⚃➠हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- क्या मैं तुम्हें वह अमल ना बताऊं जिससे अल्लाह ताला खताएं मिटा देते है और दर्जात बुलंद करते हैं ? (सहाबा किराम ने ) अर्ज़ किया- या रसूलल्लाह क्यों नहीं ?*

*"_फरमाया वज़ु को सर्दी और तक़लीफ के वक्त अच्छी तरह से करना, मस्जिद तक ज़्यादा क़दम करके जाना, नमाज़ पढ़कर अगली नमाज़ के इंतजार में रहना, यह है गुनाहों से बचने का मौक़ा और तरीक़ा _,"*

*🗂️_ बा-हवाला मुस्लिम, तिर्मीजी़-51,*
 
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*☞_ जन्नतुल फिरदौस चार हैं _,*
*⚃➠अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं:- जो अल्लाह ताला के सामने पेश होने से डर गया (और गुनाह करने से रुक गया तो उसके लिए) दो जन्नते हैं (एक सोने की और एक चांदी की), इसके बाद फरमाते हैं:- इन ( गुज़िश्ता) दो जन्नतों के नीचे दो जन्नते और हैं _,"*
*🗂️_ सूरह रहमान,*

*⚃➠हजरत अबू मूसा अश'अरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- दो जन्नते ऐसी हैं कि उनके बर्तन उनके ज़ेवर और जो कुछ उनमें है चांदी का बना हुआ है, जन्नत वालों के दरमियान और उसके दरमियान कि वह अपने परवरदिगार का दीदार करें सिर्फ एक किबरिया की चादर होगी अल्लाह के चेहरा मुबारक पर जन्नते अदन मे _",*

*⚃➠फायदा:- इस हदीस शरीफ से मालूम होता है कि जन्नतुल फिरदोस की तादाद चार हैं, उनमें दो जन्नते सोने की होंगी और दो चांदी की, यह चार जन्नते ऊंचे दर्जे की होंगी इसलिए कि उनके और अल्लाह ताला के दीदार के दरमियान किबरियाई की चादर होगी, इन जन्नतों वाले जब चाहेंगे अल्लाह ताला का दीदार कर सकेंगे, दीगर बहुत सी रिवायतों में आप पढ़ेंगे कि अक्सर जन्नते ऐसी हैं जिनमें अल्लाह ताला के दीदार का एक वक्त मुक़र्रर होगा, तो मालूम हुआ कि वह जन्नतें इनके अलावा है _,"*
*🗂️ मुसनद अहमद- 4/416, मजमुआ अज़ ज़वाइद-/397,*
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*☞_ जन्नतुल फिरदौस की शान व शौकत,*
*⚃➠हजरत अमरु बिन सलामत रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- अल्लाह ताला ने जन्नतुल फिरदोस का मैदान अपने दस्तों मुबारक से बनाया है फिर उस पर खालिस सोने की ईंट से और खूब महकने वाली मुश्क की ईंट से इसकी तामीर की, उसमें उमदा अक़साम के मेवों के दरख्त लगाए, उम्दा खुशबू पैदा की, इसमें नैहरे चलाई फिर हमारे परवरदिगार ने अपने अर्श पर जलवा अफरोज़ होकर उसकी तरफ देखा और फरमाया मुझे मेरे गलबा की क़सम ! तुझ में दाएमी शराब पीने वाला और ज़िनाकारी पर डटा रहने वाला दाखिल नहीं हो सकेगा _,"* 
*(अबू नईम- 440 )*

*⚃➠हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जन्नत मे फिरदोस एक पहाड़ है उसी से जन्नत की नहरें निकलती है_,"*  
*( वसफुल फिरदौस- 21)* 

*⚃➠हजरत हससान बिन अतिया रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- अल्लाह ताला जन्नतुल फिरदोस की तरफ हर रात सहरी के वक्त नज़र करते हैं और (उसको) हुक्म देते हैं कि अपने हुस्न के साथ मज़ीद हसीन हो जाए बेशक वही लोग कामयाब है जो मोमिन है _,"*
*🗂️_ वसफुल फिरदोस- 20,*,
     
: *"_जन्नतुल फिरदौस अर्श के नीचे हैं _,*

*"_जनाब सरवरे कायनात हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम फरमाते हैं:- तुम अल्लाह ताला से जन्नतुल फिरदोस का सवाल किया करो क्योंकि यह जन्नत का उम्दा और आला हिस्सा है, इसी से जन्नत की नहरें फूटती हैं और यह जन्नतुल फिरदोस वाले (अर्श के क़रीब होने की वजह से) अर्श की चर चराहट की आवाज़ भी सुनेंगे _,"*
*🗂️ वसफुल फिरदौस -55, मजमुआ अज़ ज़वाइद- 10/ 398,*

*"_फायदा :-अल्लमा क़ुर्तुबी रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि कहा गया है कि जन्नते सात हैं:-*
*१_ दारुल जलाल, २_ दारुस्सलाम, ३_दारुल खुल्द, ४_जन्नते अद्न, ५_जन्नतुल मावा, ६_जन्नते नईम, ७- जन्नतुल फिरदौस_,"*
*"_और यह भी कहा गया है कि फक़त चार हैं, हजरत अबू मूसा अश'अरी रज़ियल्लाहु अन्हु की साबका़ हदीस की बिना पर अल्लामा हलिमी रहमतुल्लाह ने भी इसको अख्त्यार किया और फरमाया है दो जन्नते मुक़र्रबीन की होंगी और दूसरे दर्जे की दो जन्नतें हजरात असहाबुल यमीन की, लेकिन हर जन्नत में कई दर्जात मंज़िलें और दरवाज़े होंगे _,"*
*🗂️ _ तज़किरतुल क़ुर्तुबी -440,*
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*☞_ जन्नत के नाम और खुसूसियात-,*
*⚃➠बा एतबार ज़ात के एक जन्नत है, मगर बा एतबार सिफात के इसके कई नाम हैं, जिस तरह से असमा एं बारी ताला, असमा ए क़ुरान, असमा ए नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम, असमा ए क़यामत और असमा ए दोज़ख बहुत हैं, मगर मक़सूद उनमें ज़ात वाहिद होती है, (मगर हां उसके दरजात बहुत हैं)* 

*⚃➠जन्नत:- यह जन्नत का मशहूर नाम है, जो उस घर और उसकी तमाम क़िस्म की नियमतों, लज़्ज़तों और राहतों, सरवर और आंखों की ठंडकों पर इस्तेमाल होता है, जन्नत अरबी में बाग को कहते हैं और बाग भी ऐसा जिसके दरख़्त और पौधे घने हों और दाखिल होने वाला उनमें छिप जाए _,"*

           *☞ 2- दारुस सलाम _,*
*⚃➠ अल्लाह ताला ने जन्नत का एक नाम दारुस्सलाम भी रखा है, अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं:- ( तर्जुमा) मोमिनीन के लिए उनके रब के पास दारुस्सलाम है_," (सूरह अना'म 127)* 

*"_और एक जगह इरशाद फरमाया:- ( तर्जुमा) और अल्लाह ताला (लोगों को) दारुस्सलाम की तरफ बुलाता है_," (सूरह यूनुस- 25 )*

*⚃➠जन्नत इस नाम की सबसे ज्यादा मुस्तहिक़ है क्योंकि यह हर आफत और मकरुह चीज़ से अमन व सलामती का घर है, यह अल्लाह ताला का घर है क्योंकि अल्लाह ताला का एक नाम सलाम भी है जिसने उसको सलामती वाला बनाया है और उसके मकीनों को मामून व महफूज़ फरमाया है,* 

*⚃➠यह जन्नत वाले भी आपस में सलाम का तोहफा पेश करेंगे और फरिश्ते भी उनके सामने जिस दरवाज़े से दाखिल होंगे "सलामु अलैकुम" कहेंगे और रब रहीम की तरफ से भी सलाम पेश किया जाएगा और जन्नत वाले दुरुस्त बात करेंगे उसमें कोई लग्व, बे हूदगी और बेकारपन नहीं होगा_,*

              *☞ 3- दारुल खुल्द ,*
*⚃➠जन्नत का यह नाम इसलिए रखा गया है क्योंकि अहले जन्नत हमेशा के लिए इसमें रहेंगे वहां से कभी नहीं निकलेंगे,*

*⚃➠अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं ( सूरह हूद 108):-*
*"_( तर्जुमा) अता है तेरे रब की कभी खत्म ना होने वाली _,"*

          *☞_ 4- दारुल मक़ामा :-*
*⚃➠"_अल्लाह ताला जन्नत वालों की ज़ुबानी कुराने पाक में इरशाद फरमाते हैं, (सूरह फातिर 34-35):-*
*"_( तर्जुमा ) और कहेंगे कि अल्लाह का लाख-लाख शुक्र है जिसने हमसे गम को दूर किया बेशक हमारा परवरदिगार बड़ा बख्शने वाला बड़ा क़दरदान है जिसने हमको अपने फज़ल से हमेशा रहने के मुका़म (दारुलु मका़मा) मे ला उतारा जहां पर ना हमें कोई कुलफत ( तक़लीफ) पहुंचेगी और कोई हमको खस्तगी पहुंचेगी_,"* 

*⚃➠"_हजरत मक़ातिल इस आयत मे दारुल मका़मा की तफसीर दारुल खुल्द के साथ करते हैं, जिसमें जन्नती हमेशा रहेंगे ना उनको मौत आएगी और ना ही उनको इससे निकाला जाएगा_,"*
              
*☞_ 5-जन्नतुल मा'वा :- अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं (सूरह नजम- आयत 15):- यानी सिद्रतुल मुंतहा के पास ही जन्नतुल मावा है, अरबी में मावा ठिकाने को कहते हैं यानी रहने की जगह सिर्फ जन्नत है _,"* 

*⚃➠ हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि यही वह जन्नत है जहां तक हजरत जिब्रील अलैहिस्सलाम और हज़रात ए मलाइका जाकर रहते हैं,* 
*"_और हजरत मका़तिल और कलबी कहते हैं कि यह वह जन्नत है जिसमें शहीदों की रूहें जाकर रहती हैं,*
*"_हजरत का'ब कहते हैं कि जन्नतुल मावा वह जन्नत है जिसमें सब्ज़ रंग के परिंदे रहते हैं, उन्हीं में शहीदों की रूहें चलती फिरती हैं,* 

*⚃➠अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं, (सूरह नाज़िआत, आयत 40-41):-*
*"_(तर्जुमा) पस जो शख्स अपने रब के सामने पेश होने से डर गया और नफ्स को उसकी ख्वाहिशात से बाज़ रखा पस जन्नत ही उसका ठिकाना है_,"*

             *☞_ 6 जन्नते अद्न ,*
*⚃➠यह भी जन्नत का एक नाम है और सही यह है कि तमाम जन्नतों का मजमूई नाम है और सब जन्नते जन्नते अद्न है, अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं, (सूरह मरियम आयत 61):-*.
*"_( तर्जुमा)_ इन जन्नते अद्न में जिनका रहमान ने अपने बंदों से वादा फरमाया है (वह उसके वादा की हुई चीज़ को जरूर पहुंचेगी)* 

*"_और इरशाद फरमाया, (सूरह अस सफ -12):-*
*"_(तर्जुमा)_ जन्नती जन्नते अद्न ( हमेशा की जन्नतों) में पाक़ीज़ा घरों में रहेंगे _,"*

*⚃➠फायदा:- हजरत अब्दुल मलिक बिन हबीब क़ुर्तुबी रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि "दारुल जलाल" और "दारुस्सलाम" अल्लाह ताला की तरफ मंसूब है लेकिन जन्नते अद्न जन्नत का दर मियानी और बुलंद हिस्सा है और तमाम जन्नतों से ऊंची है, हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु और हजरत स'ईद बिन मुसय्यिब रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि यह अल्लाह ताला का घर है जिससे उसका अर्श सजा है, बाक़ी जन्नते इसके इर्द-गिर्द हैं लेकिन यह उन सब से अफ़ज़ल, बेहतर और ज़्यादा क़रीब है_,"*
*🗂️ _ वसफुल फिरदौस-20, अबू नईम,*

 **☞"_(7) दारुल हैवान:- अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं, (सूरह अंकबूत आयत 64) बिला शुबहा दारुल आखिरत ही दारुल हैवान है _,*

*"_मुफस्सिरीन के नज़दीक दारुल आखिरत से दारुल हैवान और दारुल हयात मुराद है यानी जन्नत में हमेशा की जिंदगी होगी मौत नहीं होगी, इस आयत का मतलब यह भी है कि आखिरत की जिंदगी ही असल जिंदगी है उसमें ना कभी फितूर आएगा ना कभी फना यानी जन्नत की जिंदगी दुनिया की जिंदगी की तरह नहीं होगी _,"*
*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 223,*

: **☞"_(8)_ फिरदौस :-अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं:-( सुरह अल कहफ आयत 107):-*
*"_(तर्जुमा) बेशक जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक काम किए उनकी मेहमानी के लिए जन्नतुल फिरदौस (फिरदौस के बाग) होंगे _,*

*"_फिरदौस एक ऐसा नाम है जो तमाम जन्नत पर बोला जाता है और जन्नत के अफज़ल और आला दर्जे पर भी बोला जाता है, लैस रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि फिरदौस अंगूरों के बाग वाली जन्नत है, हजरत ज़हाक फरमाते हैं कि यह ऐसी जन्नत है जो दरख़्तों से लिपटी हुई है (यानी बहुत दरख्तों वाली है और घने दरख़्तों वाली है)*

*"_अगरचे फिरदौस बोलकर तमाम जन्नत मुराद ली जा सकती है मगर दर हक़ीक़त यह जन्नत के आला दर्जे का नाम है, इसलिए जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जब तुम अल्लाह ताला से (जन्नत का) सवाल करो तो उससे जन्नतुल फिरदौस मांगा करो _,"*
*🗂️ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 223,*
[
 **☞"_9 जन्नतुल नईम_,"*

*"_अल्लाह ताला ने जन्नतुल नईम का ज़िक्र सूरह लुक़मान, आयत 8 में फरमाया है:-* 
*"_ ( तर्जुमा) बिला शुबहा वह लोग जो ईमान लाए और नेक आमाल किए उनके लिए जन्नतुल नईम ( नियामतों वाली जन्नत) है _,"*

*"_यह भी तमाम जन्नतों का मजमूई नाम है क्योंकि जन्नत के खाने-पीने लिबास और सूरतें पाक़ीज़ा हवाएं खूबसूरत मनाज़िर वसी मकानात वगैरा ज़ाहिरी और बातिनी नियामतें सबको मुश्तमिल है_,"* 
*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर, 224 ,*

*☞*10- मका़मुल अमीन _,*

*"_अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं, (सूरह अद दुखान- आयत 51-52):-*
*"(तर्जुमा)_ बेशक खुदा से डरने वाले मका़मे अमीन (अमन की जगह) में रहेंगे यानी बागों में और नहरों में _,"*

*"_अल्लाह ताला मजीद फरमाते हैं, ( सूरह अद दुखान- आयत 55) :-*
*"( तर्जुमा)_ वहां इत्मिनान से हर क़िस्म के मेवे मंगाते होंगे_,"*

*"_इन दोनों मका़मात में अल्लाह ताला ने मकान और ता'म के अमन को जमा फरमाया है चुनांचे वो मकान से निकलने का खौफ करेंगे ना नियामतों से अलग होने का ना मौत का _,"*

         *☞ 11_ मक़'अदी सिद्क़ _,"*
*⚃➠ अल्लाह ताला ने इरशाद फरमाया है, (सूरह अल क़मर आयत 54 -55):-*
*"( तर्जुमा)_ बेशक हर परहेज़गार लोग बागों में और नहरों में होंगे एक खास मुका़म (मक'अदी सिद्क़) में _,"*
*"_इस आयते करीमा में अल्लाह ताला ने जन्नतों का नाम मक़'अदी सिद्क़ ज़िक्र किया है,* 

