⚂⚂⚂.
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✮┣ l ﺑِﺴْـــﻢِﷲِﺍﻟـﺮَّﺣـْﻤـَﻦِﺍلرَّﺣـِﻴﻢ ┫✮
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*■ उममाहातुल मोमिनीन ■*
*⚂ हज़रत ज़ेनब बिन्ते जहश रजि. ⚂*
⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙══⊙ *❀__ आपका नाम ज़ेनब था, वालिद का नाम जहश बिन रा'ब था और वालिदा का नाम उमैमा था, यह उमैमा अब्दुल मुत्तलिब की साहबज़ादी थीं, इस लिहाज़ से हजरत ज़ेनब रज़ियल्लाहु अन्हा आन हजरत सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की फूफी जा़द बहन थीं, आपका पहला नाम बर्राह था, आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने तब्दील करके ज़ेनब रखा था ।*
*★_ सैयदा जै़नब रज़ियल्लाहु अन्हा का पहला निकाह हजरत ज़ैद बिन हारीसा रज़ियल्लाहु अन्हु से हुआ था, जो नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के आज़ाद करदा गुलाम थे, इनका आपस में इत्तेफाक ना हो सका इसलिए हजरत जैद बिन हारिसा रज़ियल्लाहु अन्हु ने इनको तलाक दे दी थी, इद्दत पूरी होने के बाद आन हजरत सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने हजरत ज़ेनब रज़ियल्लाहु अन्हा को निकाह का पैगाम भेजा, इस पैगाम के जवाब में हजरत जे़नब रज़ियल्लाहु अन्हा ने फरमाया :- मैं इस बारे में उस वक्त तक कुछ नहीं कह सकती जब तक कि मैं अपने परवरदिगार से मशवरा ना कर लूं _,"*
*★_ इस जुमले का मतलब यह था कि जब तक मै इस्तखारा ना कर लूं कुछ नहीं कह सकती, इस तरह अल्लाह ताला ने आपका निकाह हुजूर नबी करीम सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम से आसमान पर कर दिया, आसमान पर कर दिए जाने की इत्तिला वही के जरिए की गई और आयत नाज़िल हुई ।*
*★_ इसका जिक्र हजरत जे़नब रज़ियल्लाहु अन्हा फख्र से फरमाया करती थीं, आयत का नाज़िल होना था कि आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम हजरत ज़ेनब रज़ियल्लाहु अन्हा के घर तशरीफ ले गए, वहां तशरीफ ले जाने से पहले आपने उन्हें यह खबर पहुंचा दी थी, जब सैयदा जे़नब रज़ियल्लाहु अन्हा को यह खबर पहुंची तो आप उसी वक्त सजदे में गिर गईं, इधर आन हजरत सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम तशरीफ ले आए, आपने सैयदा से दरयाफ्त फरमाया:- आपका नाम क्या है ? सैयदा ने जवाब दिया:- बर्राह ," आपने इरशाद फरमाया:- नहीं बल्कि आज से आपका नाम ज़ैनब है_,"*
[8/3, 11:16 AM] Haqq Ka Daayi Official: *★_ ज़मीन पर आन हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने हजरत जे़नब बिन्ते जहश रज़ियल्लाहु अन्हा से निकाह 5 हिजरी को फरमाया, आपका मेहर 400 दिरहम में मुक़र्रर हुआ, आपने दावत ए वलीमा का खास अहतमाम फरमाया, सैयदना अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि आन हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने किसी निकाह में वलीमे में इतना अहतमाम नहीं फरमाया जितना की सैयदा जै़नब रज़ियल्लाहु अन्हा के साथ निकाह में फरमाया, सैयदा आयशा रजियल्लाहु अन्हा ने आपको मुबारकबाद दी, फ़िर आप तमाम अज़वाज मुताहरात के हुजरे में तशरीफ ले गए और सबको सलाम किया, सभी ने आपको मुबारकबाद दी ।*
*★_ सैयदना अनस रजियल्लाहु अन्हु की वालिदा ने मलीदा तैयार किया और एक थाल में रखकर उनसे फरमाया:- "अनस ! यह सरकारे दो आलम सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की खिदमत में ले जाओ, आपसे अर्ज़ करना कि यह मेरी वाल्दा ने भेजा है और वह आप को सलाम कहती हैं और अर्ज़ करती हैं कि ए अल्लाह के रसूल ! यह हमारी तरफ से एक क़लील सा हदिया है _,"*
