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⚂⚂⚂.
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     ✮┣ l ﺑِﺴْـــﻢِﷲِﺍﻟـﺮَّﺣـْﻤـَﻦِﺍلرَّﺣـِﻴﻢ ┫✮
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           *■ उममाहातुल मोमिनीन ■*
    *⚂ हज़रत मैमूना बिन्ते हारिस रजि. ⚂* 
  ⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙                   *❀_उम्मूल मोमिनीन सैयदा मैमूना बिन्ते हारिस रज़ियल्लाहु अन्हा _,*

*★_'आपका बचपन का नाम बराह था, आन हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने बराह से मैमूना तजवीज़ फरमाया, आपके वालिद का नाम हुज्न बिन हुजैर और वाल्दा का नाम हिंद बिन्ते औफ था ।*

*★_ सैयदा मैमूना हजरत अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु और हजरत खालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहु अन्हु की हकी़की़ खाला थीं, क्योंकि आपकी बड़ी बहन लुबाबा कुबरा हजरत अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु की ज़ौजा मोहतरमा थीं, छोटी बहन लुबाबा सुगरा वलीद बिन मुगीरा की बीवी थी और हजरत खालिद बिन वलीद रज़ियल्लाहु अन्हु की वालदा थीं, तो इस लिहाज़ से हजरत मैमूना रज़ियल्लाहु अन्हा इन दोनों सहाबियों की खाला थीं।* 

*★_ आपका पहला निकाह जाहिलियत के दौर में मसूद बिन अमरु से हुआ था लेकिन किसी वजह से दोनों में अलहेदगी हो गई थी, उसके बाद आपका निकाह अबु रहम से हुआ, अबु रहम का इंतकाल हो गया तो आन हजरत सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने आपसे निकाह फरमाया, यह निकाह 7 हिजरी में हुआ, उस वक्त आप उमरे के सफर से वापस तशरीफ ला रहे थे, वापसी के सफर में सर्फ के मुकाम पर यह निकाह फरमाया ।*

*★_ आन हजथत सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम की यह वह जौजा़ हैं जिनका इंतकाल सबसे आखिर में हुआ, आपका निकाह मुका़मे सर्फ में हुआ था, आप की वफात भी इसी मुका़म पर हुई, आप की नमाजे़ जनाजा़ आपके भांजे सैयदना अब्दुल्लाह बिन अब्बास रज़ियल्लाहु अन्हु ने पढ़ाई ।*        

*★_ आप दीनी मसाईल की बहुत बड़ी आलीमा थीं, एक औरत बीमार हो गई, उसने मन्नत मानी कि अगर वह शिफायाब हो गई तो बेतुल मुक़द्दस जाकर नमाज़ अदा करेगी, कुछ दिनों बाद वह सेहतमंद हो गई और अपनी मन्नत के मुताबिक़ बेतुल मुक़द्दस जाने की तैयारी करने लगी, वहां के लिए रुखसत होने से पहले सैयदा मैमूना रज़ियल्लाहु अन्हा के पास आई, आप को यह बात मालूम हुई तो उससे फरमाया:- "तुम यहीं मस्जिद-ए-नबवी में जाकर नमाज़ पढ़ लो क्योंकि इस मस्जिद में नमाज़ पढ़ने का सवाब दूसरी मस्जिद में नमाज़ पढ़ने के सवाब से हज़ार गुना ज़्यादा है _,"*

*★_ आप नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के अहकामात की तामील के लिए खुद को हर वक्त तैयार रखा करती थीं, सैयदा आयशा रज़ियल्लाहु अन्हा फरमाती हैं:- "मैमूना सबसे ज़्यादा अल्लाह से डरने वालीं और सिलह रहमी करने वाली हैं _,"* 

*★_ आपको गुलाम आज़ाद करने का बहुत शौक़ था, एक रोज़ एक बांदी को आज़ाद किया तो आन हजरत सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने आपको बड़े सवाब की खुशखबरी सुनाई, आप कभी-कभी क़र्ज़ भी ले लेती थी _,"*

*"_चुनांचे एक मर्तबा क़र्ज़ लिया, रक़म कुछ ज़्यादा थी, किसी ने आपसे पूछा:- "आप यह क़र्ज़ कैसे अदा करेंगी _," आपने फरमाया:- रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने फरमाया है:- जो शख्स क़र्ज़ अदा करने की नियत रखता है, अल्लाह ताला खुद उसका क़र्ज़ अदा फरमा देते हैं _,"*

*★_ आप पर करोड़ों रहमते नाज़िल हों, आमीन _,"* 

*📓उम्माहातुल मोमिनीन, क़दम बा क़दम, 156* ┵━━━━━━❀━━━━━━━━━━━━┵
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