               *☞_12 _ तूबा _,*
 *⚃➠ हजरत सईद बिन मसजूह रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि हिंदी ज़ुबान में जन्नत का नाम तूबा है,*

*⚃➠जन्नते अद्न और दारुस्सलाम कि अफज़लियत:- इब्ने अब्दुल हकम रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- जन्नत अद्न जन्नत के बाकी़ दर्जात से नो लाख गुना बड़ी है और जन्नत दारुस्सलाम जन्नते अद्न से नो लाख गुना बड़ी है _,"*

*⚃➠जन्नत के इन तमाम नामों के मुताल्लिक़ तमाम तफ्सीलात हादी अल रवाह से माखूज़ है और बाज़ मका़मात पर इब्ने क़य्यिम रहमतुल्लाह के बयान कर्दा मजा़मीन और अहादीस के हवाले से बाज़ किताबों से नक़ल किए गए हैं _,"*

*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 224,* 
              ┅┅━━═۞═━━┅
       *☞_ सबसे अफ़ज़ल जन्नत _,*
*⚃➠जिस तरह अल्लाह ताला ने तमाम फरिश्तों से हज़रत जिब्राइल को, तमाम इंसानों से हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को, आसमानों से ऊपर वाले आसमान को, शहरों से मक्का को, महीनों से अशहरे हराम को, रातों से लैलतुल क़दर् को, दिनों से जुमा को, रात से इसके दरमियानी हिस्से को, औका़त से नमाज़ के औका़त को फजी़लत बख्शी है,*
*"_ उसी तरह अल्लाह ताला ने जन्नतों में से एक जन्नत को अपने लिए मुंतखब किया उसको अपने अर्श के क़रीब की खुसूसियत बख्शी, अपने हाथ से उसमें पौधे लगाए और वह जन्नत तमाम जन्नतों कि सरदार कहलाई,*

*⚃➠अल्लाह की जा़त पाक है, जो चाहती है मखलुक़ात की तमाम अक़साम व अनवां में किसी एक को अफज़लियत का सर्फ बख्सती है,*
     
 **☞"_किन चीजों को अल्लाह ताला ने अपने मुबारक हाथ से पैदा किया-,* 
*"_हजरत अब्दुल्लाह बिन हारिस रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ अल्लाह ताला ने तीन चीजें अपने हाथ मुबारक से पैदा फरमाई, (१)_हजरत आदम अलैहिस्सलाम को अपने हाथ से बनाया, (२)_ तौरात को अपने हाथ से लिखा, (३)_ और जन्नतुल फिरदौस को अपने हाथ से पैदा किया,*

*"_ फिर फरमाया मुझे मेरे गलबा और जलाल की क़सम इसमें शराब का आदी और देवस दाखिल ना नहीं हो सकेगा, सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया- या रसूलल्लाह ! हम शराब के आदी को तो जानते हैं यह देवस कौन हैं? फरमाया वह शख्स जो बदकारी को अपनी बीवी में बरक़रार रखें _,"*
*🗂️ दारमी, हादी अल-रवाह-145, कंज़ुल उम्माल- 15137,*

: *"_हजरत समर बिन अतिया फरमाते हैं कि अल्लाह ताला ने जन्नतुल फिरदौस को अपने हाथ से बनाया, वो उसको हर जुमेरात को खोलता है और हुक्म देता है तू मेरे औलिया (दोस्तों) के लिए पाकीज़गी और उम्दोगी के लिहाज़ से और ज़ा'इद हो जा _,"*
*🗂️_ अबु शैख हादी अल रवाहा- 146,*

*"_ हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ अल्लाह ताला ने जन्नते अद्न को अपने दस्ते मुबारक से बनाया, उसकी एक ईंट सफेद मोती की है और एक ईंट सुर्ख याक़ूत की है और एक सब्ज़ ज़बरजद की है, इसका गारा कस्तूरी का है उसकी बजरी लो लो मोती है और उसकी घांस जा़फरान की है_,"*

*"_फिर अल्लाह ताला ने फरमाया (अब) तू बोल ! तो उसने कहा बिला शुबहा सही लोग कामयाब हुए जो मोमिन हैं, तो अल्लाह ताला ने फरमाया- मुझे मेरे गलबा और जलाल की क़सम ! कोई बखील तेरे अंदर दाखिल होकर मेरा पड़ोसी नहीं बनेगा _,"*
*🗂️_ हादी अल रवाहा, दुर्रे मंसूर, 2/196, मजमुआ अज़ ज़वाइद-10/397, हाकिम-2/ 392,*
[
: **☞"_अहले जन्नत की सफों की तादाद_,* 
*"_हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ अहले जन्नत की (क़यामत के दिन) एक सौ बीस (120) सफें होंगी (उनमें) से मेरी उम्मत की अस्सी (80) सफें होंगी_,"*

*🗂️_ अबु नईम- 239, मुअज्जम कबीर तिबरानी -10350, मजमुआ अज़ ज़वाइद-10/403,*

 *"_बगैर हिसाब के जन्नत में दाखिल होने वाले_,*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैंने जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को यह इरशाद फरमाते हुए सुना:-*
*"_ मेरी उम्मत में से एक जमात जन्नत में दाखिल होगी यह (तादाद में) सत्तर हजार होंगे उनके चेहरे चौधवी रात के चांद की तरह चमक रहे होंगे _,"*
*"_हजरत अकासा बिन मोहसिन रज़ियल्लाहु अन्हु जिन्होंने अपने ऊपर धारीदार चादर ले रखी थी अर्ज़ किया- या रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम अल्लाह ताला से दुआ करें कि वह मुझे इन हजरात में शामिल कर दे, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुआ फरमाई कि ए अल्लाह इसको उन हजरात में शामिल कर दे_,* 
*"_फिर एक अंसारी सहाबा में से एक खड़े हुए उन्होंने भी अर्ज़ किया या रसूलल्लाह ! अल्लाह ताला से दुआ करें कि मुझे भी उनमें शामिल कर दे, तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया अकासा तुमसे सबक़त कर गया_,"*
*🗂️ _बुखारी 6542, मुस्लिम 216, 369,*

*"_अबु उमामा बाहिली रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैंने रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सुना आप इरशाद फरमा रहे थे:-*
*"_ मेरे रब ने मेरे साथ वादा फरमाया है कि मेरी उम्मत में से 70 हज़ार को जन्नत में दाखिल फरमाएंगे ना तो उनका हिसाब होगा ना उनको अज़ाब होगा (और) हर हज़ार के साथ 70 हज़ार और अल्लाह ताला की लपों में से तीन लपें (मुसलमानों में से बगैर हिसाब के और बगैर सज़ा के जन्नत में जाएंगे)_,"*
*🗂️_ अहमद- 5/268, तिर्मीजी 2437, तबरानी कबीर 9/8/129,*

 **☞जन्नत में बगैर हिसाब जाने वालों की सिफात-*
*"_हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ तीन क़िस्म के लोग जन्नत में बगैर हिसाब के दाखिल होंगे,*
*(१)_ वह शख्स जिसने अपना कपड़ा धोया लेकिन उसको लगाने के लिए खुशबू मयस्सर ना हुई,*
*(२)_ वह शख्स जिसके चूल्हे पर दो हांड्यां (एक वक्त में) कभी ना चढ़ी हो,*
*(३)_ वह शख्स जिस को पानी की दावत दी गई मगर उससे यह ना पूछा गया कि तुम कौन सा पानी (शरबत, पानी) पसंद करते हो_,"*
*🗂️_ दुर्रे मंसूर -2/99,*

*"_ हजरत इब्ने मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं जिस आदमी ने वीराने में (मुसाफिरों वगैरा के लिए) कोई कुआं खोदा अल्लाह ताला की रज़ा के लिए, वह भी बगैर हिसाब जन्नत में जाएगा_,"*
*🗂️_ कुर्तुबी- 2/374 कंज़ुल उम्माल- 6078,*
              
*⚃➠ हजरत अली बिन हुसैन रहमतुल्लाह फरमाते हैं जब क़यामत का दिन होगा एक मुनादी निदा करेगा तुममें से फजी़लत वाले कौन हैं ? तो इंसानों में से कुछ लोग खड़े होंगे, उनसे कहा जाएगा जन्नत की तरफ चलो, फिर उनकी मुलाक़ात फरिश्तों से होगी तो वह कहेंगे तुम कहां जा रहे हो ? तो वह हजरात कहेंगे जन्नत की तरफ, फरिश्ते पूछेंगे हिसाब से पहले ? वह कहेंगे हां, वह पूछेंगे तुम कौन हो ? वह कहेंगे हम फजी़लत वाले हैं, फरिश्ते कहेंगे तुम्हारी कौन सी फजी़लत है ?*
*"_वह जवाब देंगे कि जब हमारे साथ जहालत का बर्ताव किया जाता था हम बुर्दबारी अख्तियार करते थे, जब हम पर ज़ुल्म किया जाता था हम सब्र करते थे, जब हमारे साथ कोई बुराई की जाती थी हम माफ कर देते थे _,"*
*"_फरिश्ते कहेंगे तुम जन्नत में दाखिल हो जाओ नेक अमल करने वालों के लिए बेहतरीन अज्र है _,"*

*⚃➠फिर एक मुनादी निदा करेगा अहले सब्र खड़े हो जाएं, तो इंसानों में से कुछ लोग खड़े होंगे यह बहुत कम होंगे, उनको हुक्म दिया जाएगा जन्नत की तरफ चले जाओ, तो उनको भी फरिश्ते मिलेंगे और उनसे ऐसा ही कहा जाएगा तो वह कहेंगे हम अहले सब्र हैं, वह पूछेंगे तुम्हारा सब्र क्या था ? वह कहेंगे हमने अल्लाह की फरमाबरदारी में अपने नफ्सों को (उनकी ख्वाहिशात से) रोका और हमने अल्लाह की नाफरमानियों से उसको बाज़ रखा _,"*
*"फरिश्ते कहेंगे तुम जन्नत में दाखिल हो जाओ नेक अमल करने वालों के लिए बेहतरीन की अज्र है _,"*

*⚃➠हुजूर सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम फरमाते हैं कि फिर एक मुनादी निदा करेगा अब अल्लाह के पड़ोसी खड़े हो जाएं, तो इंसानों में से कुछ लोग खड़े होंगे यह भी बहुत कम होंगे, उनको भी हुक्म होगा जन्नत की तरफ चले जाओ, तो उनसे भी फरिश्ते मिलेंगे और उनको भी वैसा ही कहा जाएगा कि तुम किस अमल से अल्लाह ताला के उसके घर में पड़ोसी बन गए ?*
*"_वह कहेंगे हम सिर्फ अल्लाह ताला की मोहब्बत में एक-दूसरे (मुसलमानों) की ज़ियारत करते थे और अल्लाह ताला ही के खातिर आपस में मिलकर बैठते थे और अल्लाह ताला ही के लिए हम एक दूसरे पर खर्च करते थे_,"*
*"_ फरिश्ते कहेंगे तुम भी जन्नत जन्नत में दाखिल हो जाओ नेक अमल करने वालों के लिए बेहतरीन अज्र है _,"*
*🗂️_ तज़किरतुल क़ुर्तुबी -2/374 बा हवाला अबु न'ईम,*
       
*⚃➠हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जब अल्लाह ताला पहले और पिछले (इंसानों और जिन्नात) को एक मैदान में जमा करेंगे तो एक मुनादी अर्श के नीचे से निदा करेगा अल्लाह की मार्फत रखने वाले कहां है ? मोहसीन कहां है ? (जो इबादत करते वक़्त गोया खुदा को देखते थे या यह यक़ीन करते थे कि अल्लाह हमें देख रहा है )*
*"_फरमाया कि लोगों में से एक जमात उठेगी और अल्लाह ताला के सामने खड़ी हो जाएगी, अल्लाह ताला फरमाएंगे हालांकि वह इसको जानते होंगे, तुम कौन हो ? तो वह अर्ज़ करेंगे हम अहले मार्फत हैं आपके साथ हमने आपको पहचाना था और आपने हमें इस लायक़ बनाया था,*

*"_ तो अल्लाह ताला फरमाएंगे तुमने सच कहा, फिर अल्लाह ताला फरमाएंगे तुम पर कोई सजा़ और तकलीफ नहीं तुम मेरी रहमत के साथ जन्नत में दाखिल हो जाओ_,"*
 
*"_फिर जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम मुस्कुरा पड़े और फरमाया:- अल्लाह ताला इन हज़रात को रोज़े क़यामत की होलनाकियों से निजात अता फरमा देंगे _,"*

*🗂️_ तज़किरतुल क़ुर्तुबी- 2/375, बा हवाला अबु न'ईम,* 

*"_हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं जब क़यामत का दिन होगा एक मुनादी निदा करेगा तुम अभी जान लोगे असहाबुल करम (बुजुर्गी और शान वाले) कौन हैं, हर हाल में अल्लाह ताला की हम्दो सना करने वाले खड़े हो जाएं, तो वह खड़े हो जाएंगे और उनको जन्नत की तरफ रवाना कर दिया जाएगा _,"*

*"_फिर दूसरी मर्तबा निदा की जाएगी तुम आज अंक़रीब जान लोगे असहाबुल करम कौन हैं कि वह लोग खड़े हो जाएं जिनके पहलु (रात के वक्त) अपने बिस्तरों से (इबादत के लिए) अलग रहते थे जो अपने रब को खौफ और तमा के साथ पुकारा करते थे और जो कुछ हमने उनको रिज़्क दिया था उसे खर्च करते थे (ज़कात और सदका़त की शक्ल में)*

*"_चुनांचे यह हजरात खड़े होंगे और उनको भी जन्नत की तरफ रवाना कर दिया जाएगा, फिर तीसरे मर्तबा निदा की जाएगी तुम अभी जान लोगे असहाबुल करम कौन लोग हैं अब वह लोग खड़े हो जाएं जिनको अल्लाह ताला के ज़िक्र से कोई खरीदो फरोख्त गाफिल नहीं करती थी, चुनांचे इनको भी जन्नत की तरफ रवाना कर दिया जाएगा _,"*
*🗂️ _ तज़किरतुल क़ुर्तुबी- 2/375 बा हवाला अबु न'ईम,*

 **☞_हुजूर सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम और आपकी उम्मत सबसे पहले जन्नत में जाएंगे _,*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ हम आखिरी उम्मत हैं (लेकिन) रोज़े क़यामत हम सबसे पहले (क़ब्रों से) उठेंगे और हम ही सबसे पहले जन्नत में दाखिल होंगे, बस इतनी बात है कि उन (यहूद व नसारा को) हमसे पहले किताब (तौरात, ज़बूर, इंजील) अता की गई और हमें उनके बाद (कु़राने पाक) अता किया गया_,"*

*"_पस उन्होंने (हमसे क़ुरान के हक़ होने में) इख्तिलाफ किया, पस जिस चीज़ के हक़ होने में उन्होंने इख्तिलाफ किया अल्लाह ताला ने (उसमें) हमें हिदायत अता फरमाई (और अब इस्लाम आने के बाद वो मुसलमान ना होने की वजह से गुमराही में रहकर दोजख को जाएंगे _,"*
*🗂️ _मुस्लिम 255 ,*

: **☞_ सबसे पहले अंबिया जाएंगे फिर आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की उम्मत_,* 
*"_हजरत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से रिवायत करते हैं:-*
*"_ जन्नत तमाम अंबिया पर हराम है जब तक मैं उस में दाखिल ना हो जाऊं (यानी पहले में दाखिल होऊंगा फिर तमाम अंबिया अलैहिस्सलाम) और (जन्नत) तमाम उम्मतो पर हराम है हत्ताकि मेरी उम्मत उस में दाखिल हो जाए (उसके बाद उम्मतें जन्नत में जाएंगी)_,"*
*🗂️_ हादी अल रवाह- 153, कंज़ुल उम्माल, मजमुआ अज़ ज़वाइद-,* 