*★_ हजरत अनस बिन मालिक रज़ियल्लाहु अन्हु की वाल्दा रिश्ते में आन हजरत सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम की खाला थीं, सैयदना अनस रज़ियल्लाहु अन्हु वह मलीदा लेकर आप की खिदमत में हाज़िर हुए, अपनी वाल्दा का सलाम अर्ज़ किया और उनके अल्फ़ाज़ दोहराए, आप सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया:- जाओ! फलां फलां को बुला लाओ और जो आदमी भी रास्ते में मिले उसे भी बुला लाओ _,"*
*★_ आपने कुछ लोगों के नाम भी लिए, चुनांचे मैंने वही किया जैसा कि आप सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम ने हुक्म फरमाया था, इस तरह सब लोग आ गए, हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि वह तकरीबन 300 आदमी थे, आन हजरत सल्लल्लाहु अलैही वसल्लम ने फरमाया :- अनस ! वह तश्त ले आओ_," जब हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु थाल ले आए तो आपने फरमाया 10 - 10 आदमियों का हल्का़ बना लो और सब अपने आगे से खाओ _,"*
[8/4, 4:58 PM] Haqq Ka Daayi Official: *★_ (हजरत अनस रज़ियल्लाहु अन्हु फरमाते हैं कि ) उन हजरत ने हिदायत के मुताबिक खाना शुरू किया, सबने सैर होकर खाया, जब सब खा चुके तो रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने मुझसे फरमाया:- "_अनस! अब यह तश्त को उठा लो _,"*
*"_जब मैंने तश्त को उठाया, तो मैं अंदाजा ना लगा सका कि जब मैंने तश्त को सबके सामने रखा था, उस वक्त उस में खाना ज़्यादा था या जिस वक्त उठाया उस वक्त ज़्यादा था _,"*
*★_ इसी दावत ए वलीमा में आयते हिजाब यानी पर्दे की आयत नाज़िल हुई, इस आयत के नुजूल के बाद आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम ने दरवाज़े पर पर्दा लटका लिया और लोगों को घर के अंदर जाने की मुमा'नत हो गई, यह वाक़िया ज़िक़ा'अदा 5 हिजरी का है, उस वक्त सैयदा ज़ेनब बिन्ते जहश रज़ियल्लाहु अन्हा की उम्र 35 साल थी।*
*★_ इस निकाह की चंद खुसूसियात ऐसी हैं जो आप सल्लल्लाहू अलेही वसल्लम के किसी और निकाह की नहीं हैं,*
*"_एक यह कि अरब में मुंह बोला बेटा असल बैटे के बराबर समझा जाता था, यह बात खत्म हो गई, क्योंकि जब आन हजरत सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम ने सैयदा जैनब रज़ियल्लाहु अन्हा से निकाह किया तो मुशरिकीन ने बातें बनाना शुरू किया कि लो जी, मुसलमानों के रसूल ने तो अपने बेटे ज़ैद की तलाक़ याफ़्ता बीवी से निकाह कर लिया, इस पर अल्लाह ताला का हुक्म नाजिल हुआ _,"*
*"_मोहम्मद सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम तुम्हारे मर्दों में से किसी के बाप नहीं है बल्कि अल्लाह के पैगंबर और नबियों की मुहर (यानी नबूवत के सिलसिले को खत्म कर देने वाले) हैं और अल्लाह हर चीज़ से वाक़िफ हैं _", (सूरह अल अहजा़ब: 40)*
*★_ इस हुक्म से अल्लाह ताला ने वाज़े फरमा दिया कि मुंह बोला बेटा हक़ीकी़ बेटे की तरह नहीं, ना इस हुक्म में शामिल हैं कि बेटों की बीवियों से निकाह हराम है _,"*
[8/5, 6:57 AM] Haqq Ka Daayi Official: *★_ इस निकाह कि दूसरी खुसूसियत यह है कि आका़ और गुलाम के दरमियान सदियों से हाइल माशरती फासले कम हो गए क्योंकि इससे पहले लोग अपने गुलाम की मुतलक़ा बीवी से निकाह को बुरा समझते थे।*
*★_ तीसरी खुसूसियत यह है कि इस निकाह के मौक़े पर पर्दे का हुक्म नाज़िल हुआ, चौथी खुसूसियत यह है कि इस निकाह के बारे में वही नाज़िल हुई और पांचवी बड़ी खुसूसियत यह है कि निकाह आसमानों पर हुआ ।*