*"_फायदा :- यह उम्मत बाक़ी उम्मतों से पहले ज़मीन से बाहर आएगी और आला मुका़म पर सबसे पहले सरफराज़ होगी और सबसे पहले अर्श के साए में सबक़त करेगी और सबसे पहले इनका हिसाब व किताब होगा और सबसे पहले (पुल) सिरात को पार करेगी और सबसे पहले जन्नत में दाखिल होगी,*

*"_ पस जन्नत सब अंबिया अलैहिस्सलाम पर हराम है जब तक हजरत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम उसमें दाखिल ना हों और सब उम्मतों पर हराम है जब तक हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की उम्मत उसमे दाखिल ना हों _,"*
*🗂️ _ हादी अल रवाह- 153,*

              ┅┅━━═۞═━━┅
*☞_ अंबिया अलैहिस्सलाम के बाद हजरत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु जन्नत में जाएंगे_,"* 
*⚃➠हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- मेरे पास जिब्रील तशरीफ लाए थे और मेरा हाथ पकड़कर जन्नत का वह दरवाज़ा दिखलाया जिससे मेरी उम्मत दाखिल होगी _,"*

*"_ हजरत अबू बकर सिद्दीक़ रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया - या रसूलल्लाह मैं पसंद करता हूं कि मैं भी आपके साथ होता हत्ताकि मैं भी उस दरवाज़े को देख लेता_,"*

*"_ तो सरकार ए रिसालत पनाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- सुन लो ए अबू बकर मेरी उम्मत में सबसे पहले आप जन्नत में जाएंगे _,"*

*🗂️_ मुसनद, अबु दाऊद, मिशकात- 6024, कंज़ुल उम्माल- 32551,* 
*"_ हजरत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु की जन्नत में सबक़त और हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु का महल _,"*
*"_ हजरत बुरेदा बिन हसीब फरमाते हैं कि एक मर्तबा जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने सुबह के वक्त हजरत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु को बुलाया और फरमाया:-* 
*"_ए बिलाल ! तुम मुझसे जन्नत में कैसे सबक़त कर गए, मैं जब भी जन्नत में दाखिल हुआ अपने सामने से तुम्हारे चलने की आवाज़ सुनता हूं (चुनांचे) मै गुजिश्ता रात भी (जन्नत में) गया तो फिर अपने सामने से तुम्हारे चलने की आवाज़ सुनी _,"*

*"_फिर मैं एक चौकोर महल पर आया जो सोने का बना हुआ था, मैंने पूछा यह महल किसका है ? उन्होंने बताया यह एक आराबी शख्स का है, मैंने कहा मैं भी तो आराबी हूं यह महल किसका है ? उन्होंने कहा यह कुरेश के आदमी का है, मैंने कहा मैं भी तो कुरेशी हूं यह महल किसका है ? उन्होंने कहा उम्मते मुहम्मद के एक शख्स का है, मैंने कहा मैं मुहम्मद हूं यह महल किसका है ? उन्होंने कहा उमर बिन खत्ताब का है _,"*

*"_तो हज़रत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ से किया - या रसूलल्लाह ! मैंने जब भी अज़ान दी है दो रका'त अदा की है और जब भी वज़ू टूटा है उसी वक्त वज़ू किया है और मैंने ताहिया कर लिया है कि अल्लाह ताला के नाम की दो रकात मेरे ज़िम्में है _,"*

*"_तो हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया (यह सबक़त) इन दो रका'तों की वजह से है _,"*
*🗂️ मुसनद अहमद- 5/354- 360, तिर्मिज़ी-3689,*

*"_फायदा:- इस हदीस का यह मतलब नहीं है कि हजरत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से पहले जन्नत में जाएंगे बल्कि हजरत बिलाल रज़ियल्लाहु अन्हु हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के आगे आगे बतौर दरबान और खादिम के चलेंगे _,"* 
*"_जैसा कि एक हदीस में है कि जब हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को रोज़े क़यामत रोज़ा मुबारक से उठाया जाएगा तो हजरत बिलाल आपके सामने अज़ान देते हुए चलेंगे _,"*
*🗂️_ हादी अल रवाह-158,*

: *"_सबसे पहले जन्नत में जाने वाले ग्रुप कि सिफात_,*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-* 
*"_सबसे पहले जो जमात जन्नत में दाखिल होगी उनकी सूरते चौधवी रात के चांद की सूरत जैसी होगी यह ना तो जन्नत में थूकेंगे ना नाक बहेगी और ना ही उसमें पखाना करेंगे (यानी इन तीनों एबों से पाक होंगे )*

*"_उनके बर्तन और कंघिया सोने और चांदी की होंगी उनकी अंगेठियां अगर की लकड़ियों की होंगी, उनका पसीना कस्तूरी का होगा, उनमें से हर एक के लिए दो बीवियां ऐसी होंगी जिनकी पिंडली का गूदा उनके हुस्न की वजह से गोश्त के अंदर से नज़र आएगा _,"*

*"_उन के दरमियान कोई इख्तिलाफ नहीं होगा और ना आपस में कोई बुग्ज़ होगा, उनके दिल एक दिल (की तरह) होंगे, यह सुबह-शाम अल्लाह ताला की तसबीह कहेंगे _,"*
*🗂️_ बुखारी 3245, मुस्लिम 2834 ,*

"_पहले और दूसरे दर्जे के जाने वाले जन्नतियों कि सिफात _,*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ पहला गिरोह जो जन्नत में दाखिल होगा उनकी सूरत चौंदवी रात के चांद की तरह होगी और वह लोग जो इनके बाद (जन्नत में) जाएंगे उनकी सूरत की चमक दमक आसमान में तेज़ रोशन सितारे की तरह होगी _,"* 

*"_यह जन्नती ना पेशाब करेंगे ना पाखाना ना थूक ना रेंट, इनकी कंघियां सोने की होंगी, इनका पसीना कस्तूरी का होगा, इनकी अंगेठियां अगर की होंगी, इनकी बीवियां हूरेन होंगी, इनके अखलाक़ एक ही आदमी के खल्क़ (जैसे) होंगे, इनकी सूरत अपने अब्बा हजरत आदम अलैहिस्सलाम की सूरत पर होगी लंबाई में 60 हाथ का क़द होगा _,"*
*🗂️_ बुखारी- 3327, मुसनद अहमद- 7429,* 

*"_हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ सबसे पहले जिनको जन्नत की तरफ बुलाया जाएगा वह हमदून होंगे जो (दुनिया में) खुशी और तकलीफ में अल्लाह ताला की हम्दो सना बजा लाते थे _,"*
*🗂️ _तबरानी-1/103, हाकिम -1/502, कंज़ुल उम्माल- 6410,*

 *☞"_सबसे पहले जन्नत में दाखिल होने वाले तीन क़िस्म के हज़रात_,*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ मेरे सामने मेरी उम्मत के उन तीन क़िस्म के लोगों को पेश किया गया जो सबसे पहले जन्नत में जाएंगे और उन तीन क़िस्म के लोगों को पेश किया गया जो सबसे पहले दोजख में जाएंगे_,"* 
*(१)_शहीद (२)_ वह ममलूक गुलाम जिसको दुनिया की गुलामी ने उसके परवरदिगार की इबादत से नहीं रोका (३) फ़कीर अयाल दार दस्त सवाल दराज़ से बचने वाला _,"*

*"_और वह तीन क़िस्म के लोग जो सबसे पहले दोजख में जाएंगे (१)_ अमीर ज़बरदस्ती से मुसल्लत होने वाला (२)_ दौलतमंद जो अपने माल में से अल्लाह का हक़ अदा ना करें (३) बड़ ( बकवास) मारने वाला तंगदस्त फ़कीर _,"*
*_ मुसनद अहमद- 2/425 हादी अल रवाह-156, अबु नईम-80,*
              ┅┅━━═۞═━━┅
*☞_ फुक़रा मुहाजिरीन की फरिश्तों पर फजी़लत और जन्नत में पहले दाखिल होना _,"*
*⚃➠हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ क्या तुम्हें मालूम है जन्नत में सबसे पहले कौन दाखिल होगा? सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया- अल्लाह और उसके रसूल खूब जानते हैं, फरमाया मुहाजिरीन में फुक़रा हजरात जो गर्मी सर्दी वगैरा के मुश्किल औका़त में शरीयत के मुश्किल आमाल को उम्दगी से अदा करते हैं,* 
*"_उनमें जब कोई फौत होता है तो उसकी ज़रूरत उसके सीने में बाक़ी रहती है उसके पूरा करने की उसमें हिम्मत नहीं होती _,"*

*"_फरिश्ते अर्ज़ करेंगे ऐ हमारे रब ! हम आपके फरिश्ते हैं (आपके) कामों के मुहाफिज़ और जो ज़िम्मेदार हैं आपके आसमानों के मकीन हैं आप इनको हमसे पहले जन्नत में दाखिल ना फरमाइए_,"*
*"_अल्लाह ताला फरमाएंगे यह मेरे वह बंदे हैं जिन्होंने मेरे साथ किसी को शरीक़ नहीं किया और मुश्किल औका़त में शरीयत पर अमल करना नहीं छोड़ा, जब उनमें से कोई फौत होता था उसकी हाजत उसके सीने में बाक़ी रहती थी जिसके पूरा करने की उसमें ताक़त नहीं थी,* 
*"_पस उस वक़्त हर दरवाज़े से उनके पास फरिश्ते हाजिर होंगे (और यह कहेंगे) तुम पर सलाम हो बोजा तुम्हारे सब्र करने के, पस आखिरत का घर कितना ही अच्छा है (जिसमें तुम्हारी तमाम ख्वाहिश पूरी होंगी)_,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद- 2/168 बिज़्ज़ार- 3665, मजनुआ ज़वाइद- 10/ 259,*

*"_गरीब जन्नत की निआमतों में और अमीर हिसाब की गर्दिश में _,"*
*"_जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_तुम गरीबों के हक़ में अल्लाह ताला से डरो क्योंकि क़यामत के दिन अल्लाह ताला फरमाएंगे मेरी मखलूक़ में से मेरे मुखलिस दोस्त कहां है ? तो फरिश्ते अर्ज करेंगे:- ऐ हमारे परवरदिगार ! वह कौन लोग हैं ? तो अल्लाह ताला इरशाद फरमाएंगे:- वह फुक़रा मोहताज जो (मुसीबतों और तंगदस्ती में) सब्र करते थे मेरी तकदीर पर राज़ी रहते थे उनको जन्नत में दाखिल कर दो _,"*

*"_हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम फरमाते हैं कि उनको जन्नत में दाखिल कर दिया जाएगा वह (जन्नत में ऐश से) खाते पीते होंगे जबकि अमीर लोग हिसाब किताब की गर्दिश में होंगे_,"*
*🗂️ किताबुल जु़हद इब्ने मुबारक- 2/80 तज़किरतुल कुर्तुबी -2/469,*

 *"_गरीब अमीरों से 500 साल पहले जन्नत में जाएंगे _,"*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ गरीब और मोहताज मुसलमान दौलतमंद से (क़यामत का) आधा दिन जो पांच सौ साल के बराबर होगा जन्नत में पहले जाएंगे _,"*
*🗂️_ इब्ने कसीर- 179, मुसनद अहमद- 2/346 इब्ने माजा- 4122, तिर्मीजी़- 2353,* 

*"_हजरत उमर बिन खत्ताब रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैंने जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम से सुना आपने इरशाद फरमाया:-*
*"_ गरीब मुसलमान दोलतमंद से आधा दिन जन्नत में पहले जाएंगे, अर्ज़ किया गया या रसूलुल्लाह आधा दिन कितना है ? फरमाया 500 साल, अर्ज़ किया गया कि इसके साल के कितने महीने हैं ? फरमाया 500 महीने, अर्ज़ किया गया उस महीने के कितने दिन हैं? फरमाया 500 दिन, अर्ज़ किया गया फिर एक दिन कितना तवील है ? फरमाया 500 दिनों के बराबर जिनको तुम शुमार करते हो_,"*
*🗂️_ तज़किरा फि अहवालुल मौती वा उमूरे आखिरह_,"*

*"_हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- फुक़रा मुहाजिरीन क़यामत के दिन (जन्नत में) दौलतमंदों से 40 साल पहले दाखिल होंगे _,"*
*🗂️_ सफातुल जन्नत इब्ने कसीर -192, मुस्लिम 2979, अहमद -2/169, मिश्कात 5257, 5235,* 

*"_फायदा:- फुक़रा का जन्नत में 500 साल पहले दाखिल होने का मतलब यह है कि अव्वल दर्जे के फुक़रा 500 साल पहले जन्नत में दाखिल होंगे और यह हदीस जिसमें 40 साल पहले दाखिल होने का ज़िक्र है यह शायद आखरी दर्जे के फुक़रा के एतबार से है कि कम दर्जे के फुक़रा दौलतमंद से 40 साल पहले जन्नत में जाएंगे_,"*
*🗂️_ सफतुल जन्नत इब्ने कसीर -193, कुर्तुबी-470, हादी अल रवाहा -160,*

*☞_ फकीर से पीछे रह जाने वाले जन्नती की हालते इज़्तराब_,"* 
*⚃➠हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- दो क़िस्म के मोमिन जन्नत के दरवाज़े पर मिलेंगे एक मोमिन दुनिया में फ़कीर होगा दूसरा दौलतमंद, चुनांचे फ़कीर को जन्नत में दाखिल कर दिया जाएगा और दौलतमंद को जब तक अल्लाह ता'ला रोकना चाहेंगे रोका जाएगा फिर उसको भी जन्नत में दाखिल कर दिया जाएगा _,"*

*"_तो जब फकी़र की उससे मुलाक़ात होगी तो वह पूछेगा ए भाई ! तुम्हें किस चीज़ ने रोक लिया था ? अल्लाह की क़सम जब तू रोका गया तो मैं तेरे मुताल्लिक़ खौफज़दा हो गया था (कि तुझे दोज़ख में तो दाखिल नहीं कर दिया गया)*

*"_ तो वह बताएगा कि ऐ भाई ! मैं तेरे (जन्नत में चले जाने के) बाद दुख दर्द और घबराहट के साथ जन्नत के बाहर रोक लिया गया था और तुम तक नहीं पहुंच सका था और मेरा पसीना इतना बहा कि अगर उस पर एक हज़ार नमकीन और तल्ख पौधे खाने वाले ऊंट जमा हो जाएं तो उससे सैर होकर वापस जाएं _,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद- 1/304, मजमा अज़ ज़वाइद- 10/263,* 

 *"_गरीब मुसलमानों का फरिश्तों से सवाल जवाब _,"*
*"_हजरत सईद बिन अल मुसययब रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि एक शख्स जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की खिदमते अक़दस में हाज़िर हुआ और अर्ज़ किया या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ! मुझे बताइए क़यामत के दिन अल्लाह ताला के हमनशीन कौन होंगे ? इरशाद फरमाया- अल्लाह से डरने वाले और आजिजी़ व इंकसारी करने वाले जो अल्लाह ताला को बहुत याद करते हैं _,"*
*"_अर्ज़़ किया- या रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम क्या यही लोग जन्नत में सबसे पहले दाखिल होंगे ? फरमाया- नहीं, उसने अर्ज़ किया- तो फिर सबसे पहले लोगों में से कौन जन्नत में दाखिल होगा ?*

*"_इरशाद फरमाया लोगों में से सबसे पहले गरीब मुसलमान जन्नत में दाखिल होंगे, जन्नत से उनके पास कुछ फरिश्ते आएंगे और कहेंगे तुम हिसाब किताब की तरफ चलो, तो वो कहेंगे हम किस चीज़ का हिसाब दें अल्लाह की क़सम दुनिया में माल दौलत से हमें कुछ भी नसीब नहीं हुआ जिसमें हम बुख्ल करते या फिजूलखर्चियां करते और ना ही हम हुक्मरान थे कि इंसाफ करते या ज़ुल्म करते, हमारे पास तो अल्लाह ताला का दीन आया था हम उसकी इबादत में मसरूफ रहे यहां तक की मौत आ गई _,"*

*"_तो उनसे कहा जाएगा तुम जन्नत में दाखिल हो जाओ नेक अमल करने वालों के लिए बेहतरीन अज्र है _,"*
*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 249,*

*"_फुक़रा का सवाब जन्नत है :-*
*"_हजरत अब्दुल्लाह बिन उमर रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- जब तुम रोज़े क़यामत में जमा होंगे तो कहा जाएगा कि इस उम्मत के फुक़रा और मसाकीन कहां हैं ?*
*"_आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फ़रमाया कि यह खड़े हो जाएंगे, उनसे पूछा जाएगा कि तुमने क्या अमल किया ? वो अर्ज़ करेंगे- ऐ हमारे परवरदिगार ! हम पर आज़माइश डाली गई तो हमने सब्र किया और आपने माल व दौलत और सल्तनत दूसरों को अता की थी (हमको नहीं), तो अल्लाह ताला फरमाएंगे तुमने दुरुस्त कहा_,"*

*"_आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि फिर यह लोग दूसरे लोगों से पहले जन्नत में दाखिल होंगे जबकि मालदार और साहिबे सल्तनत (हुक्मरानों) पर हिसाब किताब की सख्ती बदस्तूर का़यम होगी,*
*"_सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया- उस दिन मोमिन हजरात कहां होंगे ?*
*"_आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- उनके लिए नूर की कुर्सियां बिछाई जाएंगी और उन पर बादल साया करते होंगे, मोमिन के लिए यह रोज़ दिन की एक घड़ी से भी बहुत कम (महसूस) होगा _,"*
*🗂️_ सही इब्ने हिबान (अल एहसान-10/353 हदीस 7376) तरगीब व तरहीब- 4/391 मजमुआ अज़ ज़वाइद-10/337,*

 *"_सबसे पहले जन्नत का दरवाज़ा खटखटाने वाले _,"*
*"_हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- सबसे पहले जन्नत का दरवाज़ा मै खटखटाउंगा, दारोगा जन्नत कहेगा आप कौन हैं ? मैं कहूंगा मैं मोहम्मद हूं, तो वह कहेगा आप ठहरें मैं आपके लिए अभी खोलता हूं मैं आपसे पहले किसी के लिए नहीं उठा और ना ही आप के बाद किसी के लिए उठूंगा _,"*
*🗂️_ अबू नईम- 1/117 फतहुल बारी- 11/436,* 

*"_एक और रिवायत में है कि मुझे हुक्म दिया गया है कि मैं आपसे पहले (जन्नत का दरवाज़ा) किसी के लिए नहीं खोलूंगा _,"*
*🗂️_ मुस्लिम- 137, अहमद 3/136,* 

*"_फायदा:- यह फरिश्ता आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के खास मुका़म व मर्तबा की वजह से बाबे जन्नत पर मुतय्यन किया गया है जो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम के बाद और किसी नबी और वली के इस्तक़बाल और दरवाज़ा खोलने के लिए नहीं उठेगा बल्कि जन्नत के तमाम मुंतज़िमीन फरिश्ते आपके इकराम में खड़े होंगे और यह फरिश्ता गोया कि जन्नत के बाक़ी दारोगाओं का बादशाह है जिसको अल्लाह ताला अपने बंदे और रसूल की खिदमत में खड़ा करेंगे और यह खुद आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम की खिदमत में चलकर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम का दरवाज़ा खोलेगा _,"*
*🗂️_ हादी अल रवाह-150,*

_ हुजूर सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम की शान व अज़मत_,"* 
*"_हज़रत इब्ने अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम के कुछ सहाबा किराम रज़ियल्लाहु अन्हुम आप सल्लल्लाहु अलैहि सल्लम के इंतज़ार में बैठ गए, आप जब तशरीफ लाए और उनके क़रीब पहुंचे तो उनको मुजाक़रा करते हुए सुना, जब आपने उनकी यह बातचीत सुनी तो उनमें से एक कह रहा था- कितनी अजीब बात है अल्लाह ताला का उसकी मखलूक़ में एक खालिस दोस्त भी है, अल्लाह ताला ने हजरत इब्राहीम अलैहिस्सलाम को मुखलिस दोस्त बनाया है, दूसरे सहाबी ने कहा यह बात अल्लाह ताला के कलीम हजरत मूसा अलैहिस्सलाम से ज़्यादा अजीब नहीं अल्लाह ताला ने उनसे कलाम फरमाया _,"* 
*"_एक सहाबी ने फरमाया हज़रत ईसा अलैहिस्सलाम को देखिए वह अल्लाह के कलमा और उसकी तरफ से रूह हैं, एक और सहाबी ने फरमाया हजरत आदम अलैहिस्सलाम वह हैं जिनको अल्लाह ताला ने मुंतखब फरमाया है _,"*

*"_फिर आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम उनके (सहाबा किराम के) पास तशरीफ लाए सलाम किया और फरमाया- मैंने तुम्हारी गुफ्तगू और तुम्हारा ताज्जुब सुना है, इब्राहिम अलैहिस्सलाम अल्लाह के दोस्त हैं वाक़ई ऐसा ही है, मुसा अलैहिस्सलाम अल्लाह के साथ सरगोशी करने वाले हैं वाक़ई ऐसा ही है, ईसा अलैहिस्सलाम उसकी तरफ से रूह और उसका कलमा (बिन बाप के अल्लाह के हुक्म से पैदा हुए) हैं वाक़ई ऐसा ही है और आदम अलैहिस्सलाम वह है जिनको अल्लाह ताला ने बरगुज़ीदा बनाया वह ऐसे ही हैं _,"* 

*"_सुन लो ! मैं अल्लाह का हबीब (मुहब्ब व महबूब) हूं और मैं कोई फख्र नहीं कर रहा, मैं ही क़यामत के दिन "लवाउल्हम्द" को उठाउंगा मैं इसमें भी कोई फख्र नहीं कर रहा, मैं सबसे पहले रोज़े क़यामत शफा'त करूंगा और सबसे पहले मेरी शफा'त क़ुबूल की जाएगी और मैं यह भी फख्र और तकब्बुर की बात नहीं कर रहा और मैं ही सबसे पहले जन्नत का कुंडा खटखटाउंगा वह मेरे लिए खोला जाएगा और मैं जन्नत में दाखिल होउंगा और मेरे साथ (जन्नत में दाखिल होते वक़्त) फुक़रा मोमिनीन (गरीब मुसलमान) होंगे और उसमें भी मैं फख्र नहीं करता, और मैं अगले और पिछलों (सब मखलूक़ात से) ज़्यादा शान व मर्तबा का मालिक हूं और मैं इसमें भी फख्र और तकब्बुर नहीं कर रहा _,"*
*🗂️_ तिर्मिज़ी -3616 हादी अल रवाह-151,*
              ┅┅━━═۞═━━┅
*☞ दोजख से निकाल कर जन्नत में दाखिल किए जाने वालों के हालात:- ग्यारह गुना दुनिया के बराबर जन्नत _,"*
*⚃➠ हज़रत इब्ने मसूद गाजी अल्लाहू अन्हू फरमाते हैं की जनाब ए रसूल अल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया दोज़खियों में से आखिर में अहले जन्नत में शामिल होने वालों में मैं उस आदमी को जानता हूं जो दोजख से सुरीन के बल घिसटकर निकलेगा, अल्लाह ताला फरमाएंगे जा जन्नत में दाखिल हो जा_,"* 
*"_ जब वह उसके पास पहुंचेगा तो उसके ख्याल में यह डाला जाएगा कि वह भरी हुई है, चुनांचे वह लौटकर अर्ज़ करेगा- या रब वह तो मुझे भरी हुई नज़र आ रही है, अल्लाह ताला इरशाद फरमायेंगे - जा जन्नत में दाखिल हो जा तुझे दुनिया के बराबर और उससे मजी़द दस गुना जन्नत दी जाती है _,"*

*"_वह अर्ज़ करेगा- आप मालिकुल मुल्क हो कर मुझसे मज़ाक कर रहे हैं (हालांकि यह मज़ाक नहीं होगा बल्कि हक़ीक़त होगी, हजरत इब्ने मसू'द रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि मैंने जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम को देखा कि आप इतने हंसे कि आपकी दाढ़ मुबारक नज़र आने लगी _,"*

*"_ कहा जाता था कि यह शख्स अहले जन्नत में सबसे कम मर्तबा पर फाइज़ होगा _,"*
*🗂️ _ बुखारी ( 11/418-419 मय फताहुल बारी) मुस्लिम- 308-309, तिर्मिज़ी -2590, इब्ने माजा-4339,*

*★_फ़ायदा: इस हदीस से पता चलता है कि इस अदना और अखीर में जन्नत में दाखिल होने वाले को दुनिया के ग्यारह गुना जन्नत अता की जाएगी _,"*
       
 *"☞_ अखीर में जन्नत में दाखिल होने वाले की हिकायात _,"*
*"_हजरत अब्दुल्लाह बिन मसूद रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- सबसे आखरी में जन्नत में दाखिल होने वाला वह शख्स होगा जो कभी चलता होगा कभी सुरीन के बल घिसटता होगा और कभी दोजख की आग उसको झुलसा देती होगी, जब वह दोजख से निकल जाएगा तो उसको देखकर अर्ज करेगा ए बारी ता'ला आपने मुझे इससे निजात अता फरमा दी है और वह इनायत फरमाई है जो ना तो अगलों को नसीब हुई ना पिछलों को ‌_,"*

*"_फिर उस आदमी के सामने एक दरख्त को जाहिर किया जाएगा, तो यह उसको देखकर अर्ज करेगा- या रब आप मुझे इस दरख़्त के क़रीब कर दें मैं इसके साए में बैठना चाहता हूं और इसका पानी पीना चाहता हूं, अल्लाह तबारक व ताला पूछेंगे ऐ इब्ने आदम अगर मैं तुम्हें यह दे दूं तो (इसके अलावा) किसी और चीज की तलब भी करेगा? वह अर्ज़ करेगा मैं इसके अलावा कोई चीज़ नहीं मानूंगा और उसका रब उसके उज्र को क़ुबूल करता रहेगा क्योंकि वह शख्स ऐसी चीज़ों को देखेगा जिन पर वह सब्र नहीं कर सकता _,"* 

*"_फिर पहले दरख़्त से भी ज्यादा हसीन दरख्त उसको सामने से दिखाया जाएगा तो वह शख्स कहेगा -या रब मुझे उस दरख़्त के क़रीब कर दें ताकि मैं उसका पानी पी सकूं और उसके साए में बैठ सकूं मैं इसके अलावा और कुछ नहीं मांगूंगा, अल्लाह ताला पूछेंगे ऐ इब्ने आदम तूने मेरे साथ मुआहिदा नहीं किया था कि तू मुझसे इसके अलावा कुछ नहीं मांगेगा, चुनांचे अल्लाह ताला उसको उस दरख्त के क़रीब कर देंगे _,"*

*"_जब वह उस दरख्त के क़रीब पहुंच जाएगा तो जन्नत वालों की आवाज़ें सुनेगा और अर्ज़ करेगा ऐ रब मुझे आप जन्नत में दाखिल कर दें, अल्लाह ताला फरमाएंगे तुझे यह पसंद है कि मैं तुझे दुनिया और उसके बराबर मज़ीद जन्नत अता करूं ? वो अर्ज़ करेगा या रब आप मुझसे मज़ाक करते हैं हालांकि आप रब्बुल आलमीन है ? अल्लाह ताला फरमाएंगे मैं तुमसे मज़ाक नहीं कर रहा बल्कि मैं जो चाहूं इसकी (करने की) ताक़त रखता हूं _,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद- 1/401, मुस्लिम -310, हादी अल रवाह- 474,*

 *"_ जन्नत में दाखिल होने वाले एक और दोज़खी की हिकायत _,"*
*"_हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ एक शख्स दोज़ख में एक हज़ार साल तक "या हन्नान या मन्नान" पुकारेगा, अल्लाह ताला हजरत जिब्रील से फरमाएंगे जाओ मेरे इस बंदे को मेरे पास लेकर आओ_,"*

*"_ हजरत जिब्रील रवाना होंगे और दोज़खियों को उल्टे मुंह गिरे हुए रोते हुए पाएंगे और वापस आकर अपने परवरदिगार को इसकी इत्तिला करेंगे, अल्लाह ताला फरमाएंगे तुम उसको मेरे पास लेकर आओ वह फलां जगह में मौजूद है _,"* 

*"_ चुनांचे वो उसको लेकर अपने परवरदिगार के सामने पेश कर देंगे, अल्लाह ताला पूछेंगे ऐ मेरे बंदे तुमने अपने मकान और आरामगाह को कैसा पाया ? अर्ज़ करेगा या रब बहुत बुरा मकान और बहुत बुरी आरामगाह है _,"*

*"_ अल्लाह ताला फरमाएंगे मेरे बंदे को वापस (वहीं दोज़ख मे) ले ले जाओ, वो अर्ज़ करेगा या रब जब आपने मुझे दोजख से निकाला था तब मैं इसकी उम्मीद नहीं करता था कि आप मुझे उसमे ( दौबारा) डाल देंगे, तो अल्लाह ताला फरमाएंगे कि मेरे इस बंदे को छोड़ दो ( और जन्नत में दाखिल कर दो)_,"*
*🗂️ मुसनद अहमद- 3/230, तज़किरतुल क़ुर्तुबी -2/428,*

 *"_ दोजख में बिलबिलाने वाले दो शख्सों का जन्नत में दाखिला _,"*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- जो लोग दोजख में दाखिल किए जाएंगे उनमें से दो आदमियों की चीख-पुकार बहुत बड़ी हुई होगी, अल्लाह ताला हुक्म देंगे इन दोनों को बाहर निकालो, जब उनको बाहर निकाला जाएगा और अल्लाह ताला पूछेंगे किस वजह से तुम्हारी चीख व पुकार बहुत सख्त हो गई थी ? वह अर्ज़ करेंगे कि हमने यह इसलिए किया था कि आप हम पर रहम फरमाएं_,"* 

*"_अल्लाह ताला फरमाएंगे तुम दोनों पर मेरी रहमत यह है कि तुम वापस चले जाओ और दोजख में जहां पर मौजूद थे वहीं पर अपने आप को गिरा दो, चुनांचे वह दोनों चल पड़ेंगे, उनमें से एक को तो खुद को दोजख में गिरा देगा और उस पर दोजख को ठंडक और सलामती कर दिया जाएगा मगर दूसरा शख्स खुद को नहीं गिराएगा _,"* 

*"_अल्लाह ताला पूछेंगे तुम्हें किस बात ने मना किया कि तुमने अपने आप को इस तरह से नहीं गिराया जिस तरह से तेरे साथी ने गिरा दिया ? वो अर्ज़ करेगा या रब मैं उम्मीद करता हूं कि आप मुझे दोजख से निकालने के बाद दोबारा उसमें दाखिल नहीं करेंगे, तो अल्लाह ताला उससे फरमाएंगे तेरे लिए तेरी उम्मीद के मुताबिक मामला करते हैं, चुनांचे उन दोनों को अल्लाह ताला की रहमत के साथ जन्नत में दाखिल कर दिया जाएगा _,"*
*" मुसनद अहमद- 3/230 तज़किरतुल क़ुर्तुबी- 2/428 ,*