*★_ हजरत जे़नब बिन्ते जहश रज़ियल्लाहु अन्हा दूसरी अज़वाज से इसी बुनियाद पर फख्र किया करती थीं, हजरत आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा उनके बारे में फरमाती हैं :- "_जे़नब बिन्ते जहश मर्तबे में मेरा मुका़बला करती हैं, रसूलुल्लाह सल्लल्लाहू अलैही वसल्लम के नज़दीक वह मेरी हम पल्ला थीं, मैंने उनसे ज्यादा किसी औरत को दीनदार, अल्लाह से डरने वाली, सबसे ज्यादा सच बोलने वाली, सबसे ज्यादा सिलहरहमी करने वाली, सबसे ज्यादा सदका़ व खैरात करने वाली नहीं देखी और उनसे ज्यादा मेहनत करके सदका़ करने वाली और अल्लाह जलशानहू का क़ुर्ब हासिल करने वाली औरत नहीं देखी _," ( मुस्लिम, असद अलक़बाह )*
*★_ आप सल्लल्लाहु अलेही वसल्लम भी सैयदा ज़ेनब बिन्ते जहश रज़ियल्लाहु अन्हा का इन सिफात की वजह से बहुत लिहाज़ करते थे, आप की खातिरदारी फरमाते थे ।*
*★_ अपना कफन भी अपनी जिंदगी ही में तैयार कर लिया था, चुनांचे जब आपका इंतका़ल का वक्त आया तो फरमाया :-मैंने अपना कफन तैयार कर रखा है, गालिबन हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु भी मेरे लिए कफन भेजेंगे, एक कफन काम में ले आना, दूसरा सदका़ कर देना _,"*
*"_और यही हुआ, हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने आपके लिए खुशबूदार कफन भिजवाया, आपको वही कफन दिया गया और जो कफ़न उन्होंने खुद तैयारी करवा रखा था उसे सदका़ कर दिया गया _," (तबका़त- 8/115)*
[8/5, 5:31 PM] Haqq Ka Daayi Official: *★_ आपका इंतकाल 20 हिजरी में हुआ, इंतकाल के वक्त आपकी उम्र 53 साल थी, वो ज़माना हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु की खिलाफत का था, इसलिए नमाज़े जनाजा़ हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने पढ़ाई, हजरत उसामा बिन ज़ैद, हजरत मुहम्मद बिन अब्दुल्लाह बिन जहश और अब्दुल्लाह बिन अबी मुहम्मद बिन जहश रज़ियल्लाहु अन्हुम ने आपको क़ब्र में उतारा, आपको जन्नतुल बक़ीअ में दफन किया गया _," ( बुखारी )*
*★_ आपकी वफात पर सैयदा आयशा सिद्दीका रज़ियल्लाहु अन्हा ने फरमाया :- "अफसोस आज ऐसी औरत गुज़र गई जो बहुत पसंदीदा औसाफ वाली इबादत गुजार और यतीमो और बेवाओं की गमख्वार थीं _,"*
*★_ इंतकाल के वक्त आपने एक मकान छोड़ा था, खलीफा यज़ीद बिन अब्दुल मलिक ने अपने ज़माने में 50 हज़ार दिरहम में खरीद कर उसे मस्जिदे नबवी में शामिल कर दिया _," ( तिबरी )*
*★_ आपसे 111 अहादीस रिवायत की गई है, आप बहुत इबादत गुजार थीं, तहज्जुद गुज़ार और बहुत रोज़े रखने वाली थीं, एक मर्तबा हजरत उमर रज़ियल्लाहु अन्हु ने आपकी खिदमत में बहुत सा माल भेजा, आपने उस माल को घर के सहन में ढ़ेर करने का हुक्म दिया और खादिमा से फरमाया :- इस माल पर एक कपड़ा डाल दो और उसके नीचे हाथ ले जाकर जितना माल हाथ मे आता है, वह फलां फलां और फलां फलां को दे आओ, फलां यतीम को दे आओ और फलां बेवा को दे आओ _,"*
*★"_ इस तरह वह माल बराबर तक़सीम होता रहा, आखिर जब कपड़े के नीचे थोड़ा सा माल रह गया तो खादिमा ने कहा :- ऐ उम्मुल मोमिनीन ! इस माल मे आखिर हमारा भी कुछ हक़ है _," आपने उनसे फरमाया :- अच्छा जो बच रहा है वह तुम ले लो _,"*
*"_ जब कपड़ा उठा कर देखा गया तो सिर्फ 85 दिरहम बाक़ी थे, सारा माल तक़सीम होने के बाद हज़रत ज़ेनब बिन्ते जहश रज़ियल्लाहु अन्हा ने हाथ उठा कर कहा :- ऐ अल्लाह ! इस साल के बाद उमर का वज़ीफा मुझे ना पाए, यह माल बहुत बड़ा फितना है _," ( अल असाबा )*
*★_ चुनांचे साल गुजरने नहीं पाया था कि आप इंतकाल फरमा गई, अल्लाह ताला की उन पर करोड़ों रहमतें नाज़िल हों, आमीन ।*
*📓उम्माहातुल मोमिनीन, क़दम बा क़दम, 133* ┵━━━━━━❀━━━━━━━━━━━━┵
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