*"_मोमिनो की सिफारिश और अल्लाह की एक मुट्ठी से दोज़खियों की बख़्शीश_,"* 
*"_हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से रिवायत में नक़ल करते हुए फरमाते हैं कि आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-* 
*"_जब मुसलमान जहन्नम से पार हो जाएंगे तो मुझे क़सम है उस ज़ात की जिसके क़ब्जे में मेरी जान है तुममें से हर एक से ज़्यादा हक़ की अदायगी में मोमिनों के लिए रोज़े क़यामत अल्लाह ताला को क़सम दिलाने वाला कोई नहीं होगा यह अपने उन मुसलमान भाइयों की सिफारिश करते हुए अर्ज करेंगे:-* 
*"_ऐ हमारे रब यह (जहन्नम में जो मौजूद मोमिन हजरात ) हमारे साथ रोज़े रखा करते थे नमाज़े पढ़ा करते थे और हज किया करते थे (इसलिए उन्हें माफ फरमा कर जहन्नम से निकाल लें और जन्नत में दाखिल फरमा दें)* 

*"_तो उन्हें फरमाया जाएगा जिन्हें तुम जानते हो उनको निकाल लाओ उनके जिस्म जहन्नम पर हराम है, पस वो लोग बहुत सी खलक़त को निकाल लेंगे जिन्हें जहन्नम में आधी पिंडलियों तक या घुटनों तक गर्क किया हुआ था, पस यह लोग अर्ज़ करेंगे ऐ हमारे परवरदिगार जिनका आपने हमें हुक्म फरमाया था उनमें से कोई भी बाक़ी नहीं रहा _,"*

*"_फिर अल्लाह ताला उनको हुक्म फरमाएंगे तुम वापस लौट जाओ और जिसके दिल में एक दीनार के बराबर भी खैर पाते हो उसे (भी जहन्नम से) निकाल लाओ, पस वो बहुत सी मखलूक को निकाल लाएंगे और कहेंगे ऐ हमारे परवरदिगार हमने किसी को उसने नहीं छोड़ा जिसका भी आपने हमें हुक्म फरमाया (हम उसको निकाल लाए हैं )*

*"_फिर अल्लाह ताला फरमाएंगे (अब भी) वापस लौट जाओ और जिसके दिल में आधे दीनार के वज़न के बराबर भलाई जानो उसे भी निकाल लो, पस वो बहुत सी मखलूक को बाहर निकाल लाएंगे फिर कहेंगे ए हमारे परवरदिगार हमने उसमें किसी को नहीं छोड़ा जिसके निकालने का आपने हुक्म दिया _,"*

*"_फिर अल्लाह ताला फरमाएंगे (अब भी) वापस लौट जाओ और जिसके दिल में एक ज़र्रा बराबर भी भलाई ( ईमान) पाओ उसे भी निकाल लाओ, तब भी वो बहुत सी मखलूक़ को बाहर निकाल लाएंगे और कहेंगे ए हमारे परवरदिगार हमने इसमें भलाई करने वाली (ईमान लाने वाली) मखलूक़ बिल्कुल नहीं रहने दी (सब को जहन्नम से निकाल दिया है )*

 *★_ हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु इस रिवायत को बयान करने के बाद फरमाया करते थे अगर तुम इस हदीस के बारे में मेरी तसदीक़ ना करो तो चाहो तो यह आयत पढ़ लो :-* 
*(तर्जुमा) बिला शुबहा अल्लाह ताला किसी पर ज़र्रा बराबर भी ज़ुल्म नहीं फरमाएंगे अगर एक नेकी (भी) होगी तो उसे भी अजरो सवाब में दोगुना करेंगे और अपनी तरफ से अजरे अज़ीम अता फरमाएंगे _,"( सूरह निसा- 40)* 

*"_फिर अल्लाह ताला फरमाएंगे फरिश्तों ने शफा'अत की, अंबिया अलैहिस्सलाम ने भी शफा'अत की और मोमिनों ने भी शफा'अत की अब सिवाय अर्रहमान अर्रहीम के कोई नहीं बचा तो (खुद अल्लाह ताला) आग से (मोमिनों की) एक मुट्ठी भरेंगे और उसके जरिए ऐसी क़ौम को बाहर निकालेंगे जिन्होंने ईमान के अलावा और कोई भलाई ना की होंगी और वह कोयला बन चुके होंगे _,"*
*"_ फिर अल्लाह ताला उनको जन्नत के सामने नहर में डाल देंगे उस नहर का नाम नहरे हयात है तो वह (उससे इस हालत में) निकलेंगे जैसे सैलाब खुश्क होने के बाद दाना निकलता है _,"*
*"_

 *"_मोमिन सिर्फ ईमान की बदौलत दोजख से निकलेंगे _,"*
*"_जिन लोगों ने कभी भलाई ना की होगी इससे मुराद यही कि अपने आ'ज़ा से कोई अमल ना किया होगा अगरचे उन के साथ तोहीद की हक़ीक़त मौजूद होगी, जैसा कि उस आदमी की हदीस में भी वारिद है जिसने अपने घर वालों से कहा था उसे मौत आने के बाद जला डाले, उसने भी कोई नेक अमल कभी नहीं किया था सिवाय तोहीद के _,"*
*🗂️_ मुसनद अहमद-* 

*"_इसकी ताईद इस हदीस से भी होती है जिसमें है कि हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया- मैं अल्लाह ताला के सामने अर्ज़ करूंगा ए मेरे परवरदिगार मुझे उन लोगों के मुताल्लिक़ (भी) शफा'अत करने की इजाज़त दे जो ला इलाहा इलल्लाह कहते थे, तो अल्लाह ताला फरमाएंगे मुझे मेरी इज्ज़त व जलाल, किबरियाई और अज़मत की क़सम है मैं ज़रूर ऐसे आदमी को जहन्नम से निकाल लूंगा ( जिसने ला इलाहा इल्लल्लाह कहा था)_,"*
*🗂️_ अत तखवीफ मिनन्नार बा हवाला बुखारी व मुस्लिम,*

*"_यह हदीस भी इस बात की वज़ाहत करती है कि जिन लोगों ने कभी भी अपनी आ'ज़ा से नेक अमल नहीं किया होगा लेकिन सिर्फ अहले कलमा थे उनको अल्लाह ताला अपनी रहमत से बगैर किसी की शफा'अत के जहन्नम से निकालेंगे _,"*
*🗂️_जन्नत के हसीन मनाज़िर- 269,*

: *"_फ़रिश्ते भी दोज़खियों को निकालेंगे_,*
*"_हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि रसूले अकरम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने एक तवील हदीस में यह भी फरमाया - हत्ताकि जब अल्लाह ताला बंदों के दरमियान इंसाफ करके फारिग हो जाएंगे और इरादा फरमाएंगे कि अपनी रहमत से बड़े गुनाहों के मुर्तकब लोगों को जहन्नम से निकाल लें तो फरिश्तों को हुक्म फरमाएंगे कि वह हर उस आदमी को जहन्नम से निकाल लें जो अल्लाह ताला के साथ किसी को शरीक़ नहीं करता था (यह फरिश्ते) उन्हें सजदे के निशान से पहचानेंगे (क्योंकि) जहन्नम इब्ने आदम के तमाम हिस्सों को जलाएगी मगर सजदे के मुका़म को बाक़ी छोड़ देगी_,"*

*"_ इसलिए कि अल्लाह ताला ने आग पर हराम कर दिया है कि वह सजदों के मुका़मात को जला सके, जब वह जहन्नम से निकलेंगे तो कोयला हो चुके होंगे फिर उन पर आबे हयात पलटा जाएगा तो वह इससे इस तरह तरोताजा़ हो जाएंगे जिस तरह दाना सैलाब खुश्क होने के बाद (ज़मीन से) उग पड़ता है _,"*.
*🗂️_ बुखारी व मुस्लिम, अल तखवीफ मिनन्नार,*

*"_गुनहगार दोजखी शफा'अत से भी जन्नत में जाएंगे _,"*
*"_हजरत अबु सईद रज़ियल्लाहु अन्हु से मरवी है कि नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- दोजखी जो जहन्नम के अहल होंगे वह ना तो उसमें मरेंगे और ना जिएंगे लेकिन कुछ लोग ऐसे होंगे जिन्हें आग उनके गुनाहों के हिसाब से जलाएगी _,"*

*"_फिर अल्लाह ताला उनको मौत दे देंगे यहां तक कि जब वह कोयला बन जाएंगे तो शफा'अत की इजाज़त दी जाएगी तो उनको जमा'तो की शक्ल में लाया जाएगा और जन्नत की नहरों पर बिखेर दिया जाएगा _,"*

*"_फिर अहले जन्नत को हुक्म दिया जाएगा कि उन पर (आबे हयात) पलटो तो वह उससे तरोताजा़ हो जाएंगे जिस तरह सैलाब में बहने वाला दाना (सैलाब खुश्क होने के बाद ज़मीन पर ठहर जाता है और) उग पड़ता है _,"*
*🗂️_ मुस्लिम अल तखवीफ मिनन्नार,*

*"_(फायदा)- इस हदीस से मालूम होता है कि गुनहगार मुसलमान जहन्नम में हक़ीक़ी और पर फौत होंगे और उनकी रूहें उनके जिस्म से जुदा होंगी_,"* 
*"( तंबीह)- इस पर यह शुबहा ना किया जाए कि जब मौत को भी मौत आ जाएगी तो यह कैसे मरेंगे इसलिए कि मोमिनो पर मौत आने की यह हालत मौत के ज़िबह होने से पहले की है मौत के ज़िबह होने के बाद क़तन किसी को मौत नहीं आएगी _,"*
*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 270,*

 *"_दोजख से निजात पाकर जन्नत में जाने वाले अदना जन्नती होंगे _,"*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि हजरत सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया:- अहले जन्नत में कम नसीब वाली वह क़ौम है जिनको अल्लाह ताला आग से निकालेंगे और (जहन्नम से) आज़ाद कर देंगे और उन्हें राहत पहुंचाएंगे_,"*

*"_ और यह वह लोग होंगे जो अल्लाह के साथ किसी को शरीक नहीं ठहराते थे, इन्हें खुले मैदान में फेंक दिया जाएगा तो यह तरोताजा़ होकर उभरने लगेंगे जैसे सब्ज़ा उगता है यहां तक कि जब रूहें जिस्मों में दाखिल होंगी तो वह अर्ज़ करेंगे ऐ हमारे रब जिस तरह आपने हमें आग से निकाला है और रूहों को जिस्मों में लौटाया है उसी तरह हमारे रुख भी आग से फैर दीजिए तो उनके रुख भी आग से फैर दिए जाएंगे _,"*
*🗂️_ मुसनद बिज़्ज़ार ( अत्तखवीफ मिनन्नार)*

: *"_दोजख में मोमिनों की हालत _,"*
*"_ मुहम्मद बिन अली (इमाम बाक़र रह.) अपने बाप से वो अपने दादा से रिवायत करते हैं कि नबी अकरम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- तमाम उम्मतो के मुहदीन बड़े गुनाहों के मुर्तकब जब अपने गुनाहों की मौजूदगी में बगैर शर्मिंदगी और बगैर तौबा के फौत हो जाएंगे (फिर) उनमें से जो लोग दोजख के पहले दरवाज़े से आग में दाखिल होंगे, ना तो उनकी बीनाई छीन ली जाएगी, ना उनके मुंह काले होंगे, ना शैतानों के साथ जकड़े जाएंगे, ना ज़ंजीरो से बांधे जाएंगे, ना जलता हुआ पानी पिलाएं जाएंगे और ना जहन्नम में तारकोल का लिबास पहना जाएंगे _,*

*"_अल्लाह ने तौहीद की वजह से उनके जिस्मों को जहन्नम में हमेशा रहना हराम कर दिया है, सजदों की वजह से उनकी सूरतों को आग पर हराम किया है, उनमें से किसी को बदा आमालियों के हिसाब से आग ने क़दमों तक पकड़ा होगा, किसी को कमर तक, किसी को गर्दन तक, उनमें से कोई एक माह जहन्नम में रहेगा फिर निकाल लिया जाएगा, उनमें से जहन्नम में सबसे ज़्यादा दुनिया की उम्र (के बराबर रहेगा यानी कि) जब से दुनिया बनी यहां तक कि जब तबाह होगी _,"* 

*"_जब अल्लाह ताला इरादा करेंगे कि उनको जहन्नम से निकालें तो यहूदी और ईसाई और बाक़ी दोजखी जो मुख्तलिफ बातिल दीन या पुत परस्तों से ताल्लुक़ रखते होंगे (बतौर ताना) मुहदीन को कहेंगे कि तुम (अल्लाह पर) ईमान लाए उसकी किताबों पर भी उसके रसूलों पर भी लेकिन हम और तुम आज दोजख में एक हाल में हैं _,"*

*"_पस अल्लाह ताला उन पर इतना गुस्सा आलूद होंगे कि और गुज़िश्ता औकात में इतना गुस्सा आलूद कभी ना हुए होंगे, पस उनको जन्नत के एक चश्मे की तरफ से निकाल लेंगे उसी के मुताल्लिक अल्लाह ताला का फरमान है, "वह लोग ख्वाइश करेंगे कि काश वह (भी) मुसलमान होते _,"*
*🗂️ अत्तखवीफ मिनन्नार -263,*

: *"_अंधेरी रात में नमाज़ को जाने वालों को दोजख में बंद नहीं किया जाएगा _,"*
*"₹हजरत हसन बसरी रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि अहले तोहीद (गुनहगार मुसलमानों) को आग में बंद नहीं किया जाएगा (यह सूरत देखकर) जहन्नम की पुलिस एक दूसरे से कहेंगी इन (कुफ्फार) की हालत तो यह है कि उन्हें आग में बंद किया हुआ है और इन्हें बंद नहीं किया गया ?*
*"_ तो मैं एक मुनादी निदा करेगा (इसलिए कि) यह लोग मसाजिद में अंधेरी रात में (भी) जाया करते थे _,*
*🗂️_ अत्तखवीफ मिनन्नार-264,*

*"_हजरत हसन बसरी रहमतुल्लाह फरमाते हैं कि एक शख्स को एक हज़ार साल के बाद भी निकाला जाएगा फिर हजरत हसन बसरी रहमतुल्लाह ने (शिद्दत ए खौफ से) फरमाया काश कि वह आदमी मै होता _,"*
*🗂️_ अत्तखवीफ मिनन्नार -264,*

: *"_जन्नत भरने के लिए नई मखलूक़ पैदा होगी _,"*
*"_हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत में से जितना हिस्सा अल्लाह ताला चाहेंगे खाली रहेगा फिर अल्लाह सुब्हानहु ता'ला इसके लिए एक मखलूक पैदा करेंगे जिससे चाहेंगे और उनको जन्नत के फारिग हिस्से में बसा देंगे _,"*
*🗂️_ मुस्लिम- 40, मुसनद हमीदी- 3/265, कंजुल उम्माल- 39407,* 

*"_फायदा:- क़यामत के रोज़ और जन्नत में दाखिल हो चुकने के बाद अहले दोज़ब मुसलमानों के लिए अल्लाह ताला की रहमत और बख्शिश का कोई अंदाज़ा नहीं लगाया जा सकता इतनी कसरत से जन्नत में दाखिले के बावजूद जन्नत फिर भी खाली रह जाएगी क्योंकि जन्नत अल्लाह ताला का फज़ल है जिसकी कोई इंतिहा नहीं इसको यह मखलूक़ मुकम्मल तौर पर नहीं भर सकेगी इसलिए उसको भरने के लिए अल्लाह नई मखलूक़ पैदा करके उसमें बसाएंगे _,"*
*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाजिर- 277,*

: *"_मर्दों का हुस्नो जमाल -,*
*"_हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं मुझे उस ज़ात की क़सम जिसने कु़राने पाक हज़रत मुहम्मद सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम पर नाज़िल फरमाया है जन्नत में रहने वाले (मर्द व औरत, हूर व गुलामों के) हुस्नो जमाल में इस तरह से इजा़फा होता रहेगा जिस तरह से उनका दुनिया में (आखिर उम्र में) बदसूरती और बुढ़ापे में इज़ाफ़ा होता रहता है _,"* 
*🗂️-मुसन्निफ इब्ने अबी शैबा- १३/११४, अबू नईम -२२४,*

*"_इरशाद ए खुदावंदी है कि "गोया कि वह खिदमतगार लड़के महफूज़ रखे हुए मोती हैं_", इस इरशाद की तफसीर में हजरत क़तादा फरमाते हैं कि मुझे यह बात पहुंची है कि अर्ज़ किया गया -या रसूलल्लाह ! यह तो नौकर और खिदमतगार हैं लो लो मोती की तरह तो मखदूम कैसे होंगे ? आपने इरशाद फरमाया- मुझे उस ज़ात की क़सम जिसके क़ब्जे में मेरी जान है उनके दरमियान ऐसी फजी़लत है जैसे चौंधवी के रात के चांद की सितारों पर होती है _,"*
*🗂️_ दुर्रे मंसूर -६/११६ बा हवाला इब्ने जरीर- (२९/२७) तफसीर अब्दुर्रज्जा़क- (२/२४८)*

*"_ हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नत में एक बाज़ार होगा, जन्नती हर जुमा को उसमें आया करेंगे, शुमाल से एक खुशबू चलेगी जो उनके लिबास पर पड़ेगी और यह हुस्न व जमाल में बढ़ जाएंगे ‌_,"*

*"_फिर यह अपने घर वालों के पास लोटेंगे जबकि यह हुस्न व जमाल में खूब तरक्की किए हुए होंगे उनको उनकी बीबियां कहेंगी आप तो हमसे जुदा होने के बाद हुस्न व जमाल में बहुत बढ़ गए हैं, तो यह मर्द कहेंगे आप भी तो खुदा की क़सम हुस्न व जमाल में बढ़ चुकी हो _,"*
*🗂️_ अबु नईम - ४१७, मुस्लिम - २८३३, अहमद- ३/२८४, सुनन दारमी - २८४५, कंज़ुल उम्माल-१४/४८७,*

*"_फायदा- यह हवा मुश्क के टीलों से चलाई जाएगी, जन्नती मर्द व औरतें हर घड़ी हुस्न व जमाल में तरक्की़ करते रहेंगी जब एक दूसरे से कुछ देर ओझल होंगे तो चूंकि इस हालत में भी उनके हुस्न व जमाल में इज़ाफ़ा होता रहेगा इसकी वजह से वह एक दूसरे के हुस्न में इज़ाफ़ा को देखकर हैरान और लुत्फ अंदोज़ होंगे _,"*

*"_जन्नत के बाज़ार में हुस्न व जमाल में मन पसंद हसीन व जमील सूरते भी होंगी, जितनी जिस सूरत को पसंद करेगा उसमें तब्दील हो सकेगा _,"*

*🗂️ जन्नत के हसीन मनाज़िर -२७९,*

: *"_हुस्न ए यूसुफ अलैहिस्सलाम :-*
*"_ मिक़दाम बिन मा'दी कर्ब रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ ज़ाया होने वाले बच्चे से लेकर बूढ़े तक (मोमिन) क़यामत के दिन हज़रत आदम की सूरत, हज़रत अय्यूब के दिल और हजरत यूसुफ के हुस्न पर बगैर ढाडी के आंखों में सुरमा लगाए हुए (कब्रों से) उठाए जायेंगे _,"*

*🗂️ _ तबरानी कबीर (20/255,280,281) मजमुआ अज़ ज़वाइद-10/334, अबु नईम -258,*

: *"_ताज की शान व शौकत:-*
*"_हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- जन्नतियों पर ताज सजे होंगे उनमें से ( हर एक ताज का ) अदना दर्जे का मोती वह होगा जो मशरिक़ व मगरिब के दरमियान फासले को रोशन करता होगा _,"*

*🗂️_ तिर्मिज़ी -2562, हाकिम -2/426, दुर्रे मंसूर -5/253,*

: *"_जन्नतियों का क़द और शक्ल व सूरत _,*
*"_हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया- अल्लाह ताला ने हजरत आदम अलैहिस्सलाम को उनकी (बेहतरीन) सूरत पर पैदा फरमाया उनका क़द 60 हाथ था, जब अल्लाह ताला ने उनको पैदा किया तो फरमाया आप जा कर उस जमात को सलाम कीजिए, यह फ़रिश्तो की एक जमात थी जो बैठी हुई थी और (उनसे) सुनिए ये आपको क्या जवाब देते हैं यानी आपका और आपकी औलाद का सलाम होगा,*

*"_ हुज़ूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं - चुनांचे हजरत आदम अलैहिस्सलाम तशरीफ ले गए और फ़रमाया अस्सलामु अलैकुम वा रहमतुल्लाहि वा बकारतुहू,*

*"_ उन फरिश्तों ने सलाम में वा रहमतुल्लाहि वा बकारतुहू का इज़ाफा किया, हुजूर सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं कि पस जो भी जन्नत में दाखिल होगा वो हजरत आदम अलैहिस्सलाम की शक्ल व शबाहत पर होगा उसके ( क़द की लंबाई) साठ (60) हाथ होगी, लेकिन हजरत आदम के ( दुनिया में तशरीफ़ ले) जाने के बाद अब तक हुस्नो जमाल और क़द काठी कम ही होता जा रहा है _,"*
*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर- 283, बा हवाला - मुसन्निफ़ अब्दुर्रज़ाक (10/384) मुसनद अहमद-(2/315) बुखारी (3326) मुस्लिम (2841)*
              ┅┅━━═۞═━━┅
    *☞_चांद सितारों जैसी शक्ल _,"*
*"⚃➠_ हजरत अबु हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ पहला गिरोह जो जन्नत में दाखिल होगा उसकी सूरत चौंदवी रात के चांद की तरह होगी और वह लोग जो उनके बाद दाखिल होंगे उनकी सूरत की चमक दमक आसमान में तेज़ रोशन सितारे की तरह होगी _,"*

*➠"_यह जन्नती ना पेशाब करेंगे ना पाखाना ना थूक ना नाक की गलाज़त, उनकी कंघियां सोने की होंगी उनका पसीना कस्तूरी का होगा, उनकी अंगेठियां अगर की होंगी, उनकी बीवियां हूरेन होंगी_,"* 

*➠"_उनके अखलाक एक ही आदमी के खल्क़ जैसे होंगे उनकी सुरतें अपने अब्बा हजरत आदम अलैहिस्सलाम की सूरत पर होगी, लंबाई में (60) साठ हाथ क़द होगा _,"*

*🗂️_ बुखारी -3327, मुस्लिम- 4,281,*

"_काली रंगत वालों का हुस्न_,"*
*"_हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं एक हबशी शख्स जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की खिदमत में हाजिर होकर कुछ सवाल करने लगा, आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया - पूछ लो और खूब समझ लो _,"*

*"_तो उसने अर्ज़ किया- या रसूलल्लाह! आपको हम पर शक्ल व सूरत में खूबसूरती और नबूवत में हम पर फज़ीलत बख्शी गई है, आप क्या फरमाते हैं अगर मैं इस तरह से ईमान ले आऊं जिस तरह से आप अल्लाह ताला पर ईमान लाए और मैं भी वैसे ही अमल करूं जिस तरह के आमाल आप करते हैं तो क्या मैं जन्नत में आपके साथ होंउंगा ?*

*"_आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया- हां फिर आपने इरशाद फरमाया- मुझे उस ज़ात की क़सम किसके क़ब्जे में मेरी जान है, काले रंग वाले शख्स की सफेदी जन्नत में एक हज़ार साल की मुसाफत से देखी जाती होगी _",*
*"_फिर आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया- जिसने "ला इलाहा इलल्लाह" पढ़ा उसके लिए अल्लाह ताला के पास (निजात और जन्नत का) एक परवाना लिख दिया जाता है और जिसने "सुब्हानल्लाही वबी हमदिही" पढ़ा उसके लिए इसके बदले में एक लाख चौबीस हजार नेकियां लिख दी जाती है _,"*

*_(यह सुनकर) उस शख्स ने कहा- या रसूलल्लाह! ऐसे ( ईमान हासिल करने) के बाद हम किस तरह से हलाक हो सकते हैं ?*
*"_तो जनाब ए रसूल अल्लाह सल्लल्लाहो अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया कयामत के दिन आदमी ऐसा अमल करके लाएगा कि अगर उसको पहाड़ पर रख दिया जाए तो उस पर भी भोजन हो जाएगा यानी पहाड़ भुसावल के वजन को उठाने की ताकत नहीं रखें फिर अल्लाह ताला की या मतों में से कोई सी दुनिया की एक नया मत मुकाबले में पेश होगी जो उसकी तमाम में की को देवशंकर देगी मगर यह कि अल्लाह ताला अपनी रहमत के साथ बंदे की दस्तगिरि करेंगे और उसके नए का माल का दर्जा बढ़ाकर उसको जन्नत का वास्तविक कर दिया जाएगा 
ओ साहब उसी ने अर्ज किया क्या मेरी आंख भी हो कुछ देखेगी जो आपकी आंखें जन्नत में देखेंगे आप हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने इरशाद फरमाया हां तो वह हंसी खुशी के मारे इतना रोया यश की जान निकल गई हजरत कितना शर्माते हैं कि मैंने आन हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम को देखा कि आप खुद अपने दस्ते मुबारक से कुशवाहा खुशी को कब्र में अमिताभ रहे थे
*
"_मर्दों की उम्रें ( 33 साल की उम्र में होंगे ):-*
*"_हजरत माज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ जन्नती हज़रात जन्नत में इस हालत में जाएंगे कि ना तो उनके जिस्मों पर बाल होंगे ना डाढी होगी, आंखों में सुरमा लगाए गए होंगे, 30 साल की या 33 साल की उम्र में होंगे _,"*

*🗂️ _ मुसनद अहमद-५/२४३, तिर्मिज़ी- २५४५,*

 *"_ हमेशा जवान रहेंगे :-*
*"_ हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाब ए रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ जन्नतियों को हजरत आदम अलैहिस्सलाम की शक्ल व सूरत में 33 साल की उम्र में बगैर जिस्मानी बाल और दाढ़ी के (क़ब्रों से) उठाया जाएगा, फिर उनको जन्नत में एक दरख्त के पास ले जाया जाएगा जिससे वह लिबास पहनेंगे फिर ना तो उनके कपड़े पुराने होंगे ना जवानी में फर्क आएगा_,"*
*🗂️_ कंजुल उम्माल, हादी अल रवाह- 203, अबु नईम- 155, मजम'उज़ ज़वाइद- 10/398,*

*"_हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_ जन्नतियों में से जो आदमी छोटी उम्र का या बड़ी उम्र का फौत होता है उनको 30 साल की उम्र में जन्नत में दाखिल किया जाएंगे उनकी उम्र इससे ज़्यादा कभी नहीं बढ़ेगी, दोज़खियों की उम्र भी ऐसी ही होगी _,"*
*🗂️_ सुनन तिर्मिज़ी -2562, हादी अल रवाह-203,*

"_चेहरों में नियामतों की तरोताज़गी _,*
*"_अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं, (सूरह मुतफ्फिफीन- आयत 22-23-24):-* 
*"_(तर्जुमा) नेक लोग बड़ी आशाइश में होंगे, मसहरियों पर (बैठे बहिश्त के अजायबात) देखते होंगे, (ए मुखातिब) तू उनके चेहरों में आशाइश की बशाशत पहचानेगा_,"* ‌

*"_तफसीर:- अल्लामा मावरदी फरमाते हैं कि इसकी चार तफसीर है :-*
*१_जन्नतियों के चेहरों की तरोताज़गी और खुशहाली मुराद है,*
*२_ जन्नतियों के चेहरों की चमक दमक मुराद है,*
*३_ जन्नत में एक चश्मा है जब जन्नती हज़रात उससे वज़ू करेंगे और गुस्ल करेंगे तो उनके चेहरों पर नियामतों की तरोताज़गी आशकार होगी,*
*४_ दायमी नियामत की वजह से चेहरे पर हमेशा खुशी छाई रहेगी,*

*🗂️_ जोलात फि रियाज़ुल जन्नात-63,*

"_हंसते मुस्कुराते चेहरे:-*

*"_ अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं (सूरह यूनुस -२६):-
*"( तर्जुमा) जिन लोगों ने नेकी की उनके वास्ते जन्नत है और मज़ीद बरां ( अल्लाह ताला का दीदार) भी और उनके चेहरों पर मां ना कदोरत (गम की) छाएगी और ज़िल्लत, यह लोग जन्नत में रहने वाले हैं वो इसमें हमेशा रहेंगे _,"*

*"_ अल्लाह ताला मजीद इरशाद फरमाते हैं, (सूरह अ ब स-३८-३९ और सूरह गाशिया-८-९-१०):-* 
*"_ बहुत से चेहरे उस दिन (ईमान की वजह से) रोशन और (मसर्रत से) कंदां और शादां होंगे _," "_बहुत से चेहरे उस रोज़ बा रोनक (और) अपने (नेक) कामों की बदौलत खुश होंगे (और) बहिश्ते बरी (जन्नत) में होंगे _,"*

*🗂️_ जन्नत के हसीन मनाज़िर-290,*

"_लिबास और पोशाक :-*
*"_अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं (सूरह कहफ -३० -३१ ) :-*
*"_ (तर्जुमा) बेशक जो लोग ईमान लाए और उन्होंने नेक अमल किए तो हम ऐसो का अजर् जा़या ना करेंगे जो अच्छी तरह से (नेक) काम करें, (पस) ऐसे लोगों के लिए हमेशा रहने के बाग हैं उनके (मसाकिन) के नीचे नहरें बहती होंगी, उनको वहां सोने के कंगन पहनाएं जाएंगे और सब्ज़ रंग के कपड़े बारीक और मोटे रेशम के पहनेंगे (और) वहां मसहरियों पर तकिए लगाए बैठे होंगे, क्या ही अच्छा सिला है और (बहिश्त) क्या ही अच्छी जगह है _,"*

*"_ हज़रत इब्ने उमर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि एक शख्स ने अर्ज़ किया - या रसूलल्लाह ! आप हमें जन्नत वालों के कपड़ों के मुताल्लिक़ इरशाद फरमाएं क्या उनको नए सिरे से पैदा किया जाएगा या उनको बुना जाएगा ?*
*"_तो हाजिरीन में से बाज़ हजरात हंस पड़े, तो जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- तुम इस ना-वाक़िफ के मुताल्लिक़ जो जानने वाले से सवाल कर रहा है क्यों हंसते हो ?*

*"_ फिर आपने इरशाद फरमाया कि जन्नत का फल लिबास को ज़ाहिर करेगा, आपने यह बात दो मर्तबा इरशाद फरमाई _,"*
*🗂️ मुसनद अहमद- २/२०३, २२४, २२५, ज़ुहद इब्ने मुबारक- २/७५,* 

*"_हजरत मुरशिद बिन अब्दुल्लाह फरमाते हैं कि जन्नत में एक दरख्त है जिससे संदस (बारीक रेशम) उगेगा यही जन्नत वालों का लिबास होगा _,"*
*🗂️ बदोरुल सफरह 1949 बा हवाला मुसनद, बिज़्ज़ार, अबु याला, तिबरानी,*

*"_ हूरों का लिबास :-*
*"_हजरत अब्दुल्लाह बिन मस'ऊद रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है जनाबे रसूलल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम इरशाद फरमाते हैं:-*
*"_ पहली जमात जो जन्नत में दाखिल होगी उनके चेहरे चौंधवी रात के चांद की तरह चमकते होंगे और दूसरी जमात आसमान में खूब चमकने वाले सितारे की तरह बहुत ज़्यादा चमकने वाले (चेहरों की) होगी_,"*

*"_ उनमें से हर एक के लिए हूरेन में से दो-दो बीवियां होंगी, हर बीवी पर 70 पोशाके होंगी फिर भी उनकी पिंडलियों का गूदा उनके गोश्त (के अंदर से ) और पोशाकों के अंदर से आशकार होता होगा जैसे की सुर्ख शराब सफेद शीशे में नजर आती है _,"*
*🗂️_ तबरानी कबीर- 10/158 मुसनद अहमद 3/16, तिर्मिज़ी -2522,*

"_ सोने चांदी और मोतियों के ज़ेवर:-*
*"_ अल्लाह ताला इरशाद फरमाते हैं, (सूरह अल हज- २३):-*
*"_ ( तर्जुमा) अल्लाह ताला उन लोगों को जो ईमान लाए और उन्होंने नेक काम कीए (बहिश्त के) ऐसे बागों में दाखिल करेगा जिनके नीचे नहरें जारी होंगी (और) उनको वहां सोने के कंगन और मोती पहनाए जाएंगे और पोशाक उनकी वहां रेशम होगी_,"* 

*"_ हजरत अबू सईद खुदरी रज़ियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने व जन्नाते अद्न तिलावत करके इरशाद फरमाया :- उन जन्नतियों पर ताज होंगे उन (पर चढ़े हुए मोतियों) में से अदना मोती मशरिक और मगरिब की मुसाफत जितना चमकता होगा _,"*
*🗂️ बा हवाला तिर्मिज़ी- २५६२, मुसनद अहमद- ३/१७५,*

*"_ हजरत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- अगर अदना दर्जे के ज़ेवर वाले जन्नती के ज़ेवर को तमाम दुनिया वालों के ज़ेवर से मुक़ाबला किया जाए तो जो ज़ेवर अल्लाह ताला उस जन्नती को आखिरत में पहनाएंगे वह तमाम दुनिया वालों के ज़ेवरों से अफ़ज़ल होगा _,"*
*🗂️_ बा हवाला मजमा अज़ ज़वाइद-१०/४०१, दुर्रे मंसूर- ५/२३५,*

*"_ हजरत का'ब अहबार फरमाते हैं कि अल्लाह तबारक व ताला का एक फरिश्ता वह है जो जन्नत वालों के लिए जबसे वह पैदा हुआ है क़यामत तक ज़ेवर तैयार करेगा, अगर जन्नत वालों के ज़ेवरों में से कोई ज़ेवर (दुनिया में) ज़ाहिर कर दिया जाए तो वह सूरज की रोशनी को मांद कर दे _,"*
*🗂️_ सफतुल जन्नत - २१७, मुसनद अहमद-३/१७५,*

 *"_जन्नती का कंगन सूरज से ज्यादा रोशन_",*
*"_ हजरत साद बिन अबी वका़स रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"__अगर जन्नतियो से कोई आदमी (दुनिया में) झाँक ले और उसका कंगन ज़ाहिर हो जाए तो वो सूरज की रोशनी को बे-नूर कर दे, जैसे सूरज सितारो की रोशनी को बे-नूर कर देता है,"*
 *🗂️_ सफतुल जन्नत इब्ने अबिद दुन्या, 220, दुरे मंसूर, 221, सुनन तिर्मिज़ी, 2538*

  *☞_ औरतों से ज़्यादा मर्दों को ज़ेवर ख़ूबसूरत लगेंगे ,*
*"_ हजरत हसन बसरी रह. फरमाते है कि जन्नत के ज़ेवर औरतों की बा-निस्बत मर्दों को ज़्यादा खूबसूरत लगेंगे _,"*
 *📚सफतुल जन्नत इब्ने अबिद दुनिया ,219 ,निहाया इब्ने कसीर 2/442*

☞ खोलदार मोती का महल,*
 *★"_हज़रत अब्दुल्लाह बिन क़ैस अश'अरी रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"__(जन्नती के लिए) एक खैमा खोलदार मोती का होगा जिसकी लंबाई साठ मील होगी, उसके हर कोने में मोमिन की कोई न कोई बीवी होगी जिसको दूसरी बिवियां (और खिदमतगार लड़के और नौकरानियां) नहीं देखते होंगी_,"*
 *📚बुखारी, 4/142-143 मुस्लिम, 4/2182 तज़किरतुल कुर्तुबी, 2/467*

*⚃➠ फ़ायदा_ ये एक ही मोती से तयार शुदा एक खोलदार महल होगा जिसमे जन्नती के लिए ऐश व निशात का समान मयस्सर होगा _,"*
   *📚जन्नत के हसीन मनाज़ीर, 303*

☞ जन्नत मैं नींद नहीं होगी,*               
*"_ हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम से सवाल किया गया कि क्या जन्नती लोग सोयेंगे भी ?*
*"_ तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- नींद मौत की भाई है इसलिए जन्नत वाले नहीं सोयंगे _,"*
 *🗂️ जुहद इमाम अहमद, 15 मजमुअज़ ज़वायद, 10/415*
 
*"_हज़रत अब्दुल्लाह बिन अबी अवफ़ी रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के एक शख्स ने अर्ज़ किया :- या रसूलअल्लाह ! नींद एक ऐसी नियामत है जिससे दुनिया में हमारी आंखें थंडी होती है, तो क्या जन्नत मैं नींद भी होगी ?*
*"_ तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:- नहीं (नींद नहीं आएगी) क्योंकि नींद मौत की शरीक़ है और जन्नत में मौत नहीं होगी (बल्कि) हमें जन्नत मैं ना तो कोई तकलीफ़ पहंचेगी और ना उस में हमें कोई खस्तगी पहुंचेगी _,"*
 . *📚अल बद्रो साफरा, 2196 बा हवाला इब्ने अबी हातिम व बहीकी़ 489, दुर्रे मंसूर, 5/254*

 *☞ जन्नत मे सब कुछ मिलेगा,*
*"_ अल्लाह तआला इरशाद फरमाते हैं :-*
 *"__जिन लोगो ने (दिल से) इक़रार कर लिया कि हमारा रब (हकी़की़ सिर्फ) अल्लाह है (मतलब यह कि शिर्क छोड कर तोहीद अख्त्यार कर ली) फिर (इस पर) मुस्तकी़म रहे (यानी इसको छोड़ा नहीं) उन पर (अल्लाह की तरफ से रहमत व बशारत के) फरिश्ते उतरेंगे (अव्वल) मौत के वक्त, फिर कब्र में, फिर क़यामत में,*

*"_ ये कहेंगे कि तुम (अहवाल अखिरत से) कोई अंदेशा ना करो और ना (दुनिया छोडने पर ) रंज करो और (बल्की) तुम जन्नत के मिलने पर खुश रहो जिसका तुमसे वादा किया गया करता था,*

*" __हम तुम्हारे रफीक़ थे दुनियावी जिंदगी में भी और अखिरत में भी रफीक़ रहेंगे, और तुम्हारे लिए इस (जन्नत) मैं जिस चीज़ को तुम्हारा जी चाहेगा मोजूद है, और नीज़ तुम्हारे लिए इसमें जो मांगोगे मोजूद है, (यानी जो कुछ ज़ुबान से मांगोगे वो तो मिलेगा ही बल्की मांगने की भी ज़रुरत ना होगी) जिस चीज़ को तुम्हारा दिल चाहेगा मोजूद होगी यह बतौर महमानी के होगा गफूरुर्हीम की तरफ से ( यानी ये नियामतें इकराम व एजाज़ के साथ इस तरह मिलेंगी जिस तरह मेहमान को मिलती हैं)"*
 *📚 सूरह हमीम सजदा ,30-31-32,*

: *☞"_ हर जन्नती की तलब पूरी होगी :-*
*⚃➠हज़रत अता बिन मायसाराह फरमाते हैं कि जन्नती अपने महल से निकलेगा और किसी दरख़्त या नहर को देख कर यह चाहेगा कि उसको इस जगह नहीं होना चाहिए, अभी उसने यह बात ज़ुबान से नहीं निकाली होगी बल्की दिल ही में होगी मगर अल्लाह तआला उस (दरख़्त या नहर वगेरा) को वहीं मुंतक़िल कर देंगे जहाँ वो पसंद करता होगा,*
 . *📚सफतुल जन्नत अबू नईम, 2/127*

*⚃➠ हज़रत अबू बुरैदा असलमी रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि एक सहाबी जनाबे नबी करीम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की ख़िदमत में हाज़िर हुए और अर्ज़ किया - या रसूलल्लाह ! मैं घोडे को पसंद करता हूं क्या जन्नत में घोड़ा होगा?*
 *"_ आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया - जब तुम्हें अल्लाह तआला जन्नत में दखिल कर देंगे तो अगर तू याकू़त अहमर के घोड़े पर सवार होना चाहेगा तो तू (उस पर) सवार हो सकेगा जन्नत में जहां जहां चाहेगा वो तुम्हे ले कर उड़ता फिरेगा...,*

 *"_ फिर आपके पास एक और सहाबी हाज़िर हुए और अर्ज़ किया - या रसूलल्लाह ﷺ ! क्या जन्नत में ऊंट होगा? आप ﷺ ने इरशाद फरमाया - ए बंदा ए खुदा! अगर अल्लाह तआला ने आपको जन्नत में दखिल फरमाया तो आपके लिए वो सब कुछ होगा जिसको तेरा जी चाहेगा और तेरी आंखें लज़्ज़त उठायेगी _,"*
 *🗂️_ अल फतहुल रब्बानी - 24/203, रियाजु़ल जन्नत - 25,*

: *☞ क्या जन्नत की नियामतें दुनिया के मुशाबे होगी,*
*"_ हजरत इब्ने अब्बास रजियाअल्लाहु अन्हु फरमाते हैं की जन्नत में कोई चीज़ दुनिया की चीज़ के मुशाबे नहीं होगी सिर्फ नामो में मुशाबहत होगी‌_,"*
 *📚अबू नईम ,124 तफ़सीर इब्ने कसीर ,1/91*

*"_ हजरत मुजाहिद रह. फरमाते हैं कि जन्नत की चीजें देखने में एक दूसरी से मिलती जुलती होगी मगर ज़ायका़ में मुख्तलिफ होंगी _,"*
 *📚 अबू नईम ,126 तफ़सीर तिबरी ,1/173*
[
: *☞_ हसीन व दिलकश आवाज़ में दाऊद अलैहिस्सलाम की हम्द सुनेंगे,*
*⚃➠"_ (हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम के लिए हमारे पास क़ुर्ब का मर्तबा है और लौट जाने की बहरीन जगह है) इस आयत की तफ़सीर में हज़रत मालिक बिन दिनार रह. फरमाते है क़यामत के दिन हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम को अर्श के पाए के पास खड़ा किया जाएगा और उनको हुक्म दिया जाएगा कि ऐ दाऊद! उस हसीन और नर्म व नाज़ुक आवाज़ में मेरी बुज़ुर्गी बयान करो जिस तरह से दुनिया में बयान किया करते थे, वो अर्ज़ करेंगे: - ऐ रब कैसे हम्द करूं आपने तो मेरी खुश इल्हानी वापस ले ली है?*
 *_तो अल्लाह तआला फरमायेंगे मैं उसे आज फिर वापस करता हूं, चुनांचे हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम ऐसी ऐसी आवाज़ के साथ हम्द अदा करेंगे कि जन्नत की नियामतो को भी भुला देंगे _,"*

*⚃➠नोट :- हज़रत दाऊद अलैहिस्सलाम जन्नत मैं भी ख़ूबसूरत आवाज़ में अल्लाह तआला की तस्बीह व तहलील बाजा लाएंगे _,"*
 . *🗂️ जुहद इमाम अहमद व हकीम तिर्मिज़ी व इब्ने अबी हातिम (दुर्रे मंसूर, 5/305) हादी अल रवाह, 327*

☞ लड़कियों की आवाज़ में तराना हम्द,*
*"_हज़रत सईद बिन जुबेर रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि हज़रत इब्ने अब्बास रजियल्लाहु अन्हु ने फरमाया :- तुम हमसे सवाल करो क्यूंकी तुम हमसे किसी ऐसे चीज़ का सवाल नहीं करोगे मगर हमने उसके बारे में पूछ रखा है,*

 *"_तो एक शख़्स ने अर्ज़ किया :- क्या जन्नत मैं नगमा सराई होगी ?*
*"_आपने फरमाया:- कस्तूरी के कोजे होंगे जिनके पास लड़कियां होंगी जो अल्लाह तआला की ऐसी आवाज़ में बुज़ुर्गी बयान करेंगी कि उनकी मिस्ल कानो ने कभी नहीं सुनी होगी_,"*
 *📚 अल बा'स वल नुसूर, 422, अल बद्रो सफ़राह, 2091*

 *☞ दरख्त की तरन्नुम के साथ तस्बीह व तक़दीस,*
*"_ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि एक शख्स ने अर्ज़ किया:- या रसूलल्लाह ! क्या जन्नत मैं गीत होगा? क्यूंकी मैं गीत को पसंद करता हूं _,"*

*"_ सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- मुझे क़सम है उस जा़त की जिसके कब्ज़े में मेरी जान है अल्लाह ताला जन्नत के दरख्त की तरफ पेगाम भेजेंगे कि मेरे इन बंदो को जिन्होने अपने आप को बाजों और गानो के बजाय (दुनिया में) मेरे ज़िक्र के साथ मसरूफ रखा तो इनको ऐसी आवाज़ में उनको ऐसे तरन्नुम में तसबीह व तक़दीस सुना कि ऐसी मखलूका़त ने कभी ना सुनी हो _,"*
 *📚 तरगीब व तरहीब-, दुर्रे मंसूर ,5/153*
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*☞ _ दरख़्त से ख़ूबसूरत आवाज़ कैसे पैदा होगी _*
*⚃➠"_ हज़रत अबू हुरैरा रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"_ जन्नत में एक दरख्त जिसके तने सोने के होंगे और शाखें ज़बरजद और लो लो की होंगी हम पर हवा चलेगी तो वो (शाखे) हरकत में आएंगी (उसको) सुनने वाले इससे ज़्यादा लज़ीज़ कोई आवाज़ नहीं सुनेंगे _,"*
              
 . *📚अबू नईम-433, अल बद्रो सफ़राह- 2098, हादी अल रवाह- 323, तरगीब व तरहीब- 4/523*
      
 *☞ दुनिया मैं गाने बाजे वाले जन्नत के तरानो से महरूम,*
*"_ हजरत अबू मूसा अश'अरी रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"__जो शख्स गाने की आवाज़ सुनेगा उसको रूहानियो की खुश अल्हानी सुनने की इजाज़त नहीं दी जाएगी,*
*"_ सहाबा किराम रजियल्लाहु अन्हुम ने अर्ज़ किया- या रसूलल्लाह ! रूहानियों कौन है ?*
*"_ आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :- (ये) जन्नत वालो (के सामने) कुरान पढ़ने वाले (फरिश्ते) है_,"*
 *📚 अल बद्रो सफ़राह, 2101, दुरे मंसूर, 5/153 कंज़ुल उम्माल, 40660, तफ़सीर क़ुरतुबी, 14/54*

*"_ ताबई मुफ़स्सिर मुहद्दिस हज़रत मुजाहिद रह. फरमाते हैं कि क़यामत के दिन एक मुनादी निदा करेगा कि वो लोग कहां है जो अपनी आवाज़ को और अपने कानो को फ़िज़ुलियात और शैतान के बाजू से महफूज़ रखते हैं ?*
*"_ फरमाया कि फिर अल्लाह तआला उन हजरात को कस्तूरी के बाग में रुखसत कर देंगे और फरिश्तो से फरमाएंगे कि तुम मेरे (इन) बंदो के सामने मेरी हम्द और बुजु़र्गी बयान करो और उनको यह खुश खबरी सुना दो कि उन पर कोई खौफ की बात नहीं और ना ही कोई गम की बात है_,"*
 . *📚अल बद्रो सफ़राह , 2100 ,दुर्रे मंसूर ,5/153*

 *☞ जन्नत के हुस्न मैं इज़ाफ़ा होता रहेगा,*

*"_ हजरत का'ब रह.फरमाते हैं कि अल्लाह ताला जब भी जन्नत की तरफ नज़र फरमाते हैं तो हुक्म देते हैं कि:-*
 *"_तू अपने मकीनों के लिए और पाकीज़ा और उम्दा हो जा, तो वो हुस्न व पाकीज़गी में और उम्दा हो जाती है हत्ताकि जन्नती उसमे दखिल हो जाए _,"*

 *📚 सफतुल जन्नत अबू नईम, 21 हादी अल रवाह, 483*

 *☞ अहले जन्नत को सिर्फ एक हसरत होगी,*
*"_ हज़रत मुआज़ बिन जबल रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*“__अहले जन्नत को किसी क़िस्म की हसरत नहीं होगी मगर उस घड़ी पर वो हसरत करते रहेंगे जो उनको (दुनिया में) हासिल हुई मगर उसमे उन्होंने अल्लाह को याद नहीं किया था_,"*
 *📚 अल बद्रो सफ़राह- 2192, बा हवाला- तबरानी व बहीकी,*

*"_ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"__जो कौम किसी मजलिस में बैठती है लेकिन उसमे अल्लाह ताला का ज़िक्र नहीं करती और जनाबे करीम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर दरूद शरीफ़ नहीं भेजती तो यह (मजलिस) क़यामत के दिन उन पर हसरत का बाइस होगी (कि हाय अगर इस मजलिस मैं ज़िक्र या दरूद शरीफ पढते तो आज उसका भी इनाम मिलता) और अगर वो जन्नत मैं दखिल हो जाएंगे तो (उसके सवाब पाने की हसरत करेंगे),*
*📚अल बद्रो सफ़राह- 2193 मुसनद अहमद- 2/463, तिर्मिज़ी 3380*

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*☞ _जन्नत के महलात- नबी, सिद्दीक़ और शहीद का महल*

*⚃➠ हज़रत उमर बिन खत्ताब रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
 *"_जन्नत में एक महल ऐसा है जिसमें सिवाय नबी या सिद्दीक़ या शहीद या आदिल हुक्मरान के कोई दखिल नहीं हो सकेगा,*
*"_ तो हजरत उमर रजियल्लाहु अन्हु ने फरमाया :-"_जो अल्लाह चाहे, नबुवत को तो अल्लाह ने (आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम पर) तमाम कर दिया है और शहादत तो वो मेरे नसीब में कहां (लेकिन हज़रत उमर शहीद भी हुए थे) और इमाम आदिल तो अगर अल्लाह तआला ने चाहा,*

*"_ तो आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने दुआ फरमायी, "ऐ अल्लाह! उमर को भी ये महल अता फरमा,"*

*📚वसफुल फिरदौस ,(25) सफा,13*

 *☞ एक महल मे 40 महल्लात,*
*"_ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है के जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*“_मोमिन का घर जन्नत मे एक ही चमकदार मोती का होगा जिसमे 40 महल्लात होंगे उनके दर्मियान मे एक दरख्त होगा जो लिबास उगाएगा और लो लो और मरजान से घिरा हुआ होगा_,"*

 *📚वसफुल फिरदौस,(26) सफा 13 ,*

: *☞ मोमिन के महल्लात की शान,*
*"_ हसन बसरी रह. से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*“__जन्नत के महलात में हर मुसलमान के लिए नो महल होंगे, एक महल चांदी का होगा जिसके कंगूरे सोने के होंगे, एक महल सोने का होगा जिसके लिए कंगूरे चांदी के होंगे, एक महल लो लो (मोती) का होगा जिसके कंगूरे याक़ूत के होंगे, एक महल याकूत का होगा जिसके कंगूर लो लो के होंगे_,*
*"_ एक महल ज़बर जद का होगा जिसके कंगूर याक़ूत के होंगे, एक महल याक़ूत का होगा जिसके कंगूर ज़बर जद के होंगे, एक महल ऐसे नूर का होगा कि आंखें खैरह (चकाचौंध) कर दे, एक महल ऐसा होगा कि (दुनियावी) आंखे उसके नज़ारे की ताब नहीं रखती, और एक महल अर्श के रंग की तरह का है और हर महल आठ आठ सौ किलोमीटर मैं है और उनमे से हर एक महल के हज़ार दरवाज़े के पट है_,"*
  *📚वसफुल फिरदौस, (31) सफा 14,*

 *➠ हजरत लैस बिन अब्दुल्लाह बिन जाफर से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*“__जन्नत के महल्लात का ज़ाहिरी हिस्सा सुर्ख सोने का है और उनका अंदरुनी हिस्सा सब्ज़ ज़बर जद का है, उनके गुंबद याक़ूत के हैं और कंगूरे मोती के हैं _,"*
  *📚वसफुल फिरदौस, (30) सफा 14,*

: *☞ हुज़ूर अकरम (सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम) के लिए एक हज़ार महल्लात*
*"_ इरशादे बारी ताला "और अखिरत आप के लिए दुनिया से ब-दरजाह बेहतर है," (सूरह अद- दुहा: 5) इसकी तफसीर में हजरत अब्दुल्ला बिन अब्बास रजियाल्लाहु अन्हु फरमाते हैं:-*
*"_अल्लाह तआला हुज़ूर अकरम सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम को जन्नत में लो लो के एक हज़ार महल्लात अता फ़रमायेंगे जिनकी मिट्टी कस्तूरी की होगी और हर महल के लिए ज़ैबो जीनत आसाइश व आराम की सब चीज़ मोजूद होंगी,"*        

 . *📚वसफुल फिरदौस- (35) सफा 15, तफ़सीर इब्ने अबी शैबा (15827), तफ़सीर तिबरी, 30/128*

 *☞_ इब्राहिम अलैहिस्सलाम और हजरत उमर रजियल्लाहु अन्हु का महल*
*"_ हजरत अबू हुरैरा रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
 *"__जन्नत में लो लो का एक महल है जिसमे ना तो कोई फटन है और ना (तामीर की) कोई कमज़ोरी है, इसको अल्लाह तआला ने अपने खलील हज़रत इब्राहिम अलैहिस्सलाम के लिए तैयर फरमाया है,"*

*🗂️ सफतुल जन्नत इब्ने अबिदुन्या, (171), हादी अल रवाह, 193, मजमुआ अज़ जवायद, 8/201*

*"_हजरत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_मैंने खुद को देखा कि जन्नत में दखिल हुआ हूं और एक महल देखा जिसके सहन में एक लड़की मोजूद थी, मैने पुछा ये महल किसका है? तो बताया कि उमर बिन खत्ताब रजियल्लाहु अन्हु का है, तो मैंने चाहा कि इसमें दखिल हो कर देखूं मगर मुझे तुम्हारी गैरत याद आ गई।*
*"_ हज़रत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने अर्ज़ किया :- मेरे माँ बाप आप पर क़ुर्बान या रसूलल्लाह मैं आप पर गैरत खाउंगा?*  
        
*📚सफतुल जन्नत इब्ने अबिदुन्या, (173), सही बुखारी (3679, 5262, 7024)*

 *☞ _एक अरब हुरेन वाला महल,*
*"_ हजरत उमर बिन खत्ताब रजियल्लाहु अन्हु ने ये आयत पढी, "जन्नती अद्न" फिर फरमाया :-*
*"__जन्नत में एक (क़िस्म का) महल है जिसके चार हज़ार दरवाज़े के पट हैं, हर दरवाज़े पर पच्चीस हज़ार हुरेन हैं, इसमे कोई दाखिल नहीं हो सकता मगर नबी,*

*" _फिर फरमाया:- या रसूलल्लाह आपको मुबारक हो, या सिद्दीक दाखिल होगा, फिर फरमाया, ऐ अबू बकर आपको भी मुबारक हो, या शहीद दाखिल होगा मगर उमर के लिए शहादत का रुतबा कहां,*

*"" फिर फरमाया:- वो जा़त जिसने मुझे (कुफ्र की) बदहाली से निकाला वो पर भी का़दिर है कि मुझे शहादत का रुतबा अता फरमाये (चुंनाचे आपकी ये तमन्ना भी पूरी हुई और आप शहादत के रुतबे पर फाइज़ हुए)*
 *📚 सफतुल जन्नत अबिद दुनिया, 174, मुसन्निफ इब्ने अबी शैबा, 15879, किताबुल जुहद इब्ने मुबारक, 535, कंजुल उम्माल, 7/275*

 *☞ महलात की मिट्टी और पहाड़,*
 *"_ हजरत मुगीस बिन सामी रह . फरमाते हैं :-*
 *"__जन्नत में कुछ महल्लात सोने के हैं और कुछ महल्लात ज़बर जद के हैं, उनके पहाड़ कस्तूरी के हैं और मिट्टी वर्स (एक क़िस्म की घास जो कपड़ा रंगने के काम आती है) और ज़ाफ़रान की है _,"*
 *🗂️मुसन्निफ़ इब्ने अबी शैबा, 13/124, सफ़तुल जन्नत इब्ने अबिद दुनिया, (177) हादी अल रवाह, 194*        

 *➠ महलात की छतो का नूर,*
*"_ एक हदीस मैं वरिद है कि जन्नत की बाज़ छतें ऐसे नूर की होगी जो आंखों को चुंधिया देने वाली बिजली की तरह चमकती होगी, अगर अल्लाह तआला जन्नतियो की निगाहों की हिफाज़त ना करे तो वो बिजली उनकी आंखों को उचक ले _,"*
               
 . *📚सफतुल जन्नत इब्ने कसीर- 51*

: *☞_ जन्नत के बाला खाने*
*"_अल्लाह तआला इरशाद फरमाते हैं," लेकिन जो लोग अपने रब से डरते रहे उनके लिए (जन्नत के) बाला खाने हैं जिनके ऊपर और बाला खाने हैं जो बने बनाए तैयार हैं,_ " ( सूरह अज़-ज़ुमर :20 )*

*"_ हजरत अली रजियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं के जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया:-*
*"_जन्नत में कुछ ऐसे बाला खाने है कि उनका बाहर अंदर से और अंदर बाहर से नज़र आएगा, एक देहाती ने खड़े हो कर कहा: या रसूलल्लाह! ये किसके लिए होंगे ? आप सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया, उसके लिए जो पाकिजा़ गुफ्तगु करेगा और खाना खिलाएगा और हमेशा रोज़ा रखेगा और उस वक्त जब लोग सोते हों ये रात के वक़्त नमाज़ पढेगा _,"*
 *📚 तिर्मिज़ी, 1984, हादी अल रवाह, 191*

*⚃➠ (फ़ायदा) हदीस की तशरीह दरजे ज़ेल हदीस के साथ कुछ इस तरह से है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया कि जन्नत में कुछ ऐसे बाला खाने होंगे कि जब उसका मकीन उसके अंदर होगा तो उसको इसका कोई खौफ नहीं होगा कि उसके पीछे क्या है (क्योंकि उसके अंदर से बाहर नज़र आता होगा) और अगर उसके बाहर होगा तो उसे इसका खौफ नहीं होगा कि अंदर (बाला खाने में) क्या है (क्योंकि उसे बाला खाने के बाहर से बाला खाने का अंदरूनी हिस्सा नज़र आता होगा )_,*

 *"_अर्ज़ किया गया- या रसूलल्लाह! ये किनके लिए होंगे?आपने इरशाद फरमाया-"जो अच्छे बोल बोलेगा, मुसलसल रोज़ रखेगा और खाना खिलाएगा, सलाम को फैलायेगा और नमाज़ पढेगा जब लोग सो रहे हों_,"*
 *"_अर्ज़ किया गया - अच्छे बोल क्या हैं ? इरशाद फरमाया-"सुब्हानल्लाहि वलहम्दुलिल्लाहि व लाइलाहा इल्लल्लाहु वल्लाहु अकबर _,*
 *क्योंकि ये कलमात क़यामत के दिन इस हालत में आएंगे कि कुछ आगे होंगे और पहलुओं में और कुछ पीछे,*

 *"_अर्ज़ किया गया- मुसलसल रोज़े रखना केसे हैं ? आपने इरशाद फरमाया," वो शख्स जो माहे रमज़ान के रोज़े रखेगा फ़िर उसके बाद एक और माहे रमज़ान पाया तो उसके भी रोज़े रखे," (इसी तरह हर आने वाले रमज़ान के रोज़े रखता हैं, ये मुसलसल रोज़े रखना है ),*
 *"_अर्ज किया गया- खाना खिलाना क्या है? इरशाद फरमाया - जिसने अपने बाल बच्चों की किफालत की और उनको खिलाता रहा,*

 *"_अर्ज़ किया गया -सलाम फैलाना क्या है ? इरशाद फरमाया - "अपने भाई (मुसलमान) से मुसाफा करना और सलाम करना,"*
 *"_अर्ज़ किया गया- जब लोग सोते हों उस वक्त की नमाज़ क्या है? इरशाद फरमाया- "इशा की नमाज़ (पढ़ना),"*
        
 . *📚अल बास वल नुशूर (280), इब्ने अदि- 2/795, तारीख बगदाद, 4/178,179, हिला अबू नईम- 2/356*

: *☞ 70 हजार बाला खाने,*
*"_ हजरत अब्दुल्लाह इब्ने मसूद रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
*"__अल्लाह की रजा़जोई में आपस में मुहब्बत करने वाले (मुसलमान) सुर्ख याकूत के एक सूतून पर फाइज़ होंगे, उस सुतून के सिर पर सत्तार हजार बाला खाने होंगे,*
*"_ उनका हुस्न जन्नत वालो के लिए ऐसा रोशन होगा जेसे दुनिया वालों के लिए सूरज चमका है,,*

*"_ जन्नती एक दूसरे से कहेंगे हमारे साथ चलो ताकी हम अल्लाह तआला के लिए आपस में मुहब्बत करने वालो की जियारत कर आएं, पस जब ये लोग उनको झांक कर देखेंगे तो उनका हुस्न जन्नत वालो के सामने ऐसे चमकेगा जिस तरह से सूरज दुनिया वालों के लिए चमका है,*
 *"__उन प्रति संदस का सब्ज़ लिबास होगा, उनकी पेशानियों पर लिखा होगा "ये लोग अल्लाह ताला की रज़ा और मोहब्बत की तलाश के लिए आपस में मुहब्बत करते थे _,"*
 *📚 तज़किरतुल कुर्तुबी, 2/464, जुहद इब्ने मुबारक, 522*

: *☞ जन्नत के खैमे,*

*"_ हजरत अबू मूसा अश'अरी रजियल्लाहु अन्हु से रिवायत है कि जनाबे रसूलुल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने इरशाद फरमाया :-*
 *“__जन्नत में मोमिन के लिए एक ही मोती का एक खोलदार खैमा होगा जिसकी लंबाई साठ मील तक होगी, उसमे मोमिन की बीवियां होंगी, मोमिन उन सब के पास जा कर सोहबत करेगा, वह बीवियां एक दूसरे को (इस हालत में) नहीं देख सकेगी,"*
 *🗂️_बुखारी, मुस्लिम, 2838, हादी अल रवाह, 275, तरगीब, 4/116, मिश्कात, 5616, कंजुल उम्माल, 39297, 39275*

*"_(फायदा) ये खैमे ना तो बाला खाने होंगे और ना महल्लात बल्की ये बागात में और नेहरों के किनारे पर क़ायम किए गए होंगे_,"*
 *🗂️_हादी अल रवाह, 275*     

*"_ हजरत अबू सुलेमान (दारानी) रह. फरमाते हैं- हूरेन अज़ सरे नो पैदा की जाती हैं, जब उसकी तख़लीक़ मुकममल हो जाती है तो फरिश्ते उन पर खैमे नसब कर देते हैं_,"*
*🗂️_ सफतुल जन्नत इब्ने अबिद दुनिया -311*